अहोई अष्टमी का पर्व हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. इस साल अहोई अष्टमी पर 5 शुभ संयोग बन रहे हैं. अहोई अष्टमी का व्रत पुत्रों की सुरक्षा, सुखी जीवन के लिए रखा जाता है. इस दिन माताएं निर्जला व्रत रखती हैं. अहोई अष्टमी का व्रत करवा चौथ के 4 दिन बाद और दिवाली से 8 दिन पहले होता है. इस व्रत में अहोई माता की पूजा करते हैं और रात में तारों को देखकर पारण करते हैं. अहोई अष्टमी के दिन गोवर्धन में राधा कुंड स्नान भी किया जाता है. श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी से जानते हैं कि अहोई अष्टमी कब है? अहोई अष्टमी की पूजा का मुहूर्त, तारों को देखने का समय क्या है? उस दिन कौन से 5 शुभ संयोग बन रहे हैं?
अहोई अष्टमी 2024 तारीख
दृक पंचांग के अनुसार, इस साल अहोई अष्टमी के लिए जरूरी कार्तिक कृष्ण अष्टमी तिथि का शुभारंभ 24 अक्टूबर को 1 बजकर 18 एएम पर हो रहा है. यह तिथि 25 अक्टूबर को 1 बजकर 58 एएम पर खत्म हो रही है. उदयातिथि के आधार पर अहोई अष्टमी का व्रत 24 अक्टूबर को रखा जाएगा.
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अहोई अष्टमी 2024 मुहूर्त
24 अक्टूबर को अहोई अष्टमी के दिन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम को 5 बजकर 42 मिनट से शाम 6 बजकर 59 मिनट तक है. अहोई अष्टमी की पूजा के लिए माताओं को 1 घंटा 17 मिनट का शुभ समय प्राप्त होगा.
अहोई अष्टमी 2024 तारों को देखने का समय
अहोई अष्टमी के अवसर पर तारों को देखने के लिए सांझ का समय 6 बजकर 6 मिनट से है. उस दिन का सूर्यास्त 05:42 बजे होगा. उस रात चंद्रोदय 11:55 बजे होना है.
5 शुभ संयोग में अहोई अष्टमी 2024
इस साल की अहोई अष्टमी पर 5 शुभ संंयोग बन रहे हैं. अहोई अष्टमी पर साध्य योग, पुष्य नक्षत्र, गुरु पुष्य योग, अमृत सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे हैं. इन 5 शुभ संयोगों के कारण अहोई अष्टमी का दिन और भी अधिक शुभ फलदायी और महत्वपूर्ण है.
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1. साध्य योग: प्रात:काल से लेकर अगले दिन 25 अक्टूबर को सुबह 05:23 बजे तक
2. गुरु पुष्य योग: पूरे दिन
3. सर्वार्थ सिद्धि योग: पूरे दिन
4. अमृत सिद्धि योग: पूरे दिन
5. पुष्य नक्षत्र: पूर्ण रात्रि तक
अहोई अष्टमी व्रत का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अहोई अष्टमी का व्रत रखने से पुत्र की आयु बढ़ती है, वह निरोगी रहता है. उसके जीवन में सुख और समृद्धि आती है. अहोई माता की कृपा से उसका जीवन सुरक्षित होता है. अहोई अष्टमी का व्रत अष्टमी के सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक रखा जाता है. शाम को तारों को देखकर पारण करते हैं और व्रत को पूरा करते हैं.
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FIRST PUBLISHED : October 16, 2024, 09:59 IST