Saturday, October 19, 2024
HomeReligionVat Savitri Vrat 2024: पति की लंबी आयु के लिए सुहागिन करती...

Vat Savitri Vrat 2024: पति की लंबी आयु के लिए सुहागिन करती है पूजा

मधुबनी. पति की लंबी आयु एवं सौभाग्य की कामना के लिए सुहागिन महिलाएं 6 जून को ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या से युक्त रोहिणी नक्षत्र व धृति योग में वट सावित्री का व्रत करेंगी. इस दिन बरगद के वृक्ष की पूजा कर सुहागिन महिलाएं देवी सावित्री के त्याग, पति प्रेम एवं पतिव्रत धर्म का स्मरण करती हैं. यह व्रत सुहागिन स्त्रियों के लिए सौभाग्यवर्धक, पापहारक, दुख प्रणाशक और धन-धान्य प्रदान करने वाला होता है. इसमें ब्रह्मा, शिव, विष्णु एवं स्यवं सावित्री भी विराजमान रहती है. स्टेशन चौक स्थित हनुमान प्रेम मंदिर के पुजारी पं. पंकज झा शास्त्री ने कहा है कि ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या को वट सावित्री का व्रत पुण्यफल देने वाला संयोग बना है. इस दिन रोहिणी नक्षत्र एवं धृति योग भी विद्यमान रहेगा. इस बार वट सावित्री व्रत पर ग्रहों की स्थिति भी शुभकारी है. सनातन धर्म में बरगद के पेड़ की पूजा करने की परंपरा सदियों पुरानी है.

सनातन धर्म में इस वृक्ष को अक्षय वट भी कहा जाता है. यह पेड़ जितना धार्मिक महत्व रखता है, इसका उतना ही महत्व वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बरगद के पेड़ में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है. वहीं वैज्ञानिक रूप से बरगद के पेड़ की जड़, तना, फल तीनों में ही औषधीय गुण पाए जाते हैं. बरगद के पेड़ का सिर्फ धार्मिक ही नहीं है बल्कि आयुर्वेद में बहुत महत्व बताया गया है. इससे कई प्रकार की औषधियां प्राप्त की जा सकती हैं. घाव या खुली चोट है तो बरगद के पेड़ के दूध में हल्दी मिलाकर चोट वाली जगह पर बांधने से घाव जल्दी ही भर जाता है. इसके अलावा बरगद के पेड़ के पत्तों से निकलने वाले दूध को चोट, मोच या सूजन पर दिन में दो से तीन बार लगाकर मालिश करने से आराम मिलता है.

Also Read : Vat Savitri Mehndi Designs 2024: वट सावित्री पर दिखना है खास, तो अपने हाथों पर लगवाएं ये मेहंदी डिजाइन

Also Read : Fashion Tips for Vat Savitri Vrat: वट सावित्री व्रत के दिन खूबसूरत लुक देंगे ये टिप्स

पंडित पंकज झा शास्त्री के अनुसार वट सावित्री पूजा के दिन वट वृक्ष का पूजन-अर्चन करने का विधान है. व्रत करने से सौभाग्यवती महिलाओं की मनोकामना पूर्ण होती है और उनका सौभाग्य अखंड माना जाता है. वट सावित्री पूजा एकनिष्ठ पतिपरायणा स्त्रियां अपने पति को सभी दुख और कष्टों से दूर रखने में समर्थ होती है. जिस प्रकार पतिव्रता धर्म के बल से ही सावित्री ने अपने पति सत्यवान को यमराज के बंधन से छुड़ा लिया था. इतना ही नहीं खोया हुआ राज्य तथा अंधे सास-ससुर की नेत्र ज्योति भी वापस दिला दी थी.

Also Read : Vat Savitri Vrat 2024 कब है, यहां जानें पूजा विधि और पूजन का शुभ मुहूर्त

वट सावित्री व्रत शुभ मुहूर्त

अमावस्या तिथि आरंभ 5 जून संध्या 7: 6 के बाद

अमावस्या तिथि समापन 6 जून 5:43 तक.

वटवृक्ष पूजन मुहूर्त 6 जून को प्रातः 5:14 से दिन के 3:23 तक अति उत्तम है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है


Home

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular