गरुड़ पुराण में भगवान श्रीविष्णु ने पक्षीराज गरुड़ को मानव जीवन से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातें बताई हैं. इसमें अच्छे और बुरे कर्मों के फल के बारे में भी बताया गया है. जो लोग बुरे कर्म करते हैं, उनको मृत्यु के बाद नरक के कष्ट भोगने पड़ते हैं, वहीं सदकर्म करने वालों को जीवन के अंत में भगवान विष्णु के लोक में स्थान प्राप्त होता है. गरुड़ पुराण के अनुसार 4 प्रकार के महापाप बताए गए हैं. साथ इसके प्रायश्चित की विधि भी बताई गई है. आइए गरुड़ पुराण से जानते हैं महापाप कौन से हैं? महापाप के प्रायश्चित की विधि क्या है?
4 महापाप कौन से हैं?
गरुड़ पुराण के अनुसार, 4 तरह के महापाप होते हैं.
1. ब्रह्म हत्या: 4 महापाप में ब्रह्म हत्या को पहले रखा गया है. जो व्यक्ति किसी ब्राह्मण की हत्या करता है, वह ब्रह्म हत्या का दोषी होता है. उसे ब्रह्महंता कहा जाता है.
2. मदिरा पान: भारतीय समाज और हिंदू धर्म में शराब पीना भी एक बड़ा पाप माना जाता है. गरुड़ पुराण के अनुसार, मदिरा का पान करने वाला मद्यपी कहलाता है.
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3. चोरी करना: हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, दूसरे व्यक्ति की वस्तुओं की चोरी करना भी पाप होता है. ऐसे कर्म नहीं करने चाहिए.
4. गुरु की पत्नी के साथ गलत काम करना: जो व्यक्ति अपने गुरु या शिक्षक की पत्नी के बारे में गलत सोचता है या उसके साथ गलत व्यवहार करता है, वह भी महापापी माना गया है.
महापाप का प्रायश्चित कैसे करें? जानें विधि
गरुड़ पुराण के मुताबिक, जो ब्रह्म हत्या का दोषी है, उसे जंगल में खुद कुटिया बनाकर 12 वर्षों तक रहना चाहिए और उपवास करना चाहिए. ब्रह्म हत्या का दोषी व्यक्ति यदि गौ रक्षा या किसी ब्राह्मण की रक्षा करते समय प्राण त्याग देता है तो यह भी दोष से मुक्ति का मार्ग माना जाता है. प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में 3 रात तक उपवास करके 3 कालों में स्नान करने से ब्रह्म हत्या से मुक्ति मिल जाती है. इसके अलावा रामेश्वरम या शिव की नगरी काशी में स्नान करके पाप मुक्त हुआ जा सकता है.
जो व्यक्ति मदिरा पान का पाप करता है, वह खौलते दूध, घी या फिर गौमूत्र का सेवन करके इस पाप से मुक्ति पा सकता है. जो व्यक्ति अपने गुरु की पत्नी के साथ गलत कार्य करता है, उसे जलती हुई लोहे की स्त्री की मूर्ति का आलिंगन करना चाहिए. या फिर ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति के लिए जो व्रत बताया गया है, वह करना होता है.
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इसके अलावा जो लोग गया जैसे पुण्य तीर्थों की यात्रा करते हैं, वे भी इस पाप से मुक्त हो सकते हैं. अमावस्या के दिन भगवान शिव की विधि विधान से पूजा करने से व्यक्ति सभी प्रकार के पापों से मुक्त हो जाता है. कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि को व्रत रखकर सप्तमी में सूर्य देव की पूजा करने से भी पाप मिटते हैं. शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि में व्रत रहकर द्वादशी तिथि में भगवान विष्णु की पूजा करने से भी आप सभी पापों से मुक्त हो सकते हैं.
गया के फल्गु नदी आदि तीर्थ स्थानों पर श्राद्ध के साथ स्नान करने वाला व्यक्ति भी सभी प्रकार के पापों से मुक्त हो जाता है. वह सभी प्रकार के सदाचरण का फल प्राप्त करता है. सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण के दिन मंत्र जाप, तपस्या, देव अर्चना, तीर्थ दर्शन, ब्राह्मण पूजन आदि से भी पाप मुक्त हुआ जा सकता है.
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FIRST PUBLISHED : November 26, 2024, 12:30 IST