Thursday, December 19, 2024
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गुरुवार को करें बस यह एक उपाय, श्रीहरि विष्णु का मिलेगा आशीर्वाद, पूरी होंगी आपकी मनोकामनाएं

गुरुवार का दिन श्रीहरि विष्णु की पूजा और व्रत का है. इस​ दिन लोग व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं. विष्णु पूजा के समय आपको कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना होता है, जिसमें तुलसी दल और पंचामृत का होना आवश्य​क है. इसके बिना भगवान विष्णु की पूजा और गुरुवार का व्रत पूर्ण नहीं होता है. गुरुवार के दिन आप एक आसान उपाय से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त कर सकते हैं. इस बारे में बता रहे हैं केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र.

ज्योतिषाचार्य डॉ. मिश्र के अनुसार, यदि आप से संभव हो तो प्रतिदिन श्री नारायण स्तोत्रम् का पाठ करें. यदि आप रोज नहीं कर सकते हैं तो प्रत्येक गुरुवार को श्री नारायण स्तोत्रम् का पाठ करें. इसके पाठ से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं. उनकी कृपा से कोई ऐसा काम नहीं है, जो सफल सिद्ध न हो.

श्री नारायण स्तोत्र पाठ विधि
पाठ करने से पहले भगवान विष्णु की स्थापना पूजा स्थापना पर करें. उसके बाद उनका गंगाजल या पंचामृत से अभिषेक करें. फिर उनको वस्त्र, अक्षत्, माला, फूल, धूप, दीप, चंदन, हल्दी आदि अर्पित करें. उसके बाद पंचामृत, तुलसी के पत्ते, गुड़, चने की दाल आदि का भोग लगाएं. फिर आप एक आसन पर बैठ जाएं और श्री नारायण स्तोत्रम् का पाठ प्रारंभ करें. यह संस्कृत में लिखा गया है, इसलिए पाठ करते समय शब्दों के उच्चारण का विशेष ध्यान रखें.

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श्री नारायण स्तोत्रम्
नारायण नारायण जय गोविंद हरे॥
नारायण नारायण जय गोपाल हरे॥

करुणापारावारा वरुणालयगम्भीरा ॥
घननीरदसंकाशा कृतकलिकल्मषनाशा॥

यमुनातीरविहारा धृतकौस्तुभमणिहारा ॥
पीताम्बरपरिधाना सुरकल्याणनिधाना॥

मंजुलगुंजा गुं भूषा मायामानुषवेषा॥
राधाऽधरमधुरसिका रजनीकरकुलतिलका॥

मुरलीगानविनोदा वेदस्तुतभूपादा॥
बर्हिनिवर्हापीडा नटनाटकफणिक्रीडा॥

वारिजभूषाभरणा राजिवरुक्मिणिरमणा॥
जलरुहदलनिभनेत्रा जगदारम्भकसूत्रा॥

पातकरजनीसंहर करुणालय मामुद्धर॥
अधबकक्षयकंसारेकेशव कृष्ण मुरारे॥

हाटकनिभपीताम्बर अभयंकुरु मेमावर॥
दशरथराजकुमारा दानवमदस्रंहारा॥

गोवर्धनगिरिरमणा गोपीमानसहरणा॥
शरयूतीरविहारासज्जनऋषिमन्दारा॥

विश्वामित्रमखत्रा विविधपरासुचरित्रा॥
ध्वजवज्रांकुशपादा धरणीसुतस्रहमोदा॥

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जनकसुताप्रतिपाला जय जय संसृतिलीला॥
दशरथवाग्घृतिभारा दण्डकवनसंचारा॥

मुष्टिकचाणूरसंहारा मुनिमानसविहारा॥
वालिविनिग्रहशौर्यावरसुग्रीवहितार्या॥

मां मुरलीकर धीवर पालय पालय श्रीधर॥
जलनिधिबन्धनधीरा रावणकण्ठविदारा॥

ताटीमददलनाढ्या नटगुणगु विविधधनाढ्या॥
गौतमपत्नीपूजन करुणाघनावलोकन॥

स्रम्भ्रमसीताहारा साकेतपुरविहारा॥
अचलोद्घृतिद्घृञ्चत्कर भक्तानुग्रहतत्पर॥

नैगमगानविनोदा रक्षःसुतप्रह्लादा॥
भारतियतिवरशंकर नामामृतमखिलान्तर॥

Tags: Astrology, Dharma Aastha, Lord vishnu


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