ईश्वर ने इस संसार को देखने के लिए हमें आंखे दी हैं और इनके बिना मनुष्य का जीवन अधूरा सा लगता है. इस अनुपम और रोमांच से भरी हुई प्रकृति को हम अपनी आंखों से ही देख पाते हैं, लेकिन कई बार मनुष्य को आंखों से जुड़े रोग हो जाते हैं जैसे नज़र की कमजोरी या मोतियाबिंद जैसी बीमारी. आजकल बच्चों में नेत्र रोग काफी दिखाई दे रहे हैं, इसका एक कारण तो कम्प्यूटर और मोबाइल पर अधिक समय बिताना तो है ही साथ ही इसके पीछे ज्योतिषीय कारण भी हैं.
अगर नेत्र रोग आपको परेशान कर रहे हों तो कुंडली में देखें कि कहीं सूर्य, चंद्र, द्वितीयेश और द्वादशेश पीड़ित तो नहीं हैं, क्यों इन दोनों ग्रहों के पीड़ित हो जाने पर जातक की आंख में विकार होते हैं. ज्योतिष में सूर्य और चंद्र को नेत्र की रक्षा करने वाला कहा गया है क्योंकि ये दो ग्रह हमें रोशनी देते हैं. हमारी आंखों में सूर्य और चंद्र से प्रभावित होने वाले तत्व है, इसलिए जब ये तत्व विकार युक्त हो जाए तो रोग होता है.
कालपुरुष की कुंडली में दूसरे भाव से दायीं आंख का और बारहवें भाव से बायीं आंख का विचार किया जाता है, इसलिए किसी भी कुंडली के इन दो भावों का विश्लेषण भी जरूरी है. ज्योतिष में छठे भाव से रोग का विचार किया जाता है और ऐसे में जब सूर्य चंद्र शत्रु रूप में और रोगकारक ग्रह मिलकर इस भाव को प्रभावित करते हैं तो जातक को आंख में समस्या होने लगती है.
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आंखों संबंधी बीमारियों के लिए जिम्मेदार हैं ये ग्रह :
- अगर किसी जातक की कुंडली में सूर्य या फिर चंद्रमा की स्थिति कमजोर होती है, तो व्यक्ति को आंखों संबंधी समस्याएं हो सकती है, क्योंकि ये दोनों ही ग्रह प्रकाश के कारक है.
- जब सूर्य और चंद्रमा पर किसी अशुभ ग्रह की दृष्टि हो या फिर दोनों ग्रहों की बारहवें भाव में युति हो रही है.
- अगर कुंडली में दूसरे भाव में मंगल और शनि की युति हो रही है, तो नेत्र संबंधी समस्याएं होती है.
- अगर जातक की कुंडली के दूसरे भाव में कोई अशुभ ग्रह मौजूद हो या फिर इस भाव में किसी अशुभ ग्रह का स्वामित्व हो, तो आंख संबंधी समस्याएं होती है.
- अगर कुंडली में दूसरे, बारहवें, पहले घर के स्वामी और शुक्र त्रिक घर में युति हो, तो नेत्र संबंधी समस्याएं होती है.
- अगर कुंडली में चंद्रमा की युति बारहवें या फिर सातवें घर के स्वामी के साथ हो रही हो, तो इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है.
कारगर हो सकते हैं ये ज्योतिष उपाय :
- रोजाना सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए. इसके लिए एक तांबे के लोटे में जल भर दे सकते हैं. इसके साथ हृदय स्त्रोत का पाठ करना चाहिए. ऐसा करने से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है.
- चांदी के आभूषण पहनने से भी लाभ मिलता है. हो सके, तो चांदी की चीजें दान कर सकते हैं.
रोजाना भगवान शिव की पूजा करें. इसके साथ ही शिवलिंग का जलाभिषेक करें.
Tags: Astrology, Dharma Aastha
FIRST PUBLISHED : December 12, 2024, 10:51 IST