Thursday, December 19, 2024
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आपके घर या आप पर किसी ने कर दिया है तंत्र-मंत्र या जादू-टोना? प्रेमानंद महाराज से जानें सच और उपाय

कुछ लोगों को आपने यह कहते सुना होगा कि वह काफी मेहनत कर रहा है लेकिन सफलता नहीं मिल रही है. उसके घर की बरकत नहीं हो रही है. उस पर या उसके घर पर किसी से जादू-टोना कर दिया है. तंत्र-मंत्र या बाहरी चक्कर से वह और उसका घर परेशान है. नकारात्मक शक्तियों के कारण उसके परिवार की उन्नति नहीं हो पा रही है. यदि आपके भी मन में इस तरह की बातें हैं तो आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए. वृंदावन के रहने वाले प्रेमानंद महाराज ने तंत्र-मंत्र, जादू-टोना या बाहरी चक्कर की सच्चाई के बारे में लोगों को बताया है. आइए जानते हैं इसके बारे में.

तंत्र-मंत्र या जादू-टोना का क्या है सच?
प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि उनके पास कोई-कोई आते हैं, जो कहते हैं कि उनके घर पर किसी ने कोई बाहरी चक्कर या जादू-टोना कर दिया है. इस पर प्रेमानंद महाराज उनसे कहते हैं ​कि किसी और ने नहीं, यह आपने स्वयं किया है. यह बाहरी चक्कर नहीं है, यह आपके दिमाग का भीतरी चक्कर है.

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क्या है बाहरी चक्कर या जादू-टोना का उपाय?
राधरानी के भक्त प्रेमानंद महाराज बताते हैं कि आप अपने घर में रोज भागवत कथा का एक पाठ करो और आधा घंटा नाम कीर्तन करो. उसके बाद थोड़ी आरती करके ठाकुर जी के समक्ष दीपक जला दो. इस काम को आप दो महीने करो. उसके बाद आकर उनको बताओ कि कौन सा चक्कर रह गया है या आपके भीतर कोई परेशानी रह गई है.

कौन हैं प्रेमानंद महाराज?
प्रेमानंद महाराज वृंदावन में राधा वल्लभ सम्प्रदाय से जुड़े हुए हैं. वे राधारानी के परम भक्त हैं. वे उनको श्रीजी और लाडली जी के नाम से पुकारते हैं. ये इस समय में अपने भजन और सत्संग के माध्यम से काफी लोकप्रिय हैं. इनके पास आम आदमी से लेकर सेलिब्रिटी तक आते हैं. वे अपने ज्ञान और उपदेशों से लोगों का मार्गदर्शन करते हैं.

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प्रेमानंद महाराज का वास्तविक नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे है. संन्यासी जीवन से पूर्व कानपुर में रहते थे. उनका जन्म एक सामान्य ब्राह्मण परिवार में हुआ है. वृंदावन आने से पूर्व वह भगवान शिव की नगरी काशी यानी आज के वाराणसी में काफी समय तक रहे हैं. वहां पर वह शिव भक्ति करते थे. लेकिन एक बार जब वे चैतन्य लीला और रासलीला देखने गए तो उन पर इतना प्रभाव पड़ा कि वे राधारानी के शरण में आ गए. तब से वे लाडली जी की भक्ति कर रहे हैं.

Tags: Dharma Aastha, Premanand Maharaj, Religion


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