Thursday, December 5, 2024
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काम-वासना में हैं लिप्त, दूसरी महिलाओं पर रखते हैं बुरी नजर? प्रेमानंद महाराज ने दिया सच्चे प्रेम का चैलेंज

Premanand Ji Maharaj Pravachan: वृंदावन के प्रेमानंद महाराज के प्रवचन और उनके विचार इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी पसंद ​किए जा रहे हैं. वे लोगों के सवालों के भी जवाब देते हैं, जो सोशल मीडिया पर वायरल होते हैं. इसी क्रम में लोगों ने प्रेमानंद महाराज से काम वासन और प्रेम को लेकर सवाल किए, जिसमें उन्होंने लोगों को वास्तविकता से परिचित कराया. उनके इस प्रवचन में प्रेम करने वालों के लिए एक चैलेंज भी है. उनके जवाब उन लोगों की आंखें खोलने वाली हैं, जो काम-वासना में लिप्त हैं या दूसरी महिलाओं पर बुरी नजर रखते हैं.

चरम सीमा का भोग काम सुख, लेकिन…
प्रेमानंद महाराज ले काम वासना के सवाल पर कहा कि सबसे ज्यादा चरम सीमा का भोग काम सुख रखा गया है. कहां से प्राप्त होता है काम सुख? शरीर के मल-मूत्र के अंगों से. कौन सी महानता है? जहां पर स्पर्श करके, उन अंगों को साबुन लगाकर धोते हो. उन अंगों की आखिरी सुख वृत्ति रखी गई है. क्या उसका पीछा छोड़ देगा. ज्यादा होगा तो फांसी लगा लेगा या पूरे परिवार का कत्ल करके भाग जाएगाए लेकिन काम सुख नहीं छोड़ सकता.

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तुम से सुंदर भोग मिलेगा तो तुम्हें छोड़ देगा
उन्होंने सवाल किया कि ऐसा किसके लिए? हमारा फ्रेंड? किस बात के लिए? न उसके तत्व को जानते हो और न वो तुम्हारे तत्व को जानता है. केवल शरीर आसक्ति है और उससे सुंदर भोग मिल गया तो उसको त्याग देगा. बर्फी-पेड़ा शीशे के बर्तन में रखकर अच्छे लगते हैं. उसे खाओ, 2 मिनट के बाद इतना बदबूदार नीचे से निकलेगा कि कोई देखना नहीं चाहेगा.

सिर्फ भ्रम है ये
प्रेमानंद महाराज ने कहा कि क्या है ये, सिर्फ भ्रम है कि इसे भोग कर सुखी हो जाएं. लेकिन करोड़ों बार भोग लिए, है कुछ. लेकिन फिर वही वासना, वहीं काम. कह रहे हो कि तुम्हें माया फांस रही है. अरे! तुम खुद अज्ञानवश आशक्त हो रहे हो. कहां सुख है? कहां है? अगर कहीं है तो तुम्हें तृप्त होना चाहिए.

सच्चे प्रेम का चैलेंज
भौतिक जीवन में लोग शरीर की आसक्ति को ही प्रेम समझते हैं. शरीर की बनावट, आकर्षण को ही सच मान लेते हैं. दूसरे के शारीरिक आर्कषण से प्रेम कर बैठते हैं और कहते हैं कि वे प्रेम करते हैं. ऐसे लोगों के लिए प्रेमानंद महाराज का चैलेंज है. वे कहते हैं कि छूना मत. कभी जिंदगी में छूना मत. दूर से बात करो, प्यार करो. फिर जरा देखो, नतीजा देखो. बिना काम-संबंध के कोई प्रेम नहीं करता है. कुछ देखेगा, धन देखेगा, रूप देखेगा, यौवन देखेगा, वासना की पूर्ति देखेगा. अगर बिना इन सबको देखे कोई प्यार करे, फिर वो प्रेम ​हम मान लेंगे.

Tags: Dharma Aastha, Premanand Maharaj, Religion


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