आज 12 नवंबर मंगलवार को तुलसी विवाह और देवउठनी एकादशी है. आज के दिन व्रती माता तुलसी का विवाह भगवान शालिग्राम से कराते हैं. कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को प्रदोष काल में तुलसी विवाह करते हैं. पंचांग के अनुसार, इस बार कार्तिक शुक्ल द्वादशी तिथि आज शाम 4:04 बजे से कल दोपहर 1:01 बजे तक है. तुलसी विवाह के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग है. केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि तुलसी विवाह के समय तुलसी मंगलाष्टक का पाठ करते हैं. इससे माता तुलसी प्रसन्न होती हैं और व्रती को आशीर्वाद देती हैं, जिससे मनोकामनाओं की पूर्ति होती है. आइए जानते हैं तुलसी विवाह के शुभ मुहूर्त और तुलसी मंगलाष्टक पाठ के बारे में.
तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त 2024
तुलसी विवाह का समय: आज, शाम 5 बजकर 29 मिनट से शाम 7 बजकर 53 मिनट तक
सर्वार्थ सिद्धि योग: आज, सुबह 7 बजकर 52 मिनट से कल सुबह 5 बजकर 40 मिनट तक
रवि योग: सुबह 6 बजकर 42 मिनट से सुबह 7 बजकर 52 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त: 11:44 ए एम से दोपहर 12:27 पी एम तक
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तुलसी विवाह 2024 अशुभ समय
राहुकाल: दोपहर 02:47 पी एम से शाम 04:08 पी एम
गुलिक काल: दोपहर 12:05 पी एम से दोपहर 01:26 पी एम
भद्रा: सुबह 06:42 बजे से शाम 04:04 बजे तक
तुलसी विवाह के दिन भद्रा सुबह 06:42 बजे से लगी है, लेकिन तुलसी विवाह के मुहूर्त से पूर्व ही भद्रा का समापन हो जाएगा. तुलसी विवाह सर्वार्थ सिद्धि योग में होगा. इस योग में आप जिस शुभ मनोकामना से कार्य करेंगे, उसमें आपको सफलता प्राप्त होगी.
तुलसी मंगलाष्टक पाठ
भगवान शालिग्राम से माता तुलसी का विवाह कराते समय आपको तुलसी मंगलाष्टक का पाठ करना चाहिए. यह संस्कृत में लिखा हुआ है, आप शुद्ध उच्चारण के साथ तुलसी मंगलाष्टक पाठ करें. यदि आप यह पाठ शुद्ध उच्चारण के साथ करने में असमर्थ हैं तो आप तुलसी मंगलाष्टक का ऑडियो सुन सकते हैं या किसी पंडित जी से इसका पाठ करा सकते हैं.
ॐ श्री मत्पंकजविष्टरो हरिहरौ, वायुमर्हेन्द्रोऽनलः।
चन्द्रो भास्कर वित्तपाल वरुण, प्रताधिपादिग्रहाः।
प्रद्यम्नो नलकूबरौ सुरगजः, चिन्तामणिः कौस्तुभः,
स्वामी शक्तिधरश्च लांगलधरः, कुवर्न्तु वो मंगलम्।।
गंगा गोमतिगोपतिगर्णपतिः, गोविन्दगोवधर्नौ,
गीता गोमयगोरजौ गिरिसुता, गंगाधरो गौतमः।
गायत्री गरुडो गदाधरगया, गम्भीरगोदावरी,
गन्धवर्ग्रहगोपगोकुलधराः, कुवर्न्तु वो मंगलम्।।
नेत्राणां त्रितयं महत्पशुपतेः अग्नेस्तु पादत्रयं,
तत्तद्विष्णुपदत्रयं त्रिभुवने, ख्यातं च रामत्रयम्।
गंगावाहपथत्रयं सुविमलं, वेदत्रयं ब्राह्मणम्,
संध्यानां त्रितयं द्विजैरभिमतं, कुवर्न्तु वो मंगलम्।।
बाल्मीकिः सनकः सनन्दनमुनिः, व्यासोवसिष्ठो भृगुः,
जाबालिजर्मदग्निरत्रिजनकौ, गर्गोऽ गिरा गौतमः।
मान्धाता भरतो नृपश्च सगरो, धन्यो दिलीपो नलः,
पुण्यो धमर्सुतो ययातिनहुषौ, कुवर्न्तु वो मंगलम्।।
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गौरी श्रीकुलदेवता च सुभगा, कद्रूसुपणार्शिवाः,
सावित्री च सरस्वती च सुरभिः, सत्यव्रतारुन्धती।
स्वाहा जाम्बवती च रुक्मभगिनी, दुःस्वप्नविध्वंसिनी,
वेला चाम्बुनिधेः समीनमकरा, कुवर्न्तु वो मंगलम्।।
गंगा सिन्धु सरस्वती च यमुना, गोदावरी नमर्दा,
कावेरी सरयू महेन्द्रतनया, चमर्ण्वती वेदिका।
शिप्रा वेत्रवती महासुरनदी, ख्याता च या गण्डकी,
पूर्णाः पुण्यजलैः समुद्रसहिताः, कुवर्न्तु वो मंगलम्।।
लक्ष्मीः कौस्तुभपारिजातकसुरा, धन्वन्तरिश्चन्द्रमा,
गावः कामदुघाः सुरेश्वरगजो, रम्भादिदेवांगनाः।
अश्वः सप्तमुखः सुधा हरिधनुः, शंखो विषं चाम्बुधे,
रतनानीति चतुदर्श प्रतिदिनं, कुवर्न्तु वो मंगलम।।
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ब्रह्मा वेदपतिः शिवः पशुपतिः, सूयोर् ग्रहाणां पतिः,
शुक्रो देवपतिनर्लो नरपतिः, स्कन्दश्च सेनापतिः।
विष्णुयर्ज्ञपतियर्मः पितृपतिः, तारापतिश्चन्द्रमा,
इत्येते पतयस्सुपणर्सहिताः, कुवर्न्तु वो मंगलम्।।
Tags: Dharma Aastha, Lord vishnu, Tulsi vivah
FIRST PUBLISHED : November 12, 2024, 10:50 IST