हरिद्वार. वैदिक ज्योतिष के अनुसार गोचर का सीधा संबंध सभी 9 ग्रहों और 12 राशियों से होता है. गोचर का अर्थ ग्रहों की चाल से हैं. जब कोई ग्रह एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है तो इस प्रक्रिया को गोचर कहते हैं. ग्रहों के गोचर का देश दुनिया के साथ व्यक्ति के जीवन पर भी बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सभी ग्रह एक निश्चित अवधि में राशि परिवर्तन करते रहते हैं. सूर्य से लेकर केतु तक सभी ग्रहों के राशि परिवर्तन का समय अलग-अलग होता हैं. जब कोई ग्रह राशि परिवर्तन करता है तो उसका प्रभाव सभी राशियों के जातकों पर पड़ता हैं. ग्रहों के गोचर से कुछ राशियों को सकारात्मक फल मिलता है जबकि कुछ राशियों पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
ज्योतिष गणना के अनुसार करवा चौथ के दिन ‘ग्रहों के सेनापति’ मंगल ग्रह कर्क राशि में प्रवेश करेंगे. मंगल ग्रह 20 अक्टूबर की दोपहर को कर्क राशि में प्रवेश करेंगे. कर्क राशि मंगल ग्रह की नीच राशि है. इस दौरान मंगल और शनि एक दूसरे से छठे आठवें भाव में आकर खतरनाक योग बनाएंगे जिससे कई राशियों के जातकों पर इसका प्रभाव पड़ेगा. मंगल और शनि के इस योग से देश दुनिया में हिंसक की घटनाएं होने की ज्यादा आशंका बनेगी.
मंगल का नीच राशि में प्रवेश
हरिद्वार के ज्योतिषी पंडित शशांक शेखर शर्मा ने लोकल 18 को बताया कि मंगल ग्रह 20 अक्टूबर की दोपहर 2:46 पर अपनी नीच राशि कर्क में प्रवेश करेंगे. मंगल ग्रह के कर्क राशि में आने पर मंगल और शनि एक दूसरे से छठे आठवें भाव में आकर षडाष्टक योग बनाएंगे. शनि मंगल के इस योग का देश दुनिया पर प्रभाव पड़ेगा. मंगल और शनि के षडाष्टक योग का कई राशियों पर प्रभाव होगा. मंगल ग्रह को ऊर्जा, पराक्रम, साहस और आत्मविश्वास का कारक ग्रह माना गया है. मेष और वृश्चिक राशि के स्वामी मंगल ग्रह होते हैं. मंगल ग्रह कर्क राशि में नीच के होते है और मकर राशि में उच्च के माने गए है.
कब बनता है षडाष्टक योग?
पंडित शशांक शेखर शर्मा ने लोकल 18 को बताया कि वैदिक ज्योतिष के अनुसार मंगल ग्रह को अग्नि का कारक माना गया है. जबकि कर्क राशि जलीय राशि है इसलिए कर्क राशि मंगल की नीच राशि मानी गई है. मंगल और शनि के छठे-आठवें भाव में होने पर कर्क राशि, कुंभ राशि और मीन राशि के जातकों को विशेष तौर पर सतर्कता बरतनी होगी. मंगल और शनि के षडाष्टक योग का इन राशियों पर अपना अधिक प्रभाव पड़ेगा. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, जब दो ग्रह किसी कुंडली में एक-दूसरे से छठे और आठवें भाव में आते हैं, तो षडाष्टक योग बनता है. इस योग को अशुभ माना जाता है और यह करियर और आर्थिक मामलों में परेशानी ला सकता है.
करें ये उपाय
उपाय: मंगल ग्रह के कर्क राशि में प्रवेश करने पर छठे आठवें भाव में मंगल और शनि के आने से बन रहे षडाष्टक योग के अशुभ असर से बचने के लिए बजरंगबली की पूजा करना विशेष लाभकारी होगा. रोजाना हनुमान चालीसा का पाठ और बजरंग बाण का पाठ करने से अशुभ परिणाम शुभ में परिवर्तित हो जाएंगे. यदि रोजाना हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ नहीं कर सकते तो प्रत्येक मंगलवार को जरूर करें. मंगलवार और शनिवार के दिन बंदर को गुड चना खिलाने से भी लाभ मिलेगा.
Note: मंगल और शनि ग्रह के छठे आठवें भाव में आने से बन रहे षडाष्टक योग की विस्तार से अधिक जानकारी के लिए आप हरिद्वार के प्रसिद्ध ज्योतिषी पंडित शशांक शेखर शर्मा से उनके फोन नंबर 7895714521 और 9997509443 पर संपर्क कर सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED : October 19, 2024, 18:10 IST
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.