Friday, November 22, 2024
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बीसीसीआई की ‘पिच’ पर गंभीर, अगरकर और रोहित, समीक्षा बैठक में हुए टर्निंग सवाल

भारत और न्यूजीलैंड के बीज समाप्त हुई सीरीज में भारतीय टीम की करारी हार के बाद बीसीसीआई की तिरछी नजर सभी जिम्मेदारों पर पड़ी है. बीसीसीआई अध्यक्ष रोजर बिन्नी और सचिव जय शाह की मौजूदगी चयन समिति के अध्यक्ष अजीत अगरकर, कोच गौतम गंभीर और कप्तान रोहित शर्मा के साथ हार के कारणों पर चर्चा हुई. गंभीर इस बैठक में ऑनलाइन शामिल हुए. सीरीज के दौरान टीम प्रबंधन द्वारा लिए गए कुछ फैसलों के बारे में सवाल पूछे गए. गंभीर की कोचिंग शैली के बारे में भी चर्चा हुई जो उनके पूर्ववर्ती राहुल द्रविड़ से बहुत अलग है और टीम इसे कैसे अपना रही है.

बीसीसीआई के एक वरिष्ठ सूत्र ने इस मामले पर गोपनीयता की शर्त पर न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि यह छह घंटे की मैराथन बैठक थी, जो इस तरह की हार के बाद होनी ही थी. भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर जा रही है और बीसीसीआई यह सुनिश्चित करना चाहेगा कि टीम वापस पटरी पर लौट आए. साथ ही वह जानना चाहेगा कि ‘थिंक-टैंक’ (गंभीर-रोहित-अगरकर) इस बारे में क्या सोच रहे हैं. बीसीसीआई के अधिकारी इस बात से खुश नहीं थे कि तेज गेंदबाज और टीम के उप-कप्तान बुमराह को तीसरे टेस्ट के लिए आराम दिया गया. टीम ने पुणे में इसी तरह की पिच पर हारने के बाद भी ‘रैंक टर्नर’ का विकल्प क्यों चुना. 

रैंक टर्नर वैसी पिच होती है, जिसमें गेंद पहले दिन से ही घूमने लगती है. ऐसी पिचों पर मिट्टी बिल्कुल ढीली होती है और गेंद पड़ने पर धूल उड़ती है. गेंद पड़ने के बाद धीमी भी हो सकती है और स्पिनरों के लिए मददगार रहती है. 

अगरकर, गंभीर और रोहित तीनों को सुझाव देने के लिए कहा गया है. उनसे यह भी पूछा गया कि टीम में सुधार लाने के लिए कौन से उपाय किए जा सकते हैं. हालांकि इस बात की पुष्टि नहीं की जा सकती कि गंभीर की कोचिंग शैली पर सवाल उठाए गए या नहीं. लेकिन भारतीय टीम के ‘थिंक टैंक’ में कुछ लोग मुख्य कोच के साथ एकमत नहीं हैं. भारत के ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए नितीश रेड्डी और रणजी ट्रॉफी में केवल 10 मैच खेलने वाले तेज गेंदबाज हर्षित राणा का चयन भी सर्वसम्मति से नहीं किया गया है. ऐसे में हार के साथ-साथ गंभीर के इस दखलअंदाजी पर भी बीसीसीआई की नजर रही. फिलहाल भारतीय टीम 10 और 11 नवंबर को दो टुकड़ियों में ऑस्ट्रेलिया के लिए रवाना होगी. ऐसे में सीरीज में जीत ही भारतीय टीम का एकमात्र लक्ष्य होगा. ताकि इन जिम्मेदार ‘थिंक टैंक’ अपने निर्णयों को सही साबित कर सके. 


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