Saturday, November 23, 2024
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वैकुंठ चतुर्दशी पर करें विष्णु-शिव पूजा, इस दिन होता है संसार की सत्ता का हस्तानंतरण

Vaikuntha Chaturdashi 2024 : वैकुंठ चतुर्दशी 14 नवंबर 2024 को है. ये कार्तिक पूर्णिमा से एक दिन पहले होती है.पूरे साल में सिर्फ इसी दिन हरि-हर की पूजा एक साथ होती है, ऐसा बहुत कम होता है कि एक ही दिन भगवान शिव एवं भगवान विष्णु का संयुक्त रूप से पूजन किया जाये. पुराणों के अनुसार, इस दिन किए गए दान, जप आदि का दस यज्ञों के समान फल प्राप्त होता है. जीवन के अंत समय में उसे भगवान विष्णु के धाम वैकुंठ में स्थान मिलता है.

इस दिन को हरि-हर मिलन के नाम से भी जाना जाता है
सनातन धर्म अनुसार कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को बैकुण्ठ चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है. माना जाता है कि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष कि चतुर्दशी को हेमलंब वर्ष में अरुणोदय काल में, ब्रह्म मुहूर्त में स्वयं भगवान विष्णु ने वाराणसी में मणिकर्णिका घाट पर स्नान किया था. पाशुपत व्रत करके विश्वेश्वर ने यहाँ पूजा की थी. भगवान शंकर ने भगवान विष्णु के तप से प्रसन्न होकर इस दिन पहले विष्णु और फिर उनकी पूजा करने वाले हर भक्त को वैकुंठ पाने का आशीर्वाद दिया.

ऐसी मान्यता है कि बैकुंठाधिपति भगवान विष्णु की पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और वैकुंठ धाम में निवास प्राप्त होता है.हिन्दू धर्म में वैकुण्ठ लोक भगवान विष्णु का निवास व सुख का धाम ही माना गया है. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक वैकुण्ठ लोक चेतन्य, दिव्य व प्रकाशित है. तभी से इस दिन को ‘काशी विश्वनाथ स्थापना दिवस’ के रूप में भी मनाया जाता है. इस शुभ दिन के उपलक्ष्य में भगवान शिव तथा विष्णु की पूजा की जाती है. इसके साथ ही व्रत का पारण किया जाता है. यह बैकुण्ठ चौदस के नाम से भी जानी जाती है. इस दिन श्रद्धालुजन व्रत रखते हैं.

शिव जी श्रीहरि को सौंपते हैं सृष्टि का संचालन
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वैकुंठ चतुर्दशी पर संसार की सत्ता का हस्तानंतरण होता है. योग निद्रा से बाहर आए भगवान विष्णु को भगवान शिव से संसार के संचालन का कार्य दोबारा मिलता है. श्रीहरि विष्णु इस दिन से संसार के पालनहार और संचालक की भूमिका में होते हैं. चातुर्मास में सृष्टि का संचालन भगवान शिव करते हैं.

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बैकुंठ चतुर्दशी की पूजा कब करें
 वैकुण्ठ चतुर्दशी पर भगवान विष्णु की पूजा निशिथकाल में की जाती है, जो हिंदू दिन गणना के अनुसार मध्यरात्रि का समय है. इस दिव्य अवसर पर भक्तगण विष्णु सहस्रनाम, अर्थात भगवान विष्णु के एक हजार नामों का पाठ करते हुये भगवान विष्णु को एक हजार कमल पुष्प अर्पित करते हैं. इस दिन सुबह व शाम के वक्त भगवान विष्णु व उनके बाद शिवलिंग या शिव की प्रतिमा की पंचोपचार पूजा करें. इस दिन विष्णु जी के मंत्र जाप तथा स्तोत्र पाठ करने से बैकुण्ठ धाम की प्राप्ति होती है.

Tags: Astrology, Kashi Vishwanath, Lord Shiva, Lord vishnu


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