Thursday, November 14, 2024
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Akshaya Navami 2024: रवि योग में मनाया जाएगा अक्षय नवमी व्रत, जानें कैसी रहेगी ग्रहों की स्थिती

Akshaya Navami 2024: आंवला नवमी का का पूजन कार्तिक शुक्लपक्ष के नवमी तिथि को मनाया जाता है इस व्रत को कई नाम से जाना जाता है इन्हे अक्षय नवमी,आंवला पूजन, कुष्मांडा पूजन, धात्री पूजन के नाम से जाना अक्षय नवमी के दिन कोई भी कार्य करें शुभ होता हैं इस दिन को अक्षय तृतीया जैसा फल प्राप्त होता है ऐसा माना जाता है देवउठनी एकादशी के दो दिन पहले अक्षय नवमी पड़ने के कारण भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है.

कई नामों से जाना जाता है इस नवमी को

नवमी को कई नाम से जाना जाता है अक्षय नवमी के व्रत में आवले के पेड़ तथा भगवन विष्णु के पूजन किया जाता है मान्यता यह है इस दिन जगत के पालनहार भगवन विष्णु की पूजा विस्तृत रूप से की जाती है. माना जाता है इस दिन जो भी कार्य करते है सब अक्षय होता है अक्षय का मतलब कभी क्षय नहीं होना इसलिए दिन को बहुत शुभ माना जाता है.सतयुग का आरंभ कार्तिक शुक्ल पक्ष के नवमी तिथि से आरम्भ हुआ है धार्मिक मान्यता है अक्षय नवमी के दिन से लेकर पूर्णिमा तक भगवन विष्णु आवले के पेड़ के नीचे निवास करते है.

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यही कारण है कार्तिक शुक्ल पक्ष के नवमी तिथि को आवले के पेड़ के नीचे महिलाए स्वादिष्ट भोजन बनाती है विधि विधान से आवले वृक्ष का पूजन अर्चन कर अपनी मनोकामना को पूर्ण करने हेतु जाप तथा दान करती है ब्राह्मण से कथा सुनती है, ब्राह्मण को भोजन कराकर उन्हें गुप्त दान देती है.

कब है अक्षय नवमी ?

10 नवंबर 2024 दिन रविवार को व्रत किया जायेगा .
नवमी तिथी का आरम्भ 09 नवम्बर शनिवार रात्रि 8:00 से
नवम तिथि का समाप्ति 10 नवम्बर रविवार संध्या 04 :44 मिनट तक
रवियोग 10 नवम्बर 2024 सुबह 10:59 से 06: 04 सुबह (11 नवंबर 2024 )

अक्षय नवमी का महत्व

सनातन धर्म में अक्षय नवमी का बहुत ही महत्व बताया गया है इस दिन दान करने मनोकामना की पूर्ति होती है इस दिन गुप्त दान करना बहुत ही शुभ होता है इन्हे कुष्मांडा नवमी कहा जाता है.भगवन विष्णु ने कुष्मांडा नामक राक्षस को अत्याचार को रोका था नवमी के दिन आवले के पेड़ के निचे कुष्मांडा के अंदर कुछ द्रव्य डालकर दान करने से ग्रह दोष दूर होता है ब्राह्मण को सोना चांदी वस्त्र का दान करने से अश्वमेघ यज्ञ जैसा फल मिलता है.

प्राकृतिक का पूजन है अक्षय नवमी

हिंदू धर्म में पूजा पाठ का बहुत बड़ा महत्व है. इसलिए मूलतः जितने भी पूजा पाठ है उसमें देवी देवता के साथ प्राकृतिक पूजन का विशेष ध्यान दिया जाता है. व्रत त्यौहार में प्रकृति पुजन करने से प्रकृति के सौंदरता को बचाया जाता है.सनातन धर्म में प्रकृति पूजा का विशेष महत्व है.पेड़-पौधे, जीव-जंतुओं के लिए प्राणदायी स्त्रोत हैं. प्राकृतिक पूजन से वयोक्ति अपने जीवन को सुरक्षित रख सकते है. इसलिए हम अक्षय नवमी के दिन आवले के वृक्ष का पूजन करते है.आंवला हमारे स्वास्थ के लिए लाभकारी होता है.आंवला का उपयोग करने से शरीर का रोगप्रतिरोधक क्षमता मजबूत होता है.

अक्षय नवमी पर ग्रहों की स्थिती

अक्षय नवमी के दिन बहुत शुभ संयोग बन रहा है. सूर्य तुला राशि में संचरण करेंगें, मंगल कर्क राशि में,बुध वृश्चिक राशि में गुरु वृष राशि में शुक्र धनु राशि में शनि कुंभ राशि में बैठकर शशयोग का निर्माण हुआ है राहु मीन राशि में केतू तुला राशि में चंद्रमा मीन राशि में संचरण करेंगें जिसे अक्षय नवमी बहुत प्रभावी बन गया है.

जन्मकुंडली, वास्तु, तथा व्रत त्यौहार से सम्बंधित किसी भी तरह से जानकारी प्राप्त करने हेतु दिए गए नंबर पर फोन करके जानकारी प्राप्त कर सकते है .

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847


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