Thursday, December 19, 2024
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गुड लक के लिए आप भी करते हैं अंगुलियों को क्रॉस, ​कैसे हुई शुरूआत? क्या सच में पूरी होती है मनोकामना?

हाइलाइट्स

अपनी इच्छा पूरी करने के लिए कई लोग फिंगर क्रॉस करते हैं.मान्यता है ऐसा करने से गुड लक आता है.

History of Crossed Fingers : कहते हैं किस्मत से ज्यादा क​भी किसी को नहीं ​मिलता. जो आपको मेहनत करने से नहीं मिलता, वह आपको भाग्य से मिल जाता है. अलग- अलग धर्म में भाग्य और किस्मत को अलग- अलग तर​ह से देखा जाता है और इसके लिए कई उपाय किए जाते रहे हैं. जैसे हिन्दू धर्म में कोई अपनी कुंडली दोष को दिखाता है तो कई लोग अपनी किस्मत को चमकाने के लिए दान आदि का सहारा लेते हैं. किस्मत को चमकाने के उपायों में से एक है अंगुलियों को क्रॉस करना. इसे ईसाई धर्म से जुड़ा माना गया है. इसे क्रॉस्ड फिंगर्स के नाम से जाना जाता है. क्या वाकई अंगुलियों को क्रॉस करने से किसी का भाग्य चमक सकता है. क्यों किया जाता है इसका उपयोग? क्या है क्रॉस्ड फिंगर्स का इतिहास और कैसे हुई इसकी शुरूआत? आइए जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से.

क्या है क्रॉस्ड फिंगर्स
क्रॉस को एक​ पवित्र और शुभता के रूप में देखा जाता है और ईसाई धर्म की शुरुआत से बहुत पहले रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा रहा है. क्रॉसिंग अंगुलियों की प्रक्रिया अपनी किस्मत चमकाने के लिए या कुछ अच्छा होने के उम्मीद के साथ ही की जाती रही है. ऐसा कहा जाता है कि इसके लिए दो लोगों की आवश्यता होती है और वे जोड़ी के साथ अपने अंगूठे को छूते हैं और एक क्रॉस बनाते हैं.

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कैसे हुई इसकी शुरूआत?
किस्मत को चमकाने के लिए अंगुलियों को क्रॉस करने की शुरूआत को लेकर दो अलग- अलग बातें सामने आती हैं. जिसमें से एक ईसाई धर्म से पहले के अधंविश्वास से आता है, जिसमें क्रॉस के शक्तिशाली प्रतीकवाद को मना जाता था. इनमें अच्छी आत्माओं को बुलाने के लिए अंगुलियों को क्रॉस किया जाता था. ऐसा तब तक किया जाता था, जब तक की उसकी इच्छा पूरी ना हो जाए.

प्रथा कैसे बनी परंपरा
अंगुलियों को क्रॉस करने की परंपरा को लेकर कहा जाता है कि शुरुआती यूरोपीय कल्चर में क्रॉस्ड फिंगर्स इच्छा पूर्ति की एक प्रथा थी, जो धीरे-धीरे यह परंपरा में बदल गई. अंगुलियों को क्रॉस कर व्यक्ति उम्मीद करता था कि उसकी इच्छा पूरी होगी. लेकिन बाद में अंगुलियों को क्रॉस कर अपनी इच्छा पूर्ति करने वालों को अहसास हुआ कि इसे वे अकेले भी कर सकते हैं.

सबसे पहले, एक व्यक्ति द्वारा अपनी दो तर्जनी अंगुलियों को क्रॉस किया गया. जिससे यह इशारा एक-हाथ वाले अभ्यास में बदल गया, जिसका आज भी उपयोग किया जाता है.

क्रॉस्ड फिंगर्स को लेकर यह मत भी
वहीं अंगुलियों को क्रॉस कर किस्मत आजमाने को लेकर एक और मत सामने आता है. ऐसा कहा जाता है कि ईसाई धर्म के शुरुआती दिनों में जब अनुयायियों को अक्सर उनकी मान्यताओं के लिए सताया जाता था. इसके बाद अपने साथी ईसाइयों को पहचानने के लिए, लोगों ने हाथ के इशारों की एक सीरीज शुरू की, जिसमें अंगुलियों को क्रॉस कर मछली का प्रतीक बनाया जाना शामिल था.

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प्रतीक एक एक्रोस्टिक का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें ग्रीक अक्षर i , ch , th , y, और s भी Iēsous Christos, Theou Yios, Sōtēr शब्द के पहले अक्षर हैं. इसका अंग्रेजी में अर्थ है “यीशु मसीह, ईश्वर का पुत्र, उद्धारकर्ता.” हालांकि, यह पूरी तरह से स्पष्ठ नहीं होता कि शुरुआत में कि अंगुलियों को क्रॉस करना भाग्य से कैसे जुड़ा. हां, लेकिन इतना जरूर कहा जा सकता है कि यह प्रार्थना के लिए आशीर्वाद या उम्मीद प्रदान करता है.

Tags: Astrology, Dharma Aastha, Religion


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