Thursday, November 14, 2024
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गोपाष्टमी आज, गायों की सेवा के साथ करें ये उपाय, मिलेगी श्रीकृष्ण की कृपा, नहीं आएगा कोई संकट!

Gopashtami 2024 : मथुरा समेत देशभर में गोपाष्टमी का पर्व बहुत ही धूमधाम से हर साल मनाया जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि पर जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण ने गौचारण शुरू किया था, इसलिए इसी तिथि पर गोपाष्टमी का त्योहार मनाया जाता है. श्रीमदभागवत में वर्णन देखने को मिलता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने गायों के संग खेला करते थे और उन्हें गायों से बेहद प्रेम था. पंचाग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 08 नवंबर को रात 11 बजकर 56 मिनट से होगी. वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 09 नवंबर को रात 10 बजकर 45 मिनट पर होगा. ऐसे में गोपाष्टमी का पर्व आज 09 नवंबर को है.

गाय की पूजा – सुबह 08.01 – सुबह 09.22

दोपहर पूजा – दोपहर 12.05 – शाम 04.09

गोपाष्टमी पर गाय की पूजा का महत्व
गोपाष्टमी के दिन लोग गायों के प्रति कृतज्ञता और सम्मान दर्शाते हैं. मान्यता है कि गाय में 33 कोटि देवी-देवता का वास होता है. इनकी आराधना से जीवन में नवग्रहों के दोष दूर होते हैं. धन संकट की समस्या खत्म होती है.

गोपाष्टमी की पूजा विधि
गोपाष्टमी तिथि को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सबसे पहले स्वयं स्नानादि करना चाहिए और भगवान कृष्ण के समक्ष दीप प्रज्वलित करें. गाय-बछड़े को नहलाकर तैयार करें और गाय को घुंघरू आदि पहनाएं. गौ माता के सींग रंगकर उनमें चुनरी बांधे.अब गाय को भोजन कराए. इसके बाद गाय की परिक्रमा करें. गोधूलि बेला में पुनः गाय का पूजन करें और उन्हें गुड़, हरा चारा आदि खिलाएं.

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गोपाष्टमी की पौराणिक कथा
एक पौराणिक कथा अनुसार बालक कृष्ण ने माँ यशोदा से गायों की सेवा करनी की इच्छा व्यक्त की कृष्ण कहते हैं कि माँ मुझे गाय चराने की अनुमति मिलनी चाहिए. उनके कहने पर शांडिल्य ऋषि द्वारा अच्छा समय देखकर उन्हें भी गाय चराने ले जाने दिया जो समय निकाला गया, वह गोपाष्टमी का शुभ दिन था. बालक कृष्ण गायों की पूजा करते हैं, प्रदक्षिणा करते हुए साष्टांग प्रणाम करते हैं.

गोपाष्टमी के अवसर पर गऊशालाओं व गाय पालकों के यहां जाकर गायों की पूजा अर्चना की जाती है इसके लिए दीपक, गुड़, केला, लडडू, फूल माला, गंगाजल इत्यादि वस्तुओं से इनकी पूजा की जाती है. महिलाएं गऊओं से पहले श्री कृष्ण की पूजा कर गऊओं को तिलक लगाती हैं. गायों को हरा चारा, गुड़ इत्यादि खिलाया जाता है तथा सुख-समृद्धि की कामना की जाती है.गोपाष्टमी पर गऊओं की पूजा भगवान श्री कृष्ण को बेहद प्रिय है तथा इनमें सभी देवताओं का वास माना जाता है. कईं स्थानों पर गोपाष्टमी के अवसर पर गायों की उपस्थिति में प्रभातफेरी सत्संग संपन्न होते हैं. गोपाष्टमी पर्व के उपलक्ष्य में जगह-जगह अन्नकूट भंडारे का आयोजन किया जाता है. भंडारे में श्रद्धालुओं ने अन्नकूट का प्रसाद ग्रहण करते हैं.

वहीं गोपाष्टमी पर्व की पूर्व संध्या पर शहर के कई मंदिरों में सत्संग-भजन का आयोजन भी किया जाता है. मंदिर में गोपाष्टमी के उपलक्ष्य में रात्रि कीर्तन में श्रद्धालुओं ने भक्ति रचनाओं का रसपान करते हैं. इस मौके पर प्रवचन एवं भजन संध्या में उपस्थित श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है.गो सेवा से जीवन धन्य हो जाता है तथा मनुष्य सदैव सुखी रहता है.

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गोपाष्टमी के उपाय
1. गाय को चारा खिलाएं : ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, गोपाष्टमी गौ माता को समर्पित होता है. इस दिन गाय के बछडे़ या गाय को हरा चारा खिलाना चाहिए. मान्यता है कि इस दिन गाय को हरा चारा खिलाने से दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है साथ ही सभी समस्याओं से मुक्ति भी मिलती है.

2. परिक्रमा करें : धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गोपाष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण का ध्यान करना चाहिए साथ ही गाय माता की परिक्रमा करनी चाहिए. मान्यता कि ऐसा करने से भाग्योदय होता है साथ ही व्यक्ति को जीवन में किसी तरह की परेशानी नहीं उठानी पड़ती है.

3. गाय के चरणों की धूल माथे पर लगाएं : मान्यता है कि गोपाष्टमी के दिन गाय के चरणों की धूल माथे पर लगाने चाहिए. साथ ही सूर्यास्त बाद गाय माता की पूजा करनी चाहिए. उसके बाद प्रणाम भी करें. ऐसा करने से जीवन में सफलता मिलती है.

4. ग्वालों को तिलक लगाएं : धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गोपाष्टमी के दिन ग्वालों को माथे पर तिलक लगाने चाहिए साथ ही दान-दक्षिणा जरूर देना चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है साथ ही जीवन में चल रही किसी भी तरह की समस्या खत्म हो जाती है.

5. गाय की प्रतिमा रखें : ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, गोपाष्टमी के दिन गाय की प्रतिमा जरूर लगानी चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से कभी भी घर में अन्न और धन की कमी नहीं होती है. साथ ही धन संबंधित सारी समस्याएं भी खत्म हो जाती हैं.

Tags: Astrology, Lord krishna


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