Monday, November 25, 2024
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कब है मकर संक्रांति? जानें स्नान-दान का शुभ मुहूर्त, सूर्य उत्तरायण का महत्व

नए साल 2025 में मकर संक्रांति हिंदू धर्म में पहला बड़ा पर्व है. सूर्य देव जब शनि की राशि मकर में प्रवेश करते हैं, उस समय मकर संक्रांति होती है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और उसके बाद अपनी क्षमता के अनुसार दान देते है. अन्न और वस्त्र का दान करना महत्वपूर्ण माना जाता है. इससे व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है. स्नान के बाद सूर्य पूजा करने का भी विधान है. मकर संक्रांति के दिन से सूर्य देव उत्तरायण होते हैं. मकर संक्रांति को खिचड़ी, उत्तरायण पर्व आदि नाम से भी जानते हैं. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं कि नए साल 2025 में मकर संक्रांति कब है? मकर संक्रांति पर स्नान और दान का मुहूर्त क्या है? मकर संक्रांति पर उत्तरायण का क्या अर्थ है?

मकर संक्रांति 2025 तारीख
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, नए साल में सूर्य देव मकर राशि में 14 जनवरी दिन मंगलवार को प्रवेश करेंगे. उस दिन सूर्य देव मकर में सुबह 9 बजकर 3 मिनट पर प्रवेश करेंगे. यह समय मकर संक्रांति का क्षण होगा. सूर्य गोचर होने की वजह से मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी. अधिकतर वर्ष मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाते हैं, लेकिन कभी-कभी सूर्य की मकर संक्रांति 15 जनवरी को होती है तो उस दिन भी मकर संक्रांति मनाई जाती है.

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मकर संक्रांति 2025 पुण्य काल
14 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति के दिन पुण्य काल की कुल अवधि 8 घंटे 42 मिनट तक है. मकर संक्रांति का पुण्य काल सुबह 9 बजकर 3 मिनट से शाम 5 बजकर 46 मिनट तक है.

मकर संक्रांति 2025 महा पुण्य काल
मकर संक्रांति के दिन 1 घंटा 45 मिनट का महा पुण्य काल है. मकर संक्रांति को महा पुण्य काल सुबह 9 बजकर 3 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 48 मिनट तक है.

मकर संक्रांति 2025 स्नान-दान मुहूर्त
14 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति के स्नान और दान का शुभ मुहूर्त सुबह 9:03 बजे से लेकर सुबह 10:48 बजे तक महा पुण्य काल में उत्तम रहेगा. हालांकि आप पुण्य काल में भी मकर संक्रांति का स्नान और दान कर सकते हैं.

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मकर संक्रांति पर क्या दान करें
मकर संक्रांति के दिन काले तिल, गुड़, खिचड़ी, चावल-दाल, गर्म वस्त्र आदि का दान करना शुभ फलदायी होता है.

मकर संक्रांति सूर्य होंगे उत्तरायण
मकर संक्रांति के दिन से सूर्य देव उत्तरायण होते हैं. तब से देवताओं का दिन प्रारंभ होता है. इस दिन से सूर्य देव मकर राशि से होते हुए मिथुन राशि तक गोचर करते हैं. जिसमें सूर्य कैलेंडर के 6 माह आते हैं. सूर्य के उत्तरायण होने से धीरे-धीरे गर्मी बढ़ती है और सर्दी कम होने लगती है. मकर संक्रांति से दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं. सूर्य देव जब कर्क राशि में गोचर करते हैं तो उनका दक्षिणायन प्रारंभ होता है, उस समय से देवताओं की रात्रि शुरू होती है. इसमें दिन छोटे और रातें बड़ी होने लगती हैं.

Tags: Dharma Aastha, Makar Sankranti, Religion


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