Diwali 2024 Laxmi Ji Ki Aarti Meaning: कल 31 अक्टूबर 2024 को पूरे देश में दीपावली का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाएगा. पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान श्री राम माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ चौदह वर्षों के वनवास के बाद लौटे थे. इस खुशी के अवसर पर आज भी घर के हर कोने को दीपों से सजाया जाता है. मान्यता है कि दिवाली 2024 के दिन भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की विशेष पूजा करने से भक्तों को अद्वितीय लाभ प्राप्त होता है. इसलिए शास्त्रों में संध्या काल में माता लक्ष्मी की पूजा के साथ आरती करना अनिवार्य बताया गया है. इसके साथ ही कुछ मंत्रों का उच्चारण भी किया जाता है, जिनके सही उच्चारण से व्यक्ति माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त कर सकता है.
Diwali 2024 Laxmi Ji Aarti: ओम जय लक्ष्मी माता … दीपावली पर माता लक्ष्मी को करें इस आरती से प्रसन्न
Laxmi Ji Ki Aarti: ‘ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता आरती’, दिवाली पर ऐसे करें लक्ष्मी जी की आरती
माता लक्ष्मीजी की आरती
महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं सुरेश्र्वरी |
हरिप्रिये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं दयानिधे ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता |
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता….
उमा ,रमा,ब्रम्हाणी, तुम जग की माता |
सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता….
दुर्गारुप निरंजन, सुख संपत्ति दाता |
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि सिद्धी धन पाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता….
तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता |
कर्मप्रभाव प्रकाशनी, भवनिधि की त्राता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता….
जिस घर तुम रहती हो, ताँहि में हैं सद् गुण आता|
सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता….
तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता |
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता….
शुभ गुण मंदिर सुंदर क्षीरनिधि जाता|
रत्न चतुर्दश तुम बिन ,कोई नहीं पाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता….
महालक्ष्मी जी की आरती ,जो कोई नर गाता |
उँर आंनद समाा,पाप उतर जाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता….
स्थिर चर जगत बचावै ,कर्म प्रेर ल्याता |
रामप्रताप मैया जी की शुभ दृष्टि पाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता….
ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता |
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता…
अर्थ
हे माता, आपकी जय हो, हे माता लक्ष्मी, आपकी जय हो. शिव, विष्णु और ब्रह्मा प्रतिदिन और रात्रि में आपका ध्यान करते हैं.
आप स्वयं ब्रह्मा, रुद्र और विष्णु की पत्नी और जगत की माता हैं. ऋषि नारद आपकी स्तुति करते हैं और सूर्य और चंद्रमा आपका ध्यान करते हैं.
दुर्गा के रूप में, आप सुख और समृद्धि दोनों प्रदान करती हैं; और जो आपका ध्यान करता है, वह सभी ऋद्धि और सिद्धि-समृद्धि और सिद्धि का प्राप्तकर्ता बन जाता है.
आप के अलावा कोई भी पृथ्वी के पाताल में निवास नहीं करता है और आप ही सौभाग्य सुनिश्चित करती हैं, कर्म (क्रिया) के प्रभाव को प्रकाश में लाती हैं और सभी सांसारिक खजाने की रक्षा करती हैं.
आप जहां निवास करती हैं, वहां सभी गुण एकत्रित होते हैं; आपकी कृपा और कृपा से बिना किसी घबराहट के असंभव भी संभव हो जाता है.
आपके (आपकी कृपा के) बिना कोई यज्ञ नहीं किया जा सकता है, कोई भी व्यक्ति (अपने शरीर को ढकने के लिए) कोई वस्त्र प्राप्त नहीं कर सकता है; यह आप ही हैं जो किसी व्यक्ति को उसकी जीविका (खाना-पीना) प्रदान करते हैं.
हे क्षीरसागर की पुत्री और सभी शुभ गुणों के सुन्दर मंदिर, आप उन सभी चौदह रत्नों का सजीव समूह हैं, जिनसे अन्य कोई भी संपन्न नहीं है.
जो कोई भी लक्ष्मी की यह प्रार्थना करता है, उसके पाप धुल जाते हैं और उसे आनंद की अनुभूति होती है.