Bank withdrawal change: चुनाव आयोग ने उम्मीदवारों के चुनाव खर्च पर प्रभावी निगरानी के लिए व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए हैं. इनमें व्यय पर्यवेक्षक, सहायक व्यय पर्यवेक्षक, उड़न दस्ते (Flying Squads), स्थिर निगरानी दल (Static Surveillance Teams), वीडियो निगरानी दल (Video Surveillance Teams), वीडियो देखने वाली टीमें (Video Viewing Teams), लेखा टीमें (Accounting Teams), मीडिया प्रमाणन एवं निगरानी समिति (MCMC), जिला व्यय निगरानी समिति (DEMC), जिला शिकायत समिति के गठन जैसी व्यवस्थाएँ शामिल हैं. इसके अलावा, कई प्रवर्तन एजेंसियों को शामिल किया गया है जैसे राज्य पुलिस विभाग, राज्य उत्पाद शुल्क विभाग, राज्य वाणिज्यिक विभाग, आयकर विभाग, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC), प्रवर्तन निदेशालय (ED), वित्तीय खुफिया इकाई (FIU), नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) और अन्य.
शराब और मुफ्त वस्तुओं पर निगरानी
राज्य उत्पाद शुल्क विभाग को चुनाव प्रक्रिया के दौरान शराब के उत्पादन, वितरण, बिक्री और भंडारण की निगरानी करने के लिए कहा गया है. इसके साथ ही, चुनाव प्रक्रिया के दौरान मुफ्त वस्तुओं के वितरण पर भी कड़ी नजर रखी जाएगी. उड़न दस्तों और मोबाइल टीमों के संचालन की निगरानी GPS ट्रैकिंग और cVIGIL ऐप का उपयोग करके की जाएगी. उम्मीदवारों को अपने चुनाव खर्च को पारदर्शी रखने के लिए एक अलग बैंक खाता खोलना होगा और सभी खर्चे उसी खाते से करने होंगे.
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हवाई अड्डों पर नकदी की निगरानी
आयकर विभाग के जांच निदेशालय को राज्य/संघ राज्य क्षेत्र के हवाई अड्डों पर एयर इंटेलिजेंस यूनिट सक्रिय करने और बड़ी नकदी की आवाजाही पर नजर रखने का निर्देश दिया गया है. चुनाव प्रक्रिया के दौरान जिला स्तर पर नियंत्रण कक्ष और शिकायत निगरानी केंद्र 24 घंटे टोल-फ्री नंबर के साथ संचालित होंगे.
बैंकों से नकदी निकासी पर नजर
जिला चुनाव अधिकारियों (DEOs) को बैंकों से 1 लाख रुपये से अधिक की नकदी निकासी या जमा की जानकारी प्राप्त करने और संदिग्ध मामलों की जांच करने का निर्देश दिया गया है. अगर राशि 10 लाख रुपये से अधिक है, तो इस सूचना को आयकर विभाग को कार्रवाई के लिए भेजा जाएगा. इसके साथ ही, वित्तीय खुफिया इकाई (FIU-IND) को भी कैश ट्रांजेक्शन रिपोर्ट्स (CTR) और संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट्स (STR) को केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) के साथ साझा करने के लिए कहा गया है ताकि उम्मीदवारों के चुनाव खर्च पर कड़ी निगरानी रखी जा सके.
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नए उपाय: चुनाव व्यय निगरानी प्रणाली को सशक्त बनाना
- कैश जब्ती और रिहाई की SOP: चुनावों की शुद्धता बनाए रखने के लिए आयोग ने उड़न दस्तों और स्थिर निगरानी टीमों के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) जारी की है, ताकि अत्यधिक चुनाव खर्च, नकद या वस्तु के रूप में रिश्वत वितरण, अवैध हथियारों की आवाजाही, शराब आदि पर नजर रखी जा सके. जिला शिकायत समिति का गठन भी किया जाएगा जो नकदी या मूल्यवान वस्तुओं की जब्ती के मामलों की जांच करेगी और अगर किसी उम्मीदवार या राजनीतिक दल से संबंधित नहीं पाया गया तो इसे वापस किया जाएगा.
- चुनाव वाहनों का खर्च: आयोग ने यह पाया है कि कुछ उम्मीदवार प्रचार वाहनों के उपयोग के लिए अनुमति तो लेते हैं, लेकिन इन वाहनों के किराए या ईंधन खर्च को अपने चुनावी खर्च में नहीं दिखाते. अब यह अनिवार्य कर दिया गया है कि जब तक उम्मीदवार प्रचार से वाहनों को वापस लेने की सूचना नहीं देंगे, तब तक अनुमति प्राप्त वाहनों के आधार पर खर्च का आकलन किया जाएगा.
- खर्च पुनः सुलह बैठक: चुनाव के खर्चों के विवादों को कम करने के लिए जिला चुनाव अधिकारी (DEOs) द्वारा परिणामों की घोषणा के 26वें दिन उम्मीदवारों के खातों की पुनः सुलह बैठक आयोजित की जाएगी.
- आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों के प्रचार खर्च: उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार, उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों को उम्मीदवारों की आपराधिक पृष्ठभूमि का प्रचार करने के लिए खर्च को अपने चुनावी खर्च के बयान में शामिल करना होगा.
- प्रचार बूथ और मीडिया खर्च: उम्मीदवारों के बूथों और उनके स्वामित्व वाले टीवी चैनलों या अखबारों द्वारा किए गए प्रचार खर्च को उम्मीदवार के चुनाव खर्च में शामिल किया जाएगा.
- वर्चुअल प्रचार खर्च: वर्चुअल माध्यमों से प्रचार पर हुए खर्च को भी उम्मीदवारों को अपने खर्च विवरण में शामिल करना होगा.
- चुनाव व्यय सॉफ्टवेयर (IEMS): चुनाव आयोग ने ऑनलाइन पोर्टल शुरू किया है जिससे राजनीतिक दल आसानी से अपने व्यय रिपोर्ट्स और वार्षिक लेखा विवरण दाखिल कर सकें.
- चुनाव जब्ती प्रबंधन प्रणाली (ESMS): एक मोबाइल ऐप भी शुरू किया गया है जिससे जब्त वस्तुओं की जानकारी डिजिटाइज की जा सकेगी.
- चुनाव खर्च की सीमा: झारखंड और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों के लिए चुनाव खर्च की अधिकतम सीमा 40 लाख रुपये प्रति उम्मीदवार निर्धारित की गई है.
मीडिया की भूमिका और सोशल मीडिया की निगरानी
चुनाव प्रबंधन में मीडिया की भूमिका को महत्वपूर्ण मानते हुए आयोग ने मीडिया के साथ सकारात्मक और प्रभावी संवाद बनाए रखने का निर्देश दिया है. राजनीतिक विज्ञापनों के पूर्व प्रमाणन और नकली खबरों की निगरानी के लिए जिला और राज्य स्तर पर मीडिया प्रमाणन और निगरानी समितियों (MCMC) का गठन किया गया है. इसके साथ ही, सोशल मीडिया पर राजनीतिक गतिविधियों की भी निगरानी की जाएगी. सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को निर्देश दिया गया है कि उनके समर्थक सोशल मीडिया पर घृणास्पद भाषण या फर्जी खबरों का प्रसार न करें. इन सभी उपायों के जरिए चुनाव आयोग चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहा है.
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