Vastu remedies for home: वास्तु का अर्थ है भगवान और मनुष्य का साथ. हमारा शरीर पांच मुख्य पदार्थों से बना है और वास्तु का संबंध इन पांचों ही तत्वों से माना जाता है. कई बार ऐसा होता है कि हमारा घर, दुकान या ऑफिस हमारे शरीर के अनुकूल नहीं होता, तब यह बात हम पर विपरीत असर डालती है और इसे ही वास्तु दोष कहा जाता है. घर के किसी भी भाग को तुड़वाकर दोबारा बनवाने से भी वास्तु भंग दोष लगता है. वास्तु देवता को वास्तु रक्षक, वास्तु भूत और वास्तु पुरुष जैसे नामों से जाना जाता है. वास्तु शास्त्र के मुताबिक, हवन करने से वास्तु दोष दूर होते हैं और घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है. वास्तु देवता से जुड़े हवन से जुड़ी कुछ खास बातेंः
वास्तु शास्त्र के मुताबिक, हवन करने के लिए घर के अग्नि कोण यानी दक्षिण-पूर्व दिशा को सबसे अच्छा माना जाता है.
1. हवन करने वाले व्यक्ति का मुंह दक्षिण-पूर्व की तरफ़ होना चाहिए.
2. हवन में अग्नि प्रज्वलित करने के बाद शहद, घी, फल वगैरह की आहुति दी जाती है.
3. हवन के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए और उन्हें वस्त्र और मुद्रा का दान देना चाहिए.
4. हवन करने से वातावरण शुद्ध होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है.
5. वास्तु शास्त्र के मुताबिक घर बनाने से पहले भूमि पूजन और शिलान्यास की पूजा करनी चाहिए.
6. घर बनने के बाद गृह प्रवेश की पूजा करनी चाहिए
वास्तु दोष को दूर करता है हवन
वास्तु शास्त्र के अनुसार, हवन-पूजा कराने से वातावरण में सकारत्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ता है. घर बनाने के दौरान वास्तु दोष को दूर करने के लिए हवन किया जाता है. घर बनाने में किसी तरह का कोई वास्तु दोष न रह जाएं, इसलिए निर्माण से पहले शुभ मुहूर्त में भूमि पूजन और शिलान्यास की पूजा की जाती है. इसके बाद घर बनने के बाद गृह प्रवेश की पूजा की जाती है, जिससे आंतरिक और बाहरी वातावरण शुद्ध और पवित्र बना रहे.
वास्तु दोष के निवारण के लिए ही वास्तु हवन किया जाता है. वास्तु हवन मुख्यतः नए घर या ऑफिस में प्रवेश से पहले किया जाता है. हवन करवाने वाले व्यक्ति को या दंपति को हवन होने तक उपवास रखना चाहिए.
वास्तु हवन की विधि
वास्तु हवन के लिए सबसे पहले हवन वेदी की स्थापना की जाती है फिर चारों दिशाओं में 32 देवता और मध्य मे 13 देवता स्थापित किए जाते है. मंत्रोच्चरण से सभी देवताओं का आह्वान किया जाता है. इसके बाद आठों दिशाओं, पृथ्वी व आकाश की पूजा की जाती है. हवन वेदी पर हवन कुंड रखकर अग्नि की स्थापना की जाती है. फिर अग्नि प्रज्वलित करके इसमें हवन सामग्री में तिल, जौ, चावल, घी, बताशे मिलाकर वास्तु मंत्र पढ़ते हुए 108 आहुतियां दी जाती है. अंत में हवन कुंड में पूर्ण आहुति दी जाती है. भोग लगाया जाता है और इसी के साथ हवन संपन्न किया जाता है.किसी शुभ दिन या रवि पुष्य योग को वास्तु हवन पूजन कराना चाहिए.
वास्तु पूजन का मंत्र
वास्तोष्पते प्रति जानीह्यस्मान् त्स्वावेशो अनमीवोरू भवान्
यत् त्वेमहे प्रति तन्नो जुषस्व शं नो भव द्विपदे शं चतुष्पदे
वास्तु हवन पूजन सामग्री
पूजन सामग्री में सिक्कें, सुपारी, सुगंधित द्रव्य, नारियल, मौली, कुमकुम, चावल, खोपरा गोला, आम की लकड़ी, आम के पत्तें, जौ, काले तिल, असली घी, पंचमेवा, पांच प्रकार की मिठाई, पांच प्रकार के फल, पांच प्रकार के फूल, हवन सामग्री, तिल, जौ, चावल, घी, बताशे, हवन कुंड आदि.वास्तु हवन घर या ऑफिस की गलत दिशात्मक संरचना के दुष्प्रभाव से बचाता है.
सभी मह्त्वपूर्ण कार्यो जैसे अनुष्ठान, भूमि पूजन, नींव खनन, कुआं खनन, शिलान्यास, द्वार स्थापन व गृह प्रवेश आदि अवसरों पर वास्तु देव पूजा का विधान है.
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वास्तु हवन के लिए सबसे पहले हवन वेदी की स्थापना की जाती है. चारों दिशाओं में 32 देवता और मध्य में 13 देवता स्थापित किए जाते हैं. मंत्रोच्चारण से देवताओं का आह्वान किया जाता है. आठों दिशाओं, पृथ्वी और आकाश की पूजा की जाती है. हवन कुंड में अग्नि प्रज्वलित करके हवन सामग्री में तिल, जौ, चावल, घी, बताशे मिलाकर 108 आहुतियां दी जाती हैं. अंत में पूर्ण आहुति दी जाती है.वास्तु हवन में सिक्कें, सुपारी, सुगंधित द्रव्य, नारियल, मौली, कुमकुम, चावल, खोपरा गोला, आम की लकड़ी, आम के पत्तें, जौ, काले तिल, असली घी, पंचमेवा, पांच प्रकार की मिठाई, पांच प्रकार के फल, पांच प्रकार के फूल, हवन सामग्री, तिल, जौ, चावल, घी, बताशे, और हवन कुंड की आवश्यकता होती है.
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FIRST PUBLISHED : October 17, 2024, 15:32 IST