Dev Uthani ekadashi 2024 : देवउठनी एकादशी दिन पांच माह बाद देव योग निद्रा से जागेंगे और फिर समस्त मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे. हिंदू धर्म में इसे देवोत्थान एकदशी के नाम से भी जाना जाता है. कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली देवउठनी एकादशी मां लक्ष्मी और श्रीहरि विष्णु को प्रसन्न करने के लिए श्रेष्ठ दिन माना जाता है, इसके प्रभाव से बड़े-से-बड़ा पाप भी क्षण मात्र में ही नष्ट हो जाता है.
देवउठनी एकादशी की कथा : धर्म ग्रंथों के स्वंय श्रीकृष्ण ने देवउठनी एकादशी का महाम्त्य बताया है, इसके अनुसार एक राज्य में एकादशी के दिन प्रजा से लेकर पशु तक कोई भी अन्न नहीं ग्रहण करता था. एक दिन भगवान विष्णु ने राजा की परीक्षा लेने की सोची और सुंदरी भेष बनाकर सड़क किनारे बैठ गए. राजा की भेंट जब सुंदरी से हुई तो उन्होंने उसके यहां बैठने का कारण पूछा. स्त्री ने बताया कि वह बेसहारा है. राजा उसके रूप पर मोहित हो गए और बोले कि तुम रानी बनकर मेरे साथ महल चलो. सुंदर स्त्री के राजा के सामने शर्त रखी कि ये प्रस्ताव तभी स्वीकार करेगी जब उसे पूरे राज्य का अधिकार दिया जाएगा और वह जो बनाए राजा को खाना होगा. राजा ने शर्त मान ली. अगले दिन एकादशी पर सुंदरी ने बाजारों में बाकी दिनों की तरह अन्न बेचने का आदेश दिया. मांसाहार भोजन बनाकर राजा को खाने पर मजबूर करने लगी. राजा ने कहा कि आज एकादशी के व्रत में मैं तो सिर्फ फलाहार ग्रहण करता हूं. रानी ने शर्त याद दिलाते हुए राजा को कहा कि अगर यह तामसिक भोजन नहीं खाया तो मैं बड़े राजकुमार का सिर धड़ से अलग कर दूंगी, राजा ने अपनी स्थिति बड़ी रानी को बताई. बड़ी महारानी ने राजा से धर्म का पालन करने की बात कही और अपने बेटे का सिर काट देने को मंजूर हो गई. राजा हताश थे और सुंदरी की बात न मानने पर राजकुमार का सिर देने को तैयार हो गए. सुंदरी के रूप में श्रीहरि राजा के धर्म के प्रति समर्पण को देखर अति प्रसन्न हुए और उन्होंने अपने असली रूप में आकर राजा को दर्शन दिए.
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विष्णु जी ने राजा को बताया कि तुम परीक्षा में पास हुए, कहो क्या वरदान चाहिए. राजा ने इस जीवन के लिए प्रभू का धन्यवाद किया कहा कि अब मेरा उद्धार कीजिए. राजा की प्रार्थना श्रीहरि ने स्वीकार की और वह मृत्यु के बाद बैंकुठ लोक को चला गया.
देव प्रबोधिनी एकादशी पर शादी से जुड़े कुछ उपाय:
1. इस दिन तुलसी विवाह कराना शुभ माना जाता है. ऐसा करने से शादी में आ रही रुकावटें दूर होती हैं और जल्द ही विवाह का योग बनता है.
2. तुलसी को सभी तरह के श्रृंगार से सजाना चाहिए.
3. तुलसी के पौधे में कच्चे दूध में गन्ने का रस मिलाकर अर्पित करना चाहिए.
4. तुलसी के पौधे के सामने पांच देसी घी के दीपक जलाकर आरती करनी चाहिए.
5. तुलसी विवाह के बाद कलश भर के घर में प्रवेश करने से धन की कमी नहीं आती.
6. तुलसी नामाष्टक पढ़ने से शीघ्र विवाह होता है और रिश्तों में मधुरता आती है.
7. जिन लोगों की कन्याएं नहीं होतीं, वे इस दिन तुलसी का विवाह करके कन्यादान का पुण्य प्राप्त कर सकते हैं.
देव प्रबोधिनी एकादशी से जुड़े कुछ और उपाय:
1. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी दल का इस्तेमाल ज़रूर करना चाहिए.
2. इस दिन भगवान विष्णु को पीले रंग के फूल अर्पित करने चाहिए.
3. इस दिन भगवान विष्णु को केसर, पीले चंदन, या हल्दी का तिलक लगाना चाहिए.
4. इस दिन भगवान विष्णु का अभिषेक करना चाहिए.
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देवउठनी एकादशी उपाय:
- देवउठनी एकादशी पर दान पुण्य करने का विशेष महत्व माना जाता है. इसलिए अपने जीवन की सभी मुश्किलों को दूर करने के लिए देवउठनी एकादशी के दिन किसी गरीब या जरूरतमंद को भोजन कराएं.
- देवउठनी एकादशी के दिन भगवान श्री हरि विष्णु का केसर वाले दूध से अभिषेक करें. ऐसा करने से आपके करियर लाइफ में आ रही मुश्किलें दूर होंगी और आपको अपनी प्रतिभा चमकने के नए अवसर भी मिलेंगे.
- छात्रों के लिए एकादशी के दिन श्रीमद् भागवत कथा का पाठ जरूर करना बेहद शुभ माना जाता है.
- अगर आप आर्थिक दिक्कतों से परेशान हैं तो देवउठनी एकादशी के दिन प्रातः काल स्नान करके ब्रह्म मुहूर्त में भगवान श्री हरि विष्णु की पूरी श्रद्धा के साथ पूजा करें और एक पान के पत्ते में ॐ विष्णवे नमः लिखकर भगवान के चरणों में अर्पित करें. अगले दिन इस पत्ते को पीले रंग के कपड़े में लपेटकर तिजोरी में रख दें.
- अगर आपके वैवाहिक जीवन में कड़वाहट आ गई है और दिन-ब-दिन रोज तू तू मैं मैं की स्थिति बनी रहती है तो देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह पूजन करें. इस दिन लक्ष्मी माता और तुलसी माता को श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें.
- देवउठनी एकादशी के दिन पीपल के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाने और परिक्रमा करने से भगवान विष्णु के साथ-साथ मां लक्ष्मी का आशीर्वाद भी मिलता है. ऐसा करने से घर की दरिद्रता दूर हो सकती है.
Tags: Astrology, Devotthani Ekadashi Ayodhya
FIRST PUBLISHED : November 2, 2024, 17:16 IST