Tuesday, November 5, 2024
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Dev Deepawali 2024: 15 नवंबर को वाराणसी में मनेगी देव दीपावली, कार्तिक पूर्णिमा पर यहां देवता भी करते गंगा स्नान!

Dev Deepawali 2024 : उत्तर प्रदेश के वाराणसी में मनाया जाने वाला देव दीपावली त्योहार दिवाली के 15 दिन बाद हिंदू महीने कार्तिक की पूर्णिमा को पड़ता है. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, हिंदू भगवान शिव ने इस दिन त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था. इसलिए, देव दीपावली का त्यौहार शैतान पर भगवान शिव की जीत के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. इसके अलावा, यह त्यौहार शिव के पुत्र भगवान कार्तिक की जयंती का भी प्रतीक है.माना जाता है कि इस दिन हिंदू देवता विजय का जश्न मनाने के लिए स्वर्ग से उतरते हैं. वे पवित्र गंगा में डुबकी लगाने के लिए भी इकट्ठा होते हैं, जिसे स्थानीय तौर पर ‘कार्तिक स्नान’ कहा जाता है, व्यापक मान्यता के अनुसार पवित्र गंगा में डुबकी लगाने से पाप धुल जाते हैं और समृद्धि आती है. देव दिवाली गंगा महोत्सव का आखिरी दिन है, जब माना जाता है कि वाराणसी देवताओं का स्वर्ग बन जाता है.

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ: 15 नवम्बर 2024 को प्रात: 06:19 बजे से.
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 16 नवम्बर 2024 को प्रातः 02:58 बजे तक.

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देव दिवाली पूजा का शुभ मुहूर्त:
ब्रह्म मुहूर्त: प्रात: 04:58 से 05:51 के बीच.
प्रातः सन्ध्या: प्रात: 05:24 से 06:44 के बीच.
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:44 से 12:27 के बीच.
विजय मुहूर्त: दोपहर 01:53 से 02:36 के बीच.
गोधूलि मुहूर्त: शाम 05:27 से 05:54 के बीच.
सायाह्न सन्ध्या: शाम 05:27 से 06:47 के बीच.
अमृत काल: 05:38 पी एम से 07:04 पी एम
देव दिवाली पूजा गोधूली या अमृत काल में कर सकते हैं.

देव दिवाली के दिन करते हैं दीपदान: दीपक का दान करना या दीप को जलाकर उसे उचित स्थान पर रखना दीपदान कहलाता है. किसी दीपक को जलाकर देव स्थान पर रखकर आना या उन्हें नदी में प्रवाहित करना दीपदान कहलाता है. यह प्रभु के समक्ष निवेदन प्रकाट करने का एक तरीका होता है.

कहां करते हैं दीपदान?
1. देवमंदिर में करते हैं दीपदान.
2. विद्वान ब्राह्मण के घर में करते हैं दीपदान.
3. नदी के किनारे या नदी में करते हैं दीपदान.
4. दुर्गम स्थान अथवा भूमि (धान के उपर) पर करते हैं दीपदान.

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देव दिवाली पूजन विधि:
1. कार्तिक पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें.
2. अगर आस-पास में गंगा नदी मौजूद है तो वहां स्नान करें.
3.अगर न हो तो घर के पानी गंगा जल मिलाकर स्नान करें.
4. सुबह के वक्त मिट्टी के दीये में घी या तिल का तेल डालकर दीपदान करें.
5. भगवान श्री विष्णु का पूजन करें.
6. पूजन के समय- ‘नमो स्तवन अनंताय सहस्त्र मूर्तये, सहस्त्रपादाक्षि शिरोरु बाहवे. सहस्त्र नाम्ने पुरुषाय शाश्वते, सहस्त्रकोटि युग धारिणे नम: मंत्र का जाप करें.
7. इस दिन घर में हवन करवाएं अथवा पूजन करें.
8. घी, अन्न या खाने की कोई भी वस्तु दान करें.
9. सायंकाल के समय किसी भी मंदिर में दीपदान करें.
10.इस दिन श्री विष्णु सहस्त्रनाम, विष्णु चालीसा का पाठ करें.

देव दिवाली मंत्र : देव दिवाली को इन मंत्रों का जाप करने से धन की देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं.

  1. ऊँ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा..
  2. ऊँ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा.
  3. ॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मयै नमः.
  4. श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा.

ट्रेवल एंड टूरिज़्म एक्सपर्ट गौरव कपूर ने बताया कि वाराणसी में उत्सव शाम को शुरू होता है और देर रात तक चलता है. वाराणसी के घाट रोशनी के समुद्र में तब्दील हो जाते हैं. यह महोत्सव विश्व भर से हजारों पर्यटकों को आकर्षित करता है. आगंतुकों को यह सलाह दी जाती है कि आप अपनी यात्रा की योजना पहले से ही बना लें, ताकि घाटों पर आपकी जगह सुनिश्चित हो सके और शहर में आपका रुकने का उचित प्रबंध हो.

Tags: Astrology, Kashi City


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