Sunday, November 17, 2024
HomeReligionइस नक्षत्र में जन्मे लोग बनते हैं बड़े पत्रकार, टीवी शो पर...

इस नक्षत्र में जन्मे लोग बनते हैं बड़े पत्रकार, टीवी शो पर करते हैं कॉमेडी, वैवाहिक जीवन में रहती समस्या, जानें उपाय

Punarvasu Nakshatra: ग्रहों और नक्षत्रों का हमारे जीवन पर काफी शुभ प्रभाव पड़ता है. व्यक्ति का जन्म जिस नक्षत्र में हुआ है उसका प्रभाव उसके जीवन में देखने को मिलता है. ज्योतिषशास्त्र में बताया गया है कि जिस व्यक्ति का जन्म पुनर्वसु नक्षत्र में होता है उनकी वाणी कोमल व मधुर होती है. इस नक्षत्र पर गुरू का प्रभाव होता है इसलिए इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति का शरीर भारी-भरकम होता है. इनकी याददाश्त बड़ी अच्छी होती है. 27 नक्षत्रों में इसका स्थान सातवां है. ऐसी मान्यता है कि पुनर्वसु नक्षत्र में जिनका जन्म होता है उनमें कुछ दैवी शक्तियां होती है. समय-समय पर इन्हें ईश्वरीय कृपा का लाभ मिलता रहता है. अपने नेक और सरल स्वभाव के कारण यह समाज में मान-सम्मान और आदर प्राप्त करते हैं. पढ़ने-लिखने में यह काफी होशियार होते हैं.

पुनर्वसु नक्षत्र के लिए उपयुक्त प्रोफेशन : इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोगों को जीवन में काफी मान-सम्मान मिलता है. ये एक अच्छे लेखक और शिक्षक होते हैं. ये पंडित, प्राचीन वस्तुओं के विक्रेता, न्यूजपेपर, रेडियो और टीवी इंडस्ट्री, पोस्टल सर्विस आदि से जुड़े हो सकते हैं. इस नक्षत्र वाले व्यक्ति रचनात्मक स्वभाववाले होते हैं. कला-संगीत के प्रति स्वाभाविक रुचि होती है. ऐसे व्यक्ति मीडिया, फैशन और मनोरंजन उद्योग में भी सफलता प्राप्त करते हैं.

पुनर्वसु नक्षत्र का व्यक्तित्व : इस नक्षत्र में जन्मे लोग स्वभाव से काफी शांत और सौम्य होते हैं, ऐसे में इनके मन में अपने माता-पिता के प्रति काफी आदर का भाव होता है. ये अपने माता-पिता और गुरु का सम्मान करते हैं. हालांकि, इनका वैवाहिक जीवन थोड़ा परेशानी भरा रह सकता है. ऐसे में इन्हें जीवनसाथी के साथ तालमेल बनाकर चलने की जरूरत होती है.

बड़े खिलाड़ी या अधिकारी बनते हैं इस नक्षत्र में पैदा हुए लोग, ग्रह खराब हों तो बन सकते हैं शराबी, जानें इसके उपाय !

पुनर्वसु नक्षत्र में जन्म लेने वालों का स्वास्थ्य : इस नक्षत्र में जन्म लेने वालों को फेफड़े, छाती और पेट की समस्या का सामना करना पड़ सकता है. हालांकि, यह स्थिति नक्षत्र के दोषपूर्ण होने की स्थिति में ही उत्पन्न होती है. वैसे इन्हें कान, गला आदि की भी परेशानी हो सकती है, लेकिन इन्हें कोई गंभीर स्वास्थ्य समस्या नहीं होती है. खानपान और दिनचर्या का ध्यान रखने से स्वास्थ्य समस्याओं से बचा जा सकता है.

महर्षि वाल्मीकि की रामायण के अनुसार, श्री राम का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को पुनर्वसु नक्षत्र और कर्क लग्न में हुआ था.

पुनर्वसु नक्षत्र से जुड़े कुछ उपाय :

  1. पूर्णिमा के दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना करें. मंदिर में सफेद फूल, चावल या दही का दान करें.
  2. दाहिने हाथ में चांदी का कड़ा या छल्ला धारण करें. प्रतिदिन 108 बार ओम नम शिवाय मंत्र का जाप करें.
  3. प्रत्येक सोमवार को घी और कपूर का दीपक जलाएं.
  4. अमावस्या के दिन सफेद वस्त्र, दाल और मिठाई का दान करें.
  5. बुधवार और शनिवार को भूखे लोगों को भोजन कराएं.

Tags: Astrology, Dharma Aastha, Vastu tips


Home

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular