Thailand की राजनीति में अब एक नया अध्याय शुरू हो चुका है, जहां सत्ता की बागडोर एक युवा और करिश्माई महिला नेता के हाथों में है. 37 वर्षीय पैटोंगटार्न, जिन्हें ‘उंग-इंग’ के नाम से भी जाना जाता है, ने देश की सत्ता संभाली है. दिलचस्प बात यह है कि वो पूर्व प्रधानमंत्री और अरबपति थाकसिन की सबसे छोटी बेटी हैं.पैटोंगटार्न का राजनीतिक सफर जितना रोमांचक रहा, उनका प्रधानमंत्री बनना उतना ही सहज. उनके नेतृत्व वाली फ्यू थाई पार्टी और सहयोगी दलों ने संसद की 493 में से 314 सीटों पर जीत हासिल करी.
Thailand: राजनीति में कदम रखने से पहले का सफर
पैटोंगटार्न (उंग-इंग) की शिक्षा प्रतिष्ठित चुललॉन्गकॉर्न विश्वविद्यालय, बैंकॉक से हुई है. राजनीति में कदम रखने से पहले वह अपने परिवार के होटल बिज़नेस की जिम्मेदारी संभाल रही थीं. 2021 में उन्होंने फ्यू थाई पार्टी के समावेशन और नवाचार सलाहकार समिति की अध्यक्षता से राजनीतिक करियर की शुरुआत की.2023 के चुनाव से मात्र दो हफ्ते पहले उन्होंने अपने दूसरे बच्चे को जन्म दिया, जिसके बावजूद भी वह प्रमुख उम्मीदवार रहीं. वह थाईलैंड की दूसरी महिला प्रधानमंत्री हैं, और अपने परिवार की तीसरी सदस्य हैं जिन्होंने इस शीर्ष पद को संभालेंगी.
परिवार की तीसरी प्रधानमंत्री
उनके पिता, थाकसिन, 2001 में थाई रक थाई पार्टी के साथ प्रधानमंत्री बने थे, लेकिन 2006 में एक सैन्य तख्तापलट में उन्हें हटा दिया गया था. उनकी चाची, यिंगलक शिनावात्रा, 2011 में प्रधानमंत्री बनीं लेकिन 2014 में संवैधानिक अदालत द्वारा हटाए जाने के बाद सैन्य तख्तापलट में उनकी भी सरकार को गिरा दिया गया था. थाकसिन और यिंगलक दोनों ही देश छोड़कर आत्मनिर्वासन में चले गए थे, हालांकि थाकसिन 2023 में वापस लौट आए.
थाईलैंड में राजनीतिक टकराव के बीच पैटोंगटार्न की नियुक्ति
पैटोंगटार्न की नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब थाईलैंड की राजनीति में प्रजा-समर्थक और प्रजा-विरोधी ताकतों के बीच खींचतान चरम पर है. 2014 के तख्तापलट के बाद, सेना ने देश की राजनीतिक स्थिति को संभालने के लिए सत्ता में कदम रखा और 2017 में नया संविधान लागू किया. 2019 के चुनाव के बाद सेना का नियंत्रण थोड़ा कम हुआ, लेकिन 2023 में फ्यू थाई पार्टी ने उसी सैन्य गुट के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई जिसने 2014 में उनकी सरकार गिराई थी.
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पैटोंगटार्न ने अपने चुनाव प्रचार में कई लोकलुभावन वादे किए थे, जिनमें बैंकॉक में सार्वजनिक परिवहन किराए कम करना, स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार और न्यूनतम दैनिक वेतन को दोगुना करना शामिल है. हालांकि, उनके सामने आर्थिक चुनौतियों के साथ-साथ पार्टी की घटती लोकप्रियता और विपक्ष की मजबूती एक बड़ी चुनौती होगी, खासकर एमएफपी के पुनर्गठित होने के बाद.