Vastu Tips: हर व्यक्ति अपने घर में सुख शांति और सम्मृद्धि चाहता है. इसके लिए वह अपने घर में साफ-सफाई, नक्शे से मकान बनाना, ग्रह शांति के लिए हवन पूजन आदि करता है. इसके बावजूद भी घर के अंदर तरह-तरह की बीमारियों का वास रहता है. इसका कारण है कि घर में कुछ न कुछ ऐसा सामान, जो वास्तु के विपरीत रखा होता है अथवा वास्तु के विपरीत घर का निर्माण हो जाता है. इस ग़लत निर्माण की वजह से घर में वास्तु दोष से संबंधित समस्या बन जाती है और उस जगह की नकारात्मक ऊर्जा से घर में बीमारियों का आक्रमण होने लगता है. घर में वास्तु दोष होने से इस तरह की बीमारियां हो सकती हैं. आइये विस्तार से जानते हैं इसकी वजह और बीमारियों के बारे में .
1. वास्तु शास्त्र में पूर्व तथा उत्तर दिशा का हल्का और नीचा होना तथा दक्षिण व पश्चिम दिशा का भारी व ऊंचा होना अच्छा माना गया है. यदि पूर्व दिशा में भारी निर्माण हो तथा पश्चिम दिशा एकदम खाली व निर्माण रहित हो तो अनिद्रा का शिकार होना पड़ सकता है. उत्तर दिशा में भारी निर्माण हो परन्तु दक्षिण और पश्चिम दिशा निर्माण रहित हो तो भी ऐसी स्थिति उत्त्पन्न होती है. अनिद्रा से आपको कई तरह की बीमारियां घेर सकती हैं तो इस वास्तु का ध्यान रखकर आप स्वस्थ जीवन जी सकते हैं.
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2. गृहस्वामी अग्निकोण या वायव्य कोण में शयन करें या उत्तर में सिर व दक्षिण में पैर करके सोए तब भी अनिद्रा या बेचैनी, सिरदर्द और चक्कर जैसी परेशानी हो सकती है, जिसके कारण दिन भर थकान की समस्या हो सकती है. धन आगमन और स्वास्थ्य की दृष्टि से दक्षिण या पूर्व की ओर पैर करना अच्छा माना गया है.
3. वास्तु शास्त्र के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम दिशा में प्रवेश द्वार या हल्की चाहरदीवारी अथवा खाली जगह होना शुभ नहीं है. ऐसा होने से हार्ट अटैक, लकवा हड्डी एवं स्नायु रोग संभव हैं. अतः यहां प्रवेश द्वार या खाली जगह छोड़ने से बचना चाहिए.
4. रसोई घर में भोजन बनाते समय यदि गृहणी का मुख दक्षिण दिशा की ओर है तो त्वचा एवं हड्डी के रोग हो सकते हैं. दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भोजन पकाने से पैरों में दर्द की संभावना भी बनती है. इसी तरह पश्चिम की ओर मुख करके खाना पकने से आंख, नाक, कान एवं गले की समस्याएं हो सकती हैं. पूर्व दिशा की ओर चेहरा करके रसोई में भोजन बनाना स्वास्थ्य के लिए श्रेष्ठ माना गया है.
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5. दीवारों पर रंग-रोगन भी ध्यान से करवाना चाहिए. काला या गहरा नीला रंग वायु रोग, पेट में गैस, हाथ-पैरों में दर्द, नारंगी या पीला रंग ब्लड प्रेशर, गहरा लाल रंग रक्त विकार या दुर्घटना का कारण बन सकता है. अच्छे स्वास्थ्य के लिए दीवारों पर दिशा के अनुरूप हल्के एवं सात्विक रंगों का प्रयोग करना चाहिए.
6. वास्तु शास्त्र के अनुसार, ध्यान रहे कि आपके भवन की दीवारें एकदम सही सलामत हों, उनमें कहीं भी दरार या रंग रोगन उड़ा हुआ या फिर दाग-धब्बे आदि न हों वरना वहां रहने वालों में जोड़ों का दर्द, गठिया, कमर दर्द, सायटिका जैसे समस्याएं हो सकती हैं.
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FIRST PUBLISHED : October 1, 2024, 14:08 IST