COVID 19 : कोविड-19 कोरोना की वैश्विक महामारी के बाद लोगों के मन में अभी भी दहशत है और उसके दिए जख्म आज तक नहीं भर पाए हैं. चीन से फैला कोरोना का वायरस दुनिया भर में लोगों की जानें लिया. लगभग डेढ़ साल तक लोग अपने घरों में बंद रहे. कुछ लोगों से रोजगार छिन गए तो कुछ लोगों से उनकी जिंदगी. कुछ ने अपने परिवार को खोया तो कुछ ने अपने दोस्तों को, इस बीमारी ने लोगों की मानसिक स्थिति पर भी एक गहरी छाप छोड़ी है.
COVID 19 : जापान की रिसर्च टीम ने पता लगाया असली कारण
कोविड-19 से जननी स्थितियों को संभालने के बाद दुनिया भर में कई रिसर्च टीमों ने इस बात पर गहरी चिंता जताई कि आखिर ऐसा हुआ क्यों? इसी बीच जापान की रिसर्च टीम ने इस सवाल के जवाब को ढूंढने में सफलता प्राप्त की कि कोविड-19 इतना खतरनाक क्यों था. कोविड-19 की वजह बनने वाला कोरोनावायरस 2 (SARS-CoV-2) में एक एंजाइम पाया गया जिसके कारण यह बीमारी इतनी भयावह थी.
COVID 19 : आखिर क्यों है सार्स और मेर्स की तुलना में कोविड 19 अधिक संक्रामक
जापान के कोबे यूनिवर्सिटी के रिसचर्स ने पता लगाया कि सार्स और मेर्स वायरस की तुलना में कॉविड-19 अधिक संक्रामक क्यों है? स्टडी के दौरान रिसचर्स की टीम ने कोविद वायरस में ISG-15 नाम के मॉलेक्युलर टैग की भूमिका पर ध्यान दिया. यह न्यूक्लियोकैप्सिड प्रोटीन को एक दूसरे से जुडने नहीं देते हैं और यह वायरस को इकट्ठा करने की एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया होती है.
COVID 19 : क्या कहा कोबे यूनिवर्सिटी के वायरोलॉजिस्ट ने ?
कोबे यूनिवर्सिटी के वायरोलॉजिस्ट शोजी इकुओ ने जर्नल ऑफ़ वायरोलॉजी में एक आर्टिकल में समझाया कि एंजाइम अपने न्यूक्लियोकैप्सिड से टैग हटा सकता है, जिससे इसकी नए एंजाइम को इकट्ठा करने की क्षमता दोबारा विकसित होती है. शोजी के हिसाब से नोबेल कोरोना वायरस इसी क्षमता की वजह से ज्यादा आक्रामक था.
COVID 19 : वैक्सीनेशन ने संभाली स्थिति ?
सार्स और मेर्स वायरस के विपरीत कोविड बहुत तेजी से पूरी दुनिया में फैल गया था. यहां तक की कम आबादी वाला देश अंटार्कटिका भी इसकी गिरफ्त से अछूता नहीं रहा. कोविड वायरस में म्यूटेशन होते रहे और यह लोगों को संक्रमित करता रहा. हालांकि बड़े स्तर पर वैक्सीनेशन से इसका असर काफी हद तक नियंत्रित किया जा सका था.
COVID 19 : भविष्य में हो सकती है नई दवाई विकसित?
वैज्ञानिकों की समझ से उनकी रिसर्च से भविष्य में इस तरह की बीमारियों के खिलाफ लड़ने में मदद मिलेगी और वैक्सीन डेवलप करना भी आसान हो जाएगा. रिसचर्स के हिसाब से अगर वो isg15 टैग को हटाने वाले वायरस एंजाइम के असर को रोक पाएंगे तो भविष्य में नई एंटीवायरल दवाई विकसित करी जा सकती हैं.