Monday, October 21, 2024
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30 दिनों बाद वक्री चाल चलेंगे ‘देवगुरु’, 3 राशियों का शुरू होगा अशुभ काल! हरिद्वार के ज्योतिषी से जानें सब

हरिद्वार. वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गोचर का सीधा संबंध सभी 9 ग्रहों और 12 राशियों से होता है. गोचर का अर्थ है ग्रहों की चाल. जब कोई ग्रह एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है तो इस प्रक्रिया को गोचर कहते हैं. ग्रहों के गोचर का व्यक्ति के जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सभी ग्रह एक निश्चित अवधि में अपनी राशि बदलते हैं. सूर्य से लेकर केतु तक सभी ग्रहों के राशि परिवर्तन की अवधि अलग-अलग होती है.

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब कोई ग्रह गोचर करते हुए वक्री होता है तो इसका कई राशियों पर अच्छा प्रभाव पड़ता है तो वहीं कुछ राशियों पर इसका नकारात्मक यानी बुरा प्रभाव भी पड़ता है. ग्रहों के वक्री होने से कुछ राशि के जातकों को धन लाभ, संपत्ति लाभ, नौकरियों में प्रमोशन, विदेश में नौकरी, विदेश यात्रा आदि सभी के योग बनते हैं तो वहीं कुछ लोगों को इस दौरान कष्ट का सामना करना पड़ता है जिससे उन्हें आकस्मिक धन खर्च, चोट लगना, परिवार में विवाद, गृह क्लेश आदि बहुत सी समस्याएं बनी रहती है.

4 महीने वक्री चाल चलेंगे देवगुरु
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बृहस्पति को देवगुरू, ज्ञान का कारक माना जाता है. बृहस्पति अक्टूबर के महीने में वक्री होने जा रहे हैं. ज्योतिष गणना के अनुसार, गुरु 9 अक्‍टूबर को सुबह 10 बजकर 1 मिनट से वृषभ राशि में वक्री होंगे. इसके बाद वे अगले साल 5 फरवरी तक इसी अवस्‍था में वृषभ राशि में गोचर करेंगे. 9 अक्टूबर 2024 से लेकर 5 फरवरी 2025 तक का समय कुछ राशियों के लिए यह समय बेहद ही शुभ और विशेष फल प्रदान करने वाला होगा तो वहीं इस दौरान कुछ राशियों को बेहद के लिए अशुभ रहेगा जिसमें उन्हे सावधानियां बरतनी होगी. हरिद्वार के विद्वान ज्योतिषी पंडित शशांक शेखर शर्मा ने बताया कि सभी 9 ग्रह में गुरु बृहस्पति सबसे अधिक शुभ फल प्रदान करते हैं . बृहस्पति ग्रह को गुरु का दर्जा दिया गया है और वहीं 9 अक्टूबर को देवगुरू बृहस्पति वृषभ राशि में वक्री हो जाएंगे जिस कारण धनु, मीन और तुला राशि पर इसका बुरा (नकारात्मक) प्रभाव पड़ेगा.

धनु राशि : पंडित शशांक शेखर शर्मा बताते हैं कि जब देवगुरू बृहस्पति वृषभ राशि में वक्री होंगे तो इसका बुरा प्रभाव धनु राशि के जातकों पर पड़ेगा. धनु राशि के स्वामी बृहस्पति ग्रह है. बृहस्पति वृषभ राशि में गोचर करते हुए वक्री होंगे तो षष्टी (6) स्थान पर धनु राशि के होने से जातकों को शारीरिक स्वास्थ्य संबंधी बहुत सी समस्याएं आएगी. इस दौरान धनु राशि के जातकों को पेट संबंधी बीमारी होने का खतरा अधिक बना रहेगा . 9 अक्टूबर 2024 से 5 फरवरी 2025 तक धनु राशि के जातकों को अपने स्वास्थ्य को लेकर सतर्क रहना होगा.

मीन राशि : पंडित शशांक शेखर शर्मा बताते हैं कि मीन राशि के स्वामी देवगुरू बृहस्पति ग्रह हैं. मीन राशि से तृतीय स्थान पर देवगुरू बृहस्पति वृषभ राशि में वक्री होंगे. बृहस्पति के वृष राशि में वक्री होने से मीन राशि के जातकों को भी 9 अक्टूबर से 5 फरवरी 2025 तक सावधानियां बरतने की जरूरत होगी. इस दौरान मीन राशि के जातक के अपने सगे संबंधियों, बहन भाइयों और मित्रों से संबंध खराब होने के योग बने हुए हैं. इस दौरान आप जो भी फैसला ले या फिर परिवार की उन्नति के लिए कोई भी कार्य करें तो परिवार में बैठकर चर्चा करें और सलाह अवश्य लें.

तुला राशि : बृहस्पति के वृषभ राशि में वक्री होने से तुला राशि के जातकों को सगे संबंधियों, बहन भाइयों और मित्रों से धोखा मिलने के योग बन रहे हैं. ऐसा व्यक्ति जो आपकी उम्र का हो और वह आपके सगे संबंधियों, मित्रों और बहन भाइयों में हो उनके साथ आपके संबंध किसी भी छोटी से छोटी बात को लेकर बिगड़ सकते हैं. इस दौरान तुला राशि के जातकों को अपने संबंधों को लेकर विशेष ध्यान रखना होगा. साथ ही घर में लड़ाई झगड़ा या विवाद जैसी स्थिति आने पर आपको संयम रखने की जरूरत होगी.

Note: हस्पति के वृषभ राशि में वक्री होने से राशियों को मिलने वाले बुरे (नकारात्मक) प्रभाव के बारे में अधिक जानकारी के लिए आप हरिद्वार के विद्वान ज्योतिषी पंडित शशांक शेखर शर्मा से उनके फोन नंबर 7895714521 और 9997509443 पर संपर्क कर सकते हैं.

Tags: Astrology, Haridwar news, Local18, Religion 18, Uttarakhand news

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.


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