Martand Sun Temple: मार्तंड सूर्य मंदिर, जिसे पांडौ लैदान के नाम से भी जाना जाता है, एक हिंदू मंदिर है, जो सूर्य को समर्पित है और 8वीं शताब्दी के दौरान बनाया गया था. मार्तंड का संस्कृत पर्याय सूर्य है. इसका निर्माण कार्कोट राजवंश के तीसरे शासक ललितादित्य मुक्तापीड ने करवाया था. यह अब खंडहर के रूप में है क्योंकि इसे मुस्लिम शासक सिकंदर शाह मिरी के आदेश से नष्ट कर दिया गया था.
यह मंदिर भारतीय केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में अनंतनाग से 5 मील की दूरी पर स्थित है. खंडहरों और संबंधित पुरातात्विक निष्कर्षों से यह कहा जा सकता है कि यह कश्मीरी वास्तुकला का एक उत्कृष्ट नमूना था, जिसने गंधार, गुप्त और चीनी वास्तुकला के रूपों को मिश्रित किया था. मंदिर केंद्रीय रूप से संरक्षित स्मारकों की सूची में मार्तंड (सूर्य मंदिर) के रूप में है.
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ऐसा है मंदिर का स्वरूप
मार्तंड सूर्य मंदिर करीब 220 फीट गुणा 142 फीट क्षेत्र में बना हुआ है. मंदिर के पूर्वी क्षेत्र में मुख्य प्रवेश द्वार और मंडप है. मंदिर की वास्तुकला इसकी मुख्य विशेषता है. द्वार मंडप और मंदिर के खंभों की वास्तु शैली रोम की डोरिक शैली से मिलती-जुलती है.
मंदिर कश्मीरी हिंदू राजाओं की स्थापत्य कला का उदाहरण है. परिसर में 84 खंभे हैं. अब ये मंदिर खंडहर समान दिखाई देता है, फिर भी यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. मंदिर के चारों ओर पहाड़ दिखाई देते हैं. इस धार्मिक स्थल से कश्मीर घाटी का सुंदर नजारा देख सकते हैं.
मार्तंड मंदिर में सुबह सूर्य की पहली किरण के साथ ही पूजा-अर्चना का दौर शुरू हो जाता है. मंदिर में एक सरोवर भी है, जिसमें रंग-बिरंगी मछलियां दिखाई देती हैं.
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ललितादित्य मुक्तापीड: ललितादित्य का जन्म 699 ईस्वी में कश्मीर के दुर्लाभाक-प्रतापदित्य के तीसरे पुत्र के रूप में हुआ था. वह कश्मीर के नागवंशी कार्कोट कायस्थ वंश से थे. कार्कोट कायस्थ परिवार मुख्य रूप से दशकों से कश्मीर के राजाओं की सेना में सेवारत थे. वे युद्ध के मैदान में अपने उल्लेखनीय साहस के लिये जाने जाते थे.
कश्मीर के राजाओं ने उनके अपार योगदान के लिये उन्हें सखासेना की उपाधि दी थी. ललितादित्य का बचपन का नाम मुक्तापीड था और उनके बड़े भाई चंद्रपीड और तारापीड थे.
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FIRST PUBLISHED : December 11, 2024, 15:21 IST