रोहिणी नक्षत्र : इसका स्वामी मंगल है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रोहिणी नक्षत्र के स्वामी चंद्रमा और रोहिणी नक्षत्र के प्रथम चरण के स्वामी मंगल का मेल व्यक्ति को हमेशा धन, प्रसिद्धि, सुख-समृद्धि और उन्नति प्रदान करता है. द्वितीय चरण वृष राशि से संबंधित है. इसका स्वामी शुक्र है.रोहिणी नक्षत्र को वृष राशि का मस्तक कहा गया है. इस नक्षत्र में तारों की संख्या 5 है. भूसे वाली गाड़ी जैसी आकृति का यह नक्षत्र फरवरी के मध्य भाग में मध्याकाश में पश्चिम दिशा की तरफ रात को 6 से 9 बजे के बीच दिखाई देता है. यह कृत्तिका नक्षत्र के पूर्व में दक्षिण भाग में दिखता है. नक्षत्रों के क्रम में चौथे स्थान पर आने वाला नक्षत्र वृष राशि के 10 डिग्री-0′-1” से 23 डिग्री-20′-0” के बीच है. किसी भी वर्ष की 26 मई से 8 जून तक के 14 दिनों में इस नक्षत्र से सूर्य गुजरता है. इस प्रकार रोहिणी के प्रत्येक चरण में सूर्य लगभग साढ़े तीन दिन रहता है.रोहिणी के देवता ब्रह्माजी हैं. इस नक्षत्र का स्वामी शुक्र है. योग- सौभाग्य, जाति- स्त्री तथा स्वभाव से शुभ है. रोहिणी की पहचान उसकी विशाल आंखें हैं. वर्ण- शूद्र है और उसका विंशोतरी दशा स्वामी ग्रह चंद्र है.
रोहिणी नक्षत्र में जन्म : इस नक्षत्र के जातक पतले, स्वार्थी, झूठे, सामाजिक, मित्राचार वाले, दृढ़ मनोबल वाले, बुद्धिशाली, पद-प्रतिष्ठा वाले, रसवृत्ति वाले, सुखी, संगीत कला इत्यादि ललित कलाओं में रस रखने वाले, देव-देवियों में आराध्य वाले मिलते हैं. जातक मानसिक रूप से स्वस्थ होते हैं.जिस स्त्री का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ हो वह स्त्री सुंदर, सावधान, पवित्र, पति की आज्ञाकारिणी, माता-पिता की भक्त और सेवाभावी पुत्र-पुत्रियों से युक्त, ऐश्वर्यवान होती है.
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रोहिणी नक्षत्र के चार चरण
- प्रथम चरण रोहिणी नक्षत्र का पहला चरण मेष राशि से संबंध रखता है. इसका स्वामी मंगल है. ज्योतिष स्त्र के अनुसार रोहिणी नक्षत्र के स्वामी चंद्रमा और रोहिणी नक्षत्र के प्रथम चरण के स्वामी मंगल का मेल व्यक्ति को हमेशा धन, प्रसिद्धि, सुख-समृद्धि और उन्नति प्रदान करता है.
- द्वितीय चरण वृष राशि से संबंधित है. इसका स्वामी शुक्र है. ऐसे व्यक्ति सुंदर, आकर्षक, मनमोहक और सौम्य स्वभाव के होते हैं. हालांकि, इन व्यक्तियों को जीवन में कुछ-न-कुछ दुख या पीड़ा का सामना करना पड़ता है. लेकिन शुक्र की दशा और अंतर्दशा में विशेष उन्नति मिलती है. ये लोग बागवानी, खेती जैसी गतिविधियों में रुचि रखते हैं.
- तृतीय चरण का स्वामी बुध है. ऐसे व्यक्ति जिम्मेदार, सत्यवादी, नैतिक और आर्थिक रूप से मजबूत होने के साथ ही गायन और कला जैसे क्षेत्रों में श्रेष्ठ स्थान प्राप्त करते हैं. चंद्रमा में बुध की दशा और अंतर्दशा में इन्हें उन्नति मिलती है. इसके अलावा संचार कौशल में कुशल ये लोग पत्रकारिता, लेखन या शिक्षण जैसे कार्यों में रुचि रखने वाले होते हैं.
- चतुर्थ चरण कर्क राशि से संबंधित चौथे चरण पर चंद्रमा का शासन होने के कारण ऐसे व्यक्ति तेजस्वी, सत्यवादी, सौंदर्य प्रेमी, शांतिपूर्ण तथा जलीय व तरल पदार्थ से संबंधित व्यवसाय करने वाले होते हैं. इसके अलावा ये लोग भावनात्मक देखभाल करने वाले होते हैं. इनका अपने परिवार से गहरा संबंध होता है. ये व्यक्ति परामर्श, मनोविज्ञान या सामाजिक कार्य जैसे क्षेत्रों में भी सफलता प्राप्त करते हैं.
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रोहिणी नक्षत्र व्यापार : टेक्सटाइल एजेन्सी, पायलट, किसान, खनिज व्यापार, डेयरी संचालक, विज्ञान प्रोफेसर,एजेंट्स, जज, फैंसी आइटमों के व्यापारी, जमीन, खेती, राजकीय प्रवृत्तियों द्वारा, साहित्य आदि से धन-वैभव और सत्ता प्राप्त करते हैं.
रोहिणी नक्षत्र के बारे में कुछ खास बातेंः
1. वेदों का जन्म भी रोहिणी नक्षत्र में हुआ था.
2. भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भी इसी नक्षत्र में हुआ था.
3. रोहिणी नक्षत्र में चंद्रमा की उपासना करना बहुत ही लाभदायक माना जाता है.
4. रोहिणी नक्षत्र में चंद्रमा की उपासना करने से व्यक्ति की मानसिक स्थिति बेहतर होती है.
5. रोहिणी नक्षत्र में चंद्रमा की उपासना करने से माता के साथ रिश्ते अच्छे होते हैं.
6. रोहिणी नक्षत्र में चंद्रमा की उपासना करने से भय से छुटकारा मिलता है.
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FIRST PUBLISHED : November 4, 2024, 15:08 IST