Saturday, November 23, 2024
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इस दिवाली करें अपनी कुलदेवी की पूजा, सभी समस्याओं का होगा अंत, जानें आपके गोत्र की कुलदेवी कौन हैं?

कुलदेवी पूजा : धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अपने कुलदेवी या देवता के साथ हर परिवार का एक दैविय संबंध होता है, जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे बढ़ता रहता है. यदि आपको अपने गोत्र का पता है, तो इससे भी आप अपने कुल देवी या देवता के बारे में जान सकते हैं. प्रत्येक गोत्र का अपना एक अलग देवी या देवता होता है. जिस स्थान पर व्यक्ति के पूर्वज रहते थे, उस स्थान के देवी-देवता भी उस व्यक्ति के कुलदेवी-देवता माने जाते हैं. ऐसे में आप अपने घर के बड़े-बुजुर्गों से बात करके भी अपनी कुलदेवी या कुलदेवता का पता कर सकते हैं. इसके अलावा आपके परिवार या कुल की प्रमुख पूजाएं जिस स्थान पर की जाती हैं, उसके बारे में पता लगाकर भी आप जान सकते हैं कि आपके कुल देवी-देवता कौन हैं. अगर आप भी अपने कुल देवी माता को नहीं जानते तो इस लेख के माध्यम से इसका पता लगाएं एवं इस दिवाली अपनी कुलदेवी माता के नाम का भोग एवं दिया घर में जलाएं. इससे कुलदेवी प्रसन्न होकर आपके जीवन में आ रही हर तरह की समस्या को स्वयं समाप्त कर देंगी.

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अपनी कुलदेवी या कुलदेवता का पता लगाने के लिए, ये तरीके अपनाए जा सकते हैं:

  1. परिवार के बड़े-बुज़ुर्गों से पूछें.
  2. अगर आपके गोत्र का पता है, तो इससे भी कुलदेवी या कुलदेवता के बारे में जानकारी मिल सकती है. हर गोत्र का अपना एक अलग देवी या देवता होता है.
  3. परिवार के पंडा या बारोट से संपर्क करें. ये लोग अपने पूर्वजों के समय से जुड़ी जानकारी रखते हैं.
  4. मंगलवार को सुबह स्नान करके पूजा करें. इस दौरान शुद्धता का विशेष ध्यान रखें. ब्रह्मचर्य का पालन करें और मांस-मदिरा से परहेज़ करें. इस दौरान आपको स्वप्न में कुलदेवी या कुलदेवता की जानकारी मिल सकती है.

कुलदेवी या कुलदेवता के बारे में कुछ और बातेंः

  1. कुलदेवी या कुलदेवता, किसी भी परिवार का प्रतिनिधित्व करते हैं.
  2. हिंदू धर्म में इन्हें विशेष रूप से पूजा जाता है.
  3. शादी, नई बहू के आगमन, बच्चे के जन्म जैसे शुभ अवसरों पर इनकी पूजा की जाती है.
  4. कुलदेवी की पूजा वंश की सुरक्षा के लिए की जाती है.
  5. शास्त्रों के मुताबिक, कुलदेवी और कुलदेवता की कृपा पाने के लिए रोज़ सुबह और शाम को भोग लगाना चाहिए.

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गोत्र से जानें अपनी कुलदेवी माता को :

1. राठौड़-नागणेचिया 2. गहलोत-बाणेश्वरी माता 3. कछवाहा-जमवाय माता 4. दहिया-कैवाय माता
5. गोहिल-बाणेश्वरी माता 6. चौहान-आशापूर्णा माता 7. बुन्देला-अन्नपूर्णा माता 8. भारदाज-शारदा माता
9. चंदेल-मेंनिया माता 10. नेवतनी-अम्बिका भवानी 11. शेखावत-जमवाय माता 12. चुड़ासमा-अम्बा भवानी माता
13. बड़गूजर-कालिका माता 14. निकुम्भ-कालिका माता 15. भाटी-स्वांगिया माता 16. उदमतिया-कालिका माता
17. उज्जेनिया-कालिका माता 18. दोगाई-कालिका(सोखा)माता 19. धाकर-कालिका माता 20. गर्गवंश-कालिका माता
21. परमार-सच्चियाय माता 22. पड़िहार-चामुण्डा माता 23. सोलंकी-खीवज माता 24. इन्दा-चामुण्डा माता
25. जेठंवा-चामुण्डा माता 26. चावड़ा-चामुण्डा माता 27. गोतम-चामुण्डा माता 28. यादव-योगेश्वरी माता
29. कौशिक-योगेश्वरी माता 30. परिहार-योगेश्वरी माता 31. बिलादरिया-योगेश्वरी माता 32. तंवर-चिलाय माता
33. हैध्य-विन्ध्यवासिनि माता 34. कलचूरी-विन्धावासिनि माता 35. सेंगर-विन्धावासिनि माता 36. भॉसले-जगदम्बा माता
37. दाहिमा-दधिमति माता 38. रावत-चण्डी माता 39. लोहथम्ब-चण्डी माता 40. काकतिय-चण्डी माता
41. लोहतमी-चण्डी माता 42. कणड़वार-चण्डी माता 43. केलवाडा-नंदी माता 44. हुल-बाण माता
45. बनाफर-शारदा माता 46. झाला-शक्ति माता 47. सोमवंश-महालक्ष्मी माता 48. जाडेजा-आशपुरा माता
49. वाघेला-अम्बाजी माता 50. सिंघेल-पंखनी माता 51. निशान-भगवती दुर्गा माता 52. बैस-कालका माता
53. गोंड़-महाकाली माता 54. देवल-सुंधा माता 55. खंगार-गजानन माता 56. चंद्रवंशी-गायत्री माता
57. पुरु-महालक्ष्मी माता 58. जादोन-कैला देवी (करोली ) 59. छोकर-चन्डी केलावती माता 60. नाग-विजवासिन माता
61. लोहतमी-चण्डी माता 62. चंदोसिया-दुर्गा माता 63. सरनिहा-दुर्गा माता 64. सीकरवाल-दुर्गा माता
65. किनवार-दुर्गा माता 66. दीक्षित-दुर्गा माता 67. काकन-दुर्गा माता 68. तिलोर-दुर्गा माता
69. विसेन-दुर्गा माता 70. निमीवंश-दुर्गा माता 71. निमुडी-प्रभावती माता 72. नकुम-वेरीनाग बाई
73. वाला- गात्रद माता 74. स्वाति-कालिका माता 75. राउलजी-क्षेमकल्याणी माता

Tags: Astrology, Dharma Aastha, Dharma Culture, Diwali, Diwali Celebration, Diwali festival


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