Saturday, November 23, 2024
HomeReligionधनतेरस पर धनपति कुबेर को करना है प्रसन्न, करें कोई भी एक...

धनतेरस पर धनपति कुबेर को करना है प्रसन्न, करें कोई भी एक उपाय, धन-दौलत से भर जाएगा घर!

इस साल धनतेरस का पावन पर्व 29 अक्टूबर दिन मंगलवार को है. धनतेरस के दिन धनपति कुबेर की पूजा करने का विधान है. धनतेरस पर कुबेर यंत्र की स्थापना करके रोज पूजा करने से धन-वैभव में बढ़ोत्तरी होती है. कहा जाता है ​कि कुबरे के पास धन का अक्षय भंडार है, जो कभी खत्म नहीं होता है. वे देवताओं के धन के कोषाध्यक्ष हैं. धनतेरस के अवसर पर कुबेर की पूजा करने से स्थिर धन की प्राप्ति होती है. आपके पास जो भी धन-दौलत होगा, वह स्थिर रहेगा. उसमें कमी नहीं होगी. पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने अपने प्रिय भक्त गुण​निधि को अगले जन्म में धनपति होने का वरदान दिया था, वे ही गुण​निधि अगले जन्म में धनपति कुबेर के नाम से प्रसिद्ध हुए. श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी से जानते हैं धनतेरस पर कुबेर को प्रसन्न करने के उपाय के बारे में.

धनतेरस 2024: कुबेर को प्रसन्न करने के उपाय
धनतेरस के अवसर पर आप धनपति कुबेर को प्रसन्न करने के लिए उनके मंत्रों का जाप करें या फिर कुबेर चालीसा का पाठ करें. घर पर कुबेर यंत्र की स्थापना करके पूजा करें. इससे आपको लाभ होगा.

1. धन प्राप्ति कुबेर मंत्र
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः॥

2. अष्टलक्ष्मी कुबेर मंत्र
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥

3. कुबेर अमोघ मंत्र
ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये, धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥

ये भी पढ़ें: कब है धनतेरस? 1 घंटा 41 मिनट का शुभ मुहूर्त, बनेगा त्रिपुष्कर योग, जानें सोना खरीदने का सही समय, महत्व

कुबेर चालीसा
दोहा
जैसे अटल हिमालय,और जैसे अडिग सुमेर।
ऐसे ही स्वर्ग द्वार पै,अविचल खड़े कुबेर॥
विघ्न हरण मंगल करण,सुनो शरणागत की टेर।
भक्त हेतु वितरण करो,धन माया के ढ़ेर॥

चौपाई
जय जय जय श्री कुबेर भण्डारी। धन माया के तुम अधिकारी॥
तप तेज पुंज निर्भय भय हारी। पवन वेग सम सम तनु बलधारी॥

स्वर्ग द्वार की करें पहरे दारी। सेवक इन्द्र देव के आज्ञाकारी॥
यक्ष यक्षणी की है सेना भारी। सेनापति बने युद्ध में धनुधारी॥

महा योद्धा बन शस्त्र धारैं। युद्ध करैं शत्रु को मारैं॥
सदा विजयी कभी ना हारैं। भगत जनों के संकट टारैं॥

प्रपितामह हैं स्वयं विधाता। पुलिस्ता वंश के जन्म विख्याता॥
विश्रवा पिता इडविडा जी माता। विभीषण भगत आपके भ्राता॥

शिव चरणों में जब ध्यान लगाया। घोर तपस्या करी तन को सुखाया॥
शिव वरदान मिले देवत्य पाया। अमृत पान करी अमर हुई काया॥

धर्म ध्वजा सदा लिए हाथ में। देवी देवता सब फिरैं साथ में॥
पीताम्बर वस्त्र पहने गात में। बल शक्ति पूरी यक्ष जात में॥

स्वर्ण सिंहासन आप विराजैं। त्रिशूल गदा हाथ में साजैं॥
शंख मृदंग नगारे बाजैं। गंधर्व राग मधुर स्वर गाजैं॥

चौंसठ योगनी मंगल गावैं। ऋद्धि सिद्धि नित भोग लगावैं॥
दास दासनी सिर छत्र फिरावैं। यक्ष यक्षणी मिल चंवर ढूलावैं॥

ऋषियों में जैसे परशुराम बली हैं। देवन्ह में जैसे हनुमान बली हैं॥
पुरुषों में जैसे भीम बली हैं। यक्षों में ऐसे ही कुबेर बली हैं॥

भगतों में जैसे प्रहलाद बड़े हैं। पक्षियों में जैसे गरुड़ बड़े हैं॥
नागों में जैसे शेष बड़े हैं। वैसे ही भगत कुबेर बड़े हैं॥

कांधे धनुष हाथ में भाला। गले फूलों की पहनी माला॥
स्वर्ण मुकुट अरु देह विशाला। दूर दूर तक होए उजाला॥

कुबेर देव को जो मन में धारे। सदा विजय हो कभी न हारे॥
बिगड़े काम बन जाएं सारे। अन्न धन के रहें भरे भण्डारे॥

कुबेर गरीब को आप उभारैं। कुबेर कर्ज को शीघ्र उतारैं॥
कुबेर भगत के संकट टारैं। कुबेर शत्रु को क्षण में मारैं॥

ये भी पढ़ें: 5 शुभ संयोग में मनाई जाएगी अहोई अष्टमी, जानें पूजा मुहूर्त, व्रत नियम और महत्व

शीघ्र धनी जो होना चाहे। क्युं नहीं यक्ष कुबेर मनाएं॥
यह पाठ जो पढ़े पढ़ाएं। दिन दुगना व्यापार बढ़ाएं॥

भूत प्रेत को कुबेर भगावैं। अड़े काम को कुबेर बनावैं॥
रोग शोक को कुबेर नशावैं। कलंक कोढ़ को कुबेर हटावैं॥

कुबेर चढ़े को और चढ़ादे। कुबेर गिरे को पुन: उठा दे॥
कुबेर भाग्य को तुरंत जगा दे। कुबेर भूले को राह बता दे॥

प्यासे की प्यास कुबेर बुझा दे। भूखे की भूख कुबेर मिटा दे॥
रोगी का रोग कुबेर घटा दे। दुखिया का दुख कुबेर छुटा दे॥

बांझ की गोद कुबेर भरा दे। कारोबार को कुबेर बढ़ा दे॥
कारागार से कुबेर छुड़ा दे। चोर ठगों से कुबेर बचा दे॥

कोर्ट केस में कुबेर जितावै। जो कुबेर को मन में ध्यावै॥
चुनाव में जीत कुबेर करावैं। मंत्री पद पर कुबेर बिठावैं॥

पाठ करे जो नित मन लाई। उसकी कला हो सदा सवाई॥
जिसपे प्रसन्न कुबेर की माई। उसका जीवन चले सुखदाई॥

जो कुबेर का पाठ करावै। उसका बेड़ा पार लगावै॥
उजड़े घर को पुन: बसावै। शत्रु को भी मित्र बनावै॥

सहस्त्र पुस्तक जो दान कराई। सब सुख भोग पदार्थ पाई॥
प्राण त्याग कर स्वर्ग में जाई। मानस परिवार कुबेर कीर्ति गाई॥

दोहा
शिव भक्तों में अग्रणी,श्री यक्षराज कुबेर।
हृदय में ज्ञान प्रकाश भर,कर दो दूर अंधेर॥
कर दो दूर अंधेर अब,जरा करो ना देर।
शरण पड़ा हूं आपकी,दया की दृष्टि फेर॥

Tags: Astrology, Dharma Aastha, Diwali Celebration, Diwali festival


Home

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular