Brain Eating Amoeba: केरल राज्य में दिमाग खाने वाले अमीबा का कहर जारी है. अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस बीमारी के कारण अब तक कई बच्चों की जान जा चुकी है. यह एक प्रकार का ब्रेन इन्फेक्शन है जो Brain Eating Amoeba से संक्रमित होने की वजह से फैल रहा है. ध्यान देने वाली बात यह है कि अमेबिक इंसेफलाटिस का संक्रमण एक दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है. चलिए डॉक्टर अमित राय से जानते हैं अमीबा कैसे दिमाग में प्रवेश करता है और कैसे इससे बचा जा सकता है.
अमीबा दिमाग में कैसे प्रवेश कर सकता है?
डॉक्टर का कहना है कि सबसे पहले हमे यह समझने की जरूरी है कि दिमाग खाने वाला अमीबा है क्या. यह नेग्लरिया फाउलेरी कोशिका वाला जीव है जो गंदा पानी, तालाब, नदियों, गंदे स्वीमिंग पूल और झीलों के अलावा मिट्टी में भी पाया जाता है. अब बात आती है यह जानने की कि अमीबा दिमाग में कैसे प्रवेश कर रहा है तो यह नाक के माध्यम से हमारी शरीर में एंट्री करता है. अमीबा नाक से सीधे दिमाग तक पहुंचता है और यहां से यह अपना काम शुरू कर देता है. तेजी से ब्रेन के टिशूज को खत्म कर देता है. जिसके कारण ब्रेन में सूजन हो जाती है. अमीबा से संक्रमित कुछ व्यक्ति में इसके लक्षण दो दिन में तो कुछ के 15 दिन में दिखने लगते हैं. मस्तिक खाने वाले अमीबा से संक्रमित व्यक्ति को तेज बुखार, बहुत ही भयानक सिरदर्द, उल्टी आदि देखने को मिलता है. हालांकि जब तक किसी को इस बीमारी के बारे में जानकारी होती तब तक रोगी की जान चली जाती है.
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दिमाग खाने वाले अमीबा से कैसे बचा जाए
अगर आप चाहते हैं कि दिमाग खाने वाले अमीबा से कैसे बचा जाए तो आपको बता दें जब भी आप स्वीमिंग पूल में नहाते समय, तालाब या फिर नहीं नदी में नहाते समय नोज प्लग का इस्तेमाल करें. पानी को किटाणुरहित बनाने के लिए क्लोरीन का उपयोग जरूर करें. अगर आपको लगता है कि नहाकर आने के बाद से आपके सिर में दर्द और बुखार है तो आप तुरंत डॉक्टर के पास जाएं.
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