Navami Shradh 2024: आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि का महत्वपूर्ण मानी जाती है, इस तिथि को मातृ नवमी या मातृ श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है. इस बार मातृ नवमी का श्राद्ध कर्म 26 सितंबर दिन गुरुवार किया जाएगा. इस दिन माताओं, महिलाओं, मृत बेटियों का श्राद्ध करना बहुत शुभ माना जाता है. साथ ही इस दिन उन लोगों का श्राद्ध कर्म किया जाता है, जिनकी मृत्यु नवमी तिथि को हुई हो. मातृ नवमी का श्राद्ध कर्म 26 सितंबर 2024 दिन गुरुवार को है और इस दिन दिवंगत माताओं-बहनों का श्राद्ध किया जाता है. नवमी तिथि को माता दुर्गा के नौवें स्वरूप की पूजा-अर्चना भी की जाती है. मातृ नवमी की तिथि को सौभाग्यवती श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है.
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नवमी तिथि, तिथि क्रम में नंबर 9 पर आती है, इसलिए इसका मूलांक 9 होता है. हिंदू पंचांग में, महीने में आने वाली नौमी तिथि को नवमी कहते हैं. यह तिथि महीने में दो बार आती है- पूर्णिमा के बाद और अमावस्या के बाद. पूर्णिमा के बाद आने वाली नवमी को कृष्ण पक्ष की नवमी और अमावस्या के बाद आने वाली नवमी को शुक्ल पक्ष की नवमी कहते हैं. नवमी तिथि गुरुवार 26 सितंबर, 2024 को दोपहर 12:28 तक रहेगी.
मूलांक 9 का इस तिथि से होता है गहरा संबंध
नवमी तिथि भी 9 मूलांक की तिथि है. इसलिए जिन जातकों का जन्म किसी भी माह की 9, 18, 27 तारीख को हुआ है, उनका मूलांक 9 होता है. मूलांक 9 मंगल का प्रतिनिधित्व करता है, मनुष्य को अपने जीवन में ऊर्जा, साहस, उत्साह, किसी भी कार्य को निडरता से करने की क्षमता मंगल से ही मिलती है. मंगल सौभाग्यदाता ग्रह है. इन सबकी पूर्ति अंकज्योतिष में अंक 9 से होगी. पितृ पक्ष में नवमी के दिन मूलांक 9 वालों को करने चाहिए कुछ उपाय, जिससे उनके कुंडली में पितृ दोष की शांति हो सके एवं उनका भाग्योदय हो सके.
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मूलांक 9 वालों को ये करना चाहिए उपाय
इस दिन सौभाग्य प्राप्ति के लिए विवाहित महिलाओं को व्रत करना चाहिए क्योंकि इस श्राद्ध तिथि को सौभाग्यवती श्राद्ध कहा जाता है. शास्त्रों में बताया गया है कि मातृ नवमी के दिन श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को धन, सुख-शांति, ऐश्वर्य और संपत्ति आदि की प्राप्ति होती है और सौभाग्य हमेशा बना रहता है.
दिवंगत महिलाओं का श्राद्ध के दौरान पंचबलि के लिए भोजन अवश्य निकालना चाहिए. मातृ नवमी के दिन ब्राह्मण भोज के अलावा गरीब व जरूरतमंद लोगों को भी भोजन अवश्य कराना चाहिए, ताकि सभी मातृ शक्तियों का आशीर्वाद प्राप्त हो सके. इस दिन घर की महिलाओं को स्वच्छ वस्त्र पहनकर घर के बाहर रंगोली बनानी चाहिए और घर के दक्षिण दिशा में पितरों की पूजा-अर्चना करें और तुलसी की पत्तियां अर्पित करें. साथ ही आटे का बड़ा दीपक बनाकर तिल के तेल का दीपक जलाएं. श्राद्ध कर्ता को इस दिन भगवत गीता के नवें अध्याय का पाठ भी करना चाहिए.
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FIRST PUBLISHED : September 26, 2024, 08:55 IST