Tuesday, November 5, 2024
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Chhath Puja 2024: पटना में इस दिन से शुरू होगा छठ महापर्व का अनुष्ठान, जयद् योग में व्रती करेंगी नहाय-खाय और सुकर्मा योग में खरना

Chhath Puja 2024: पटना. लोक आस्था का महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान 5 नवंबर यानी मंगलवार को कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से नहाय-खाय के साथ शुरू हो रहा है. बुधवार यानी 6 नवंबर को लोहंडा (खरना) में व्रती पूरे दिन का उपवास कर शाम में भगवान भास्कर की पूजा कर प्रसाद ग्रहण करेंगी . वहीं 7 नवंबर गुरुवार की शाम डूबते सूर्य को अर्घ दिया जायेगा. छठ महापर्व के चतुर्थ दिवसीय अनुष्ठान के अंतिम दिन शुक्रवार यानी 8 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ देकर आयु-आरोग्यता, यश, संपदा का आशीर्वाद लिया जायेगा.

बरसेगी छठी मैया की अपार कृपा

छठ पर्व में सूर्योपासना करने से छठ माता प्रसन्न होती है तथा परिवार में सुख, शांति व धन-धान्य से परिपूर्ण करती है. सूर्यदेव की प्रिय तिथि पर पूजा, अनुष्ठान करने से अभीष्ट फल प्रदान करते हैं. इनकी उपासना से असाध्य रोग, कष्ट, शत्रु का नाश, सौभाग्य तथा संतान की प्राप्ति होती है.

जयद् योग के सुयोग में 5 को नहाय-खाय

ज्योतिष विद्वान राकेश झा ने कहा कि सनातन धर्मावलंबियों के सबसे प्रमुख पर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान 5 नवंबर यानी मंगलवार को कार्तिक शुक्ल चतुर्थी में ज्येष्ठा नक्षत्र व जयद् योग, में पहले दिन नहाय-खाय होगा. इस दिन छठ व्रती गंगा नदी, जलाशय, पोखर या स्नान जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करके भगवान सूर्य को जलार्घ्य देकर चार दिवसीय अनुष्ठान की पूर्णता के लिए प्रार्थना करेंगी. फिर पूरी पवित्रता से तैयार प्रसाद स्वरूप अरवा चावल, चना दाल, कद्दू की सब्जी, आवलां की चासनी, पकौड़ी आदि ग्रहण कर अनुष्ठान का आरंभ करेंगी.

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6 को सुकर्मा योग में व्रती करेंगी खरना

पंडित गजाधर झा ने बताया कि कार्तिक शुक्ल पंचमी में 6 नवंबर यानी बुधवार को पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र एवं सुकर्मा योग में छठ महापर्व का दूसरे दिन के अनुष्ठान में व्रती खरना का पूजा करेंगी. इसमें छठ करने वाले श्रद्धालु पूरे दिन निर्जला उपवास करके सायंकाल में भगवान भास्कर की पूजा कर प्रसाद ग्रहण करेंगी. बुधवार को प्रसाद पाने के बाद व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला अनुष्ठान का संकल्प लेंगी.

रवियोग में 7 को सायंकालीन अर्घ्य

सूर्य उपासना का महापर्व छठ के तीसरे दिन में कार्तिक शुक्ल षष्ठी 7 नवंबर यानी गुरुवार को धृति योग, रवियोग व जयद् योग के सुयोग व्रती पूरी निष्ठा व पवित्रता के साथ फल, मिष्ठान्न, नारियल, पान-सुपारी, माला, फूल, अरिपन से डाला सजाकर शाम को छठ घाट पर जाकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देगी.सूर्य को अर्घ्य देने से मानसिक शांति, उन्नति व प्रगति होती है.

छठ महापर्व एक नजर में

  • नहाय-खाय: मंगलवार (5 नवंबर)
  • खरना: बुधवार (6 नवंबर)
  • संध्या अर्घ गुरुवार (7 नवंबर)
  • प्रातः अर्घ शुक्रवार (8 नवंबर)


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