चातुर्मास का प्रारंभ हर साल देवशयनी एकादशी से होता है. आषाढ़ शुक्ल एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी का व्रत रखा जाता है. इस दिन जगत के पालनहार भगवान श्रीहरि विष्णु 4 माह के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं. उसके बाद से जगत के पालनहार की जिम्मेदारी भगवान शिव के हाथों में चली जाती है. केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ गणेश मिश्र से जानते हैं कि चातुर्मास कब से शुरू हो रहा है? चातुर्मास में क्या नहीं करना चाहिए और क्या करना चाहिए? आइए जानते हैं इसके बारे में.
कब शुरू हो रहा है चातुर्मास?
पंचांग के आधार पर देखा जाए तो 16 जुलाई को 08:33 पीएम से आषाढ़ शुक्ल एकादशी तिथि प्रारंभ हो रही है और इसका समापन 17 जुलाई को 09:02 पीएम पर होगा. उदयातिथि के आधार पर देवशयनी एकादशी 17 जुलाई को है, इसलिए 17 जुलाई से चातुर्मास शुरू होगा.
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चातुर्मास के 4 माह नहीं होंगे ये काम
1. चातुर्मास के समय में भगवान शयन करते हैं, इसलिए विवाह और सगाई जैसे मांगलिक कार्य नहीं होते हैं.
2. चातुर्मास के दौरान नए मकान का गृह प्रवेश भी नहीं किया जाता है.
3. चातुर्मास के समय में बहु या बेटी की विदाई भी नहीं करते हैं. इसे अशुभ माना जाता है.
4. चातुर्मास के दौरान मुंडन, उपनयन संस्कार यानी जनेऊ भी करने की मनाही होती है.
5. नई दुकान या नए काम का शुभारंभ भी चातुर्मास में करने से बचा जाता है.
चातुर्मास में क्या करें
1. चातुर्मास के समय में आपको भगवान शिव, माती पार्वती और उनके परिवार की पूजा करनी चाहिए. चातुर्मास में शिव परिवार की पूजा करने आपकी मनोकमानाएं पूरी होती है.
2. चातुर्मास में आप भगवान विष्णु की पूजा कर सकते हैं. एकादशी व्रत रखने और पूजा करने पर कोई पाबंदी नहीं होती है.
3. चातुर्मास के दौरान ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करें. रोज स्नान करें और पूजा पाठ करें. इसमें योग, साधना, जप, तप आदि करना चाहिए.
4. चातुर्मास के समय में मन, कर्म, वचन शुद्ध रखें और दान-पुण्य करें. एक समय भोजन करें और फर्श पर सोना चाहिए.
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चातुर्मास में क्या न करें
1. चातुर्मास के प्रारंभ और मध्य तक बारिश का मौसम होता है, इस वजह से इसमें बैंगन, साग, पत्तेदार सब्जियां, गरम मासाला और तेल वाला भोजन नहीं करना चाहिए.
2. चातुर्मास के चार महीनों में तामसिक वस्तुओं जैसे मांस, मदिरा, सिगरेट, लहसुन, प्याज आदि का सेवन नहीं करते हैं.
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FIRST PUBLISHED : July 3, 2024, 11:52 IST