Friday, November 22, 2024
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24 अक्टूबर को अहोई अष्टमी पर पढ़ें यह व्रत कथा, संतान रहेगी सुरक्षित, जीवन होगा सुखमय!

अहोई अष्टमी का व्रत 24 अक्टूबर गुरुवार को है. इस दिन माताएं अपनी संतान के लिए अहोई अष्टमी का निर्जला व्रत रखती हैं. संतान प्राप्ति की चाह रखने वाली सुहागन युवतियां भी अहोई अष्टमी का व्रत रखती हैं. इस दिन अहोई माता की पूजा विधि विधान से करते हैं. अहोई अष्टमी की पूजा सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में होती है. पूजा के समय व्रती को अहोई अष्टमी की व्रत कथा जरूर सुननी या पढ़नी चाहिए. इससे व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है और महत्व भी पता चलता है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को अहोई अष्टमी का व्रत रखते हैं. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं अहोई अष्टमी व्रत की कथा, पूजा मुहूर्त के बारे में.

अहोई अष्टमी व्रत कथा
कथा के अनुसार, एक समय की बात है. एक नगर में एक साहूकार रहता था, जिसके 7 बेटे और 7 बहुएं थी. उसकी एक बेटी थी, जिसका विवाह हो चुका था. दिवाली के दिन वह मायके आई थी. दिवाली के अवसर पर घर और आंगन को साफ सुथरा करने के लिए जंगल से मिट्टी लाने चली गईं, उनके साथ उनकी नदद भी थी.

जंगल में साहूकार की बेटी जिस जगह पर मिट्टी खोद रही थी, वहां पर स्याहु यानी साही अपने बेटों के साथ रहती थी. मिट्टी काटते समय साहूकार की बेटी की खुरपी से स्याहु का एक बच्चा मर गया. इससे स्याहु दुखी हो गई. उसने गुस्से में साहूकार की बेटी से कहा कि तुम्हारी कोख बांध दूंगी.

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उसकी बात सुनकर साहूकार की बेटी डर जाती है और वह अपनी सभी भाभी से एक-एक करके कहती है कि वे उसके बदले अपनी कोख बंधवा लें. सबसे छोटी भाभी इसके लिए तैयार होती है. इस घटना के कुछ समय बाद जब उसकी छोटी भाभी के बच्चे होते हैं तो वे 7 दिन बाद मर जाते हैं. ऐसे करके उसके 7 संतानों की मृत्यु हो जाती है. तब उसने एक पंडित से घटना बताई और उपाय पूछा. पंडित ने कहा कि एक सुनहरी गाय की सेवा करो.

पंडित के सुझाव के अनुसार ही वह एक सुनहरी गाय की सेवा करती है. वह गाय उससे खुश हो जाती है और उसे स्याहु के पास ले जाती है. रास्ते में दोनों थक गए तो एक जगह आराम करने लगते हैं और सो जाते हैं. अचानक साहूकार की छोटी बहू की आंख खुलती है तो वह देखती है कि एक सांप गरुड़ पंखनी के बच्चे को डसने जा रहा होता है.

तभी वह उस सांप को मार देती है. इतने समय में ही गरूड़ पंखनी वहां आ जाती है. वहां पर खून देखकर वह क्रोधित हो जाती है. उसे लगता है कि साहूकार की छोटी बहू ने उसके बच्चे को मार डाला है, इस पर वह उसे चोंच से मारने लगती है. इस पर छोटी बहू उससे कहती है कि उसने तुम्हारे बच्चे की जान बचाई है. यह बात सुनकर वह खुश हो जाती है. छोटी बहू और सुनहरी गाय के उद्देश्य को जानकर गरूड़ पंखनी उन दोनों को स्याहु के पास लेकर जाती है.

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साहूकार की छोटी बहू के काम से स्याहू प्रसन्न होती है. वह उसे 7 बेटे और 7 बहू होने का आशीर्वाद देती है. स्याहु के आशीर्वाद से साहूकार की छोटी बहू को 7 बेटे होते हैं और समय पर उनकी शादी होती है. इस प्रकार से साहूकार की छोटी बहू 7 बेटे और 7 बहुओं को पाकर खुश हो जाती है.

अहोई अष्टमी की पूजा के बाद इस कथा को पढ़ते हैं. अहोई माता से संतान एवं उनकी सुरक्षा के लिए प्रार्थना करते हैं.

अहोई अष्टमी 2024 मुहूर्त
कार्तिक कृष्ण अष्टमी तिथि का प्रारंभ: 24 अक्टूबर, 1:18 एएम से
कार्तिक कृष्ण अष्टमी तिथि का समापन: 25 अक्टूबर, 1:58 एएम पर
अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त: शाम 5:42 बजे से 6:59 बजे तक
अहोई अष्टमी पर तारों को देखने के लिए सांझ का समय: 6:06 बजे से
अहोई अष्टमी पारण: तारों को देखने के बाद

Tags: Dharma Aastha, Religion


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