Friday, December 20, 2024
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भाग्य बड़ा है या कर्म, जो लिखा है वही होगा या मेहनत से बदल जाएगी किस्मत? प्रेमानंद जी महाराज ने बताया सच

इस संसार में दो तरह के लोग होते हैं. पहले वे जो भाग्य पर विश्वास करते हैं और उसके अनुसार कर्म करते हैं. दूसरे वे लोग होते हैं, जो कर्म पर विश्वास करते हैं और उससे अपना भाग्य बदलने की बात करते हैं. आपने लोगों को यह कहते सुना है कि भाग्य में जो लिखा है, वही मिलना है, चाहे आप जितनी मेहनत और भाग-दौड़कर कर लो. इसके लिए लोग तुलसीदास कृत रामचरितमानस की पंक्ति होइहि सोइ जो राम रचि राखा की बात करते हैं. जबकि दूसरे प्रकार के लोग भाग्य में यकीन नहीं करते हैं, वे अपनी मेहनत पर भरोसा करते हैं. वे गीता के श्लोक कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन, मा कर्मफलहेतुर्भुर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि को महत्व देते हैं. वृदांवन के प्रेमानंद जी महाराज से राधारानी के भक्तों ने पूछा कि भाग्य बड़ा है या कर्म? इस पर उन्होंने जवाब दिया है.

‘भाग्य पर लिखीं हैं केवल 2 बातें’
अगर सबकुछ भाग्य पर लिखा है तो कर्म का क्या महत्व है? इस सवाल पर प्रेमानंद जी महाराज ने कहा कि ऐसा किसने कहा है कि सबकुछ भाग्य पर लिखा हुआ है. भाग्य पर 2 ही बातें लिखी हुई हैं. पहला शुभ और दूसरा अशुभ. हम मनुष्य जन्म में नए कर्म करने का अधिकार रखते हैं. हम नए कर्म ऐसे भी कर सकते हैं, जो पुराने किए गए कर्म को मिटा सकते हैं. आपका पुराना कर्म मिटा नहीं है, वह आपको हर प्रकार से व्यवधान देना चाहता है तो वह आपको व्यवधान देगा. वह आपके नए कर्म में आकर बाधा पहुंचा देगा.

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पुराना कर्म मिटाने का उपाय
प्रेमानंद जी महाराज ने कहा कि यदि आप नए कर्म के साथ श्रीजी यानी राधी जी के नाम का जप करते हो तो वह पुराना कर्म भस्म हो जाएगा, जो आपको बाधा पहुंचा रहा है.

‘मनुष्य जन्म कायरतापूर्वक व्यतीत करने के लिए नहीं’
उन्होंने कर्म की प्रधानता पर बल देते हुए कहा कि आप अधिक मेहनत करो. मनुष्य का जन्म कायरतापूर्वक व्यतीत करने के लिए नहीं हुआ है. मेहनत पर हमारी प्रार्थना है कि आप कर्म के साथ नाम जप जरूर करें.

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’24 घंटे में 30 मिनट करें नाम जप’
प्रेमानंद जी महाराज ने कहा कि राधा नाम का जप आपको 24 घंटे में कम से कम 30 मिनट करना होगा. आप इस काम के लिए 30 मिनट रोज निकाल लें. आप ऐसा करेंगे तो आपको इसका असर दिखाई देगा.

कर्म बड़ा है या भाग्य? प्रेमानंद जी महाराज ने भी आपको इसका जवाब दे दिया है. अब आप पर है कि आप उनके दिए गए सुझाव को मानते हैं या भाग्य पर निर्भर रहेंगे.

Tags: Dharma Aastha, Premanand Maharaj, Religion


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