Shardiya Navratri: नवरात्रि के सातवें दिन को महासप्तमी भी कहा जाता है. नवरात्रि के 7वें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है. देवी कालरात्रि को मां दुर्गा के नौ अवतारों में बहुत ही क्रोधी देवी माना जाता है क्योंकि जब-जब धरती पर पाप बढ़ जाता है, तो देवी कालरात्रि का अवतार लेकर पापियों का संहार करने के लिए आती हैं. देवी कालरात्रि को अंधकार की देवी भी कहा जाता है लेकिन देवी कालरात्रि केवल दुष्टों का ही संहार करती हैं. अपने भक्तों और अच्छे मनुष्यों पर देवी कालरात्रि की कृपा हमेशा बनी रहती है, जो भी भक्त देवी कालरात्रि की पूजा करता है, उसे अकाल मृत्यु का खतरा नहीं रहता.
कालरात्रि माता कौन हैं?
नवरात्रि का सातवां दिन कालरात्रि माता को समर्पित होता है. ‘कालरात्रि’ नाम का अर्थ है ‘अंधेरी रात’. कालरात्रि क्रोध में विकराल रूप धारण कर लेती हैं. काले रंग और बिखरे बालों के साथ, वह अंधकार का प्रतिनिधित्व करती हैं. उनके गले में एक चमकदार मुंड माला है, जो बिजली जैसी दिखती है. कालरात्रि सभी बुरी शक्तियों का नाश करती हैं और अपने भक्तों की रक्षा करती हैं. वह अंधकार में विकराल रूप जरूर धारण करती है लेकिन उनके आगमन से दुष्टों का विनाश होता है और चारों ओर प्रकाश हो जाता है. मां कालरात्रि को देवी काली का रूप भी माना जाता है. देवी कालरात्रि पापियों का संहार करके उनका लहू पीती हैं.
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माता कालरात्रि की पूजा का महत्व
माता कालरात्रि की पूजा करने से भक्तों के जीवन से भय का नाश होता है. साथ ही भक्त पराक्रमी और साहसी बनते हैं. कालरात्रि की पूजा करने से समस्याओं से लड़ने की अद्भुत क्षमता का विकास होता है. महासप्तमी पर माता कालरात्रि की पूजा का विशेष महत्व होता है. कालरात्रि की कृपा से भक्तों के सभी शत्रुओं का नाश होता है और वे विजय पथ पर आगे बढ़ते रहते हैं.
मूलांक 7 वाले यह लगाएं माता को भोग
माता कालरात्रि को गुड़ या गुड़ से बनी चीजों का भोग लगाया जाता है. साथ ही माता कालरात्रि को मालपुए का भोग भी लगा सकते हैं. इससे कालरात्रि मां की कृपा आप पर बनी रहेगी. कालरात्रि मां को मीठे का भोग इसलिए भी लगाया जाता है क्योंकि माना जाता है कि क्रोधित माता को मीठा खिलाकर ही शांत और प्रसन्न किया जा सकता है.
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FIRST PUBLISHED : October 10, 2024, 07:45 IST