Alcohol in Saavan Month: सावन का महीना चल रहा है और कल यानी 2 अगस्त को सावन की शिवरात्रि मनाई जाने वाली है. शिव भक्तों के लिए सावन शिवरात्रि बहुत बड़ा दिन है. कांवड़ यात्री गंगाजल या पवित्र नदियों का जल लेकर सावन शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर अर्पित करेंगे. भोलेनाथ के भक्तों के लिए सावन का महीना बहुत महत्वपूर्ण होता है. व्रती लोगों के अलावा अन्य लोगों को भी इस महीने में अनुशासन का पालन करना आवश्यक है. हालांकि भोलेनाथ के कई भक्त ये कहते हुए आपको नजर आ जाएंगे कि शिवजी भांग का सेवन करते थे, तो उनके भक्त भी इसका सेवन कर सकते हैं. लेकिन क्या ये कुतर्क सही है? क्या सावन के इस पवित्र महीने में भांग, शराब आदि नशे किए जा सकते हैं?
सेलिब्रिटी एस्ट्रोलॉजर प्रदुमन सूरी बताते हैं, ‘बहुत से लोग इस बात का कुतर्क देते हैं कि भगवान शिव तो भांग का सेवन करते थे तो वह शराब का सेवन भी जायज होना चाहिए. जबकि शिव महापुराण में कहीं नहीं लिखा कि भगवान शिव नशा करते थे. कई तस्वीरों में उन्हें भांग और गांजा पीते हुए दिखाया जाता है, वह गलत है. आइए जानते हैं कि महादेव के इस महीने में शराब आदि व्यसनों से क्यों दूर रहना चाहिए.
ज्योतिष व वास्तु विशेषज्ञ, प्रदुमन सूरी के अनुसार, सावन में शराब पीना बिल्कुल वर्जित है. क्योंकि यह माह तो अपने जीवन को शुद्ध करने का होता है. ज्योतिष के अनुसार, सावन में जो लोग शराब का सेवन करते हैं, उन्हें स्वास्थ्य, आर्थिक, पारिवारिक समस्याएं आती हैं. जिससे व्यक्ति मानसिक तनाव झेलता है. इसलिए सावन माह में मदिरा के सेवन से बचना चाहिए और अपना सारा ध्यान पूजा-पाठ, ध्यान और आत्म-शुद्धि पर ध्यान देना चाहिए. वैसे भी सावन में जो लोग व्रत नहीं करते हैं वे कोशिश करें कि इस पवित्र माह में मदिरा के साथ अंडा और मांस का सेवन बिल्कुल नहीं करें.
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, सावन का महीना संयम और पवित्रता का है. (Image- Canva)
इसलिए अल्कोहल से दूर रहें
– मदिरा सेवन धार्मिक कृत्यों के साथ असंगत माना गया है. चूंकि सावन के महीने में लोग शुद्धता और पवित्रता को बनाए रखने का प्रयास करते हैं. मदिरा सेवन शरीर और मन को अशुद्ध करने के रूप में देखा जाता है, जो कि इस पवित्र माह के उद्देश्यों के खिलाफ है.
– सावन माह में में लोग ध्यान, साधना और धार्मिक अनुष्ठान करते हैं. मदिरा सेवन इन पवित्र गतिविधियों में बाधा डाल सकता है, क्योंकि मदिरापान मन को अस्थिर और असंतुलित करता है. अल्कोहल का सेवन हमारी धार्मिक आस्था के साथ मेल नहीं खाता क्योंकि यह शरीर और मन को अशुद्ध करता है.
– हमारी सांस्कृतिक परंपरा है कि सावन के महीने में मदिरा का सेवन नहीं किया जाए. सावन के महीने में, जब लोग आमतौर पर अपनी सेहत का ध्यान रखते हैं और विशेष आहार का पालन करते हैं, ऐसे में मदिरा का सेवन तमाम धार्मिक उद्देश्यों के विपरीत है.
– सावन के महीने में भक्त भगवान शिव की आराधना करते हैं, और इस दौरान पवित्रता और संयम बनाए रखने की कोशिश की जाती है.
– भोले के भक्त सावन में संयम और आत्म-नियंत्रण को बढ़ावा देने की कोशिश करते हैं. पैदल जाकर हरिद्वार से कांवड लाना और मंदिर में चढ़ाना जीवन को संयमित बनाने और शरीर पर आत्मनियंत्रण का एक तरीका होता है. वहीं, अल्कोहल का सेवन इस नियंत्रण को बाधित करता है जिससे व्यक्ति पूजा के उद्देश्यों से भटक सकता है.
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FIRST PUBLISHED : August 1, 2024, 06:36 IST