Monday, October 21, 2024
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Bangladesh Violence: बांग्लादेश में क्यों भड़की हिंसा?

Bangladesh Violence: सरकारी नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ बांग्लादेश में हिंसा भड़की. जिसके बाद शनिवार को पुलिस ने पूरे देश में कठोर कर्फ्यू लागू कर दिया और सैन्य बलों ने राष्ट्रीय राजधानी ढाका के विभिन्न हिस्सों में गश्त की. बांग्लादेश में हिंसा भड़कने से कई लोगों की मौत हुई है जबकि सैकड़ों लोग घायल हुए हैं. रिपोर्ट के अनुसार अबतक 43 लोग मारे गए हैं. गुरुवार को प्रदर्शनकारी छात्रों द्वारा देश में पूर्ण बंद लागू करने के प्रयास के दौरान 22 लोगों की मौत हुई थी. मंगलवार और बुधवार को भी कई लोग मारे गए थे.

बांग्लादेश में हिंसा, देखें वीडियो

अबतक 778 भारतीय छात्रों को सुरक्षित स्वदेश लाया गया

विदेश मंत्रालयब ने बताया, अब तक 778 भारतीय छात्र विभिन्न बंदरगाहों के माध्यम से भारत लौट आए हैं. इसके अलावा, लगभग 200 छात्र ढाका और चटगांव हवाई अड्डों के माध्यम से नियमित उड़ान सेवाओं द्वारा स्वदेश लौट आए हैं. ढाका में भारतीय उच्चायोग और हमारे सहायक उच्चायोग बांग्लादेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में रह रहे 4000 से अधिक छात्रों के साथ नियमित संपर्क में हैं और उन्हें आवश्यक सहायता प्रदान कर रहे हैं. नेपाल और भूटान के छात्रों को भी अनुरोध के बाद भारत में प्रवेश करने में सहायता की गई है.

कर्फ्यू में दो घंटे की दी जाएगी ढील

देश में कर्फ्यू आधी रात से शुरू हुआ. दोपहर 12 बजे से 2 बजे तक इसमें ढील दी जाएगी ताकि लोग जरूरी सामान खरीद सकें. इसके बाद रविवार सुबह 10 बजे तक कर्फ्यू फिर से लागू रहेगा. सत्तारूढ़ अवामी लीग पार्टी के महासचिव और सांसद उबेद-उल-कादर ने बताया कि उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने का आदेश जारी किया गया है.

क्यों भड़की हिंसा

प्रदर्शनकारी उस प्रणाली को समाप्त करने की मांग कर रहे हैं जिसके तहत 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम में लड़ने वाले पूर्व सैनिकों के रिश्तेदारों को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत तक आरक्षण दिया जाता है. प्रदर्शनकारियों का तर्क है कि यह प्रणाली भेदभावपूर्ण है और प्रधानमंत्री शेख हसीना के समर्थकों को लाभ पहुंचा रही है. शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग पार्टी ने मुक्ति आंदोलन का नेतृत्व किया था. छात्र चाहते हैं कि इसे योग्यता आधारित प्रणाली में तब्दील किया जाए. वहीं हसीना ने आरक्षण प्रणाली का बचाव करते हुए कहा कि युद्ध में भाग लेने वालों को सम्मान मिलना चाहिए भले ही वे किसी भी राजनीतिक संगठन से जुड़े हों.


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