अगस्त के महीने में भानु सप्तमी भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को है. इस बार भानु सप्तमी के दिन दो शुभ योगों का निर्माण हो रहा है और यह रविवार के दिन पड़ रहा है. इसकी वजह से भानु सप्तमी और भी महत्वपूर्ण है. भानु सप्तमी के दिन साक्षात् देव भगवान भास्कर यानि सूर्य देव की पूजा करते हैं. सूर्य देव की कृपा से व्यक्ति के रोग और दोष मिटते हैं, उसका जीवन धन और धान्य से भर जाता है. श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ मृत्युञ्जय तिवारी से जानते हैं कि भानु सप्तमी कब है? भानु सप्तमी के दिन कौन से योग बन रहे हैं? भानु सप्तमी पर स्नान-दान का मुहूर्त क्या है?
भानु सप्तमी 2024 तारीख
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि 25 अगस्त को सुबह 5 बजकर 30 मिनट से प्रारंभ होगी. इस तिथि की समाप्ति 26 अगस्त को तड़के 3 बजकर 39 मिनट पर होगी. उदयातिथि के आधार पर भानु सप्तमी 25 अगस्त रविवार को मनाई जाएगी.
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2 शुभ योग में है भानु सप्तमी
25 अगस्त को भानु सप्तमी के दिन 2 शुभ योग बन रहे हैं. पहला रवि योग और दूसरा त्रिपुष्कर योग है. रवि योग सुबह में 05:56 बजे से लेकर शाम 04:45 बजे तक है. वहीं त्रिपुष्कर योग प्रात: 04:45 बजे से अगले दिन 26 अगस्त को तड़के 03:39 बजे तक है.
रवि योग में सूर्य का प्रभाव अधिक रहता है, जिसके कारण सभी प्रकार के दोष खत्म हो जाते हैं. वहीं त्रिपुष्कर योग में आप जो भी शुभ कार्य करते हैं, उसका तीन गुना फल प्राप्त होता है.
भानु सप्तमी 2024 मुहूर्त
भानु सप्तमी के दिन आप स्नान और दान ब्रह्म मुहूर्त में कर सकते हैं. उस दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:27 बजे से 05:11 बजे तक है. सुबह 05:56 बजे से रवि योग बन रहा है, ऐसे में आप इस समय से भी स्नान और दान कर सकते हैं. यह समय सूर्य पूजा के लिए भी उत्तम है.
रवि योग में सूर्य पूजा का अधिक पुण्य फल प्राप्त होगा. भानु सप्तमी के दिन का शुभ मुहूर्त यानि अभिजीत मुहूर्त दिन में 11:57 बजे से दोपहर 12:49 बजे तक है.
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भानु सप्तमी 2024 पूजा विधि
भानु सप्तमी के दिन सुबह में उठकर दैनिक क्रियाओं से निवृत हो जाएं. फिर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें. उसके बाद सूर्य देव की पूजा करें. तांबे के लोटे में साफ पानी भर लें, फिर उसमें लाल फूल, लाल चंदन, गुड़ आदि डाल दें. उससे सूर्य देव को अर्घ्य दें. अर्घ्य देते समय सूर्य मंत्र का उच्चारण करें. सूर्य चालीसा और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें. उसके बाद गायत्री मंत्र का जाप करें.
सूर्य पूजा के बाद अपनी क्षमता के अनुसार दान करें. आप गेहूं, लाल फल, लाल फूल, लाल या नारंगी रंग का कपड़ा, गुड़, तांबे के बर्तन आदि का दान कर सकते हैं. इससे आपकी कुंडली का सूर्य दोष दूर होगा. सूर्य के मजबूत होने से पिता के साथ संबंध मजबूत होंगे. करियर में आपका प्रभाव अच्छा होगा.
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FIRST PUBLISHED : August 23, 2024, 13:54 IST