Friday, November 15, 2024
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Brain Stroke : क्या बढ़ते वायु प्रदूषण और तापमान से बढ़ रहा है ब्रेन स्ट्रोक का खतरा?

Brain Stroke : वायु प्रदूषण और तापमान के बढ़ने से लोगों में ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ रहा है. कई शोध में धूम्रपान की वजह से भी लोगों में ब्रेन स्ट्रोक का खतरा आम पाया गया है, जिसकी वजह से असमय मौतें हो रही हैं. लेकिन इन्हीं के साथ कुछ शोध में यह भी पता चला है कि तापमान के बढ़ने से भी ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ रहा है.

Brain Stroke : Air Pollution : वायु प्रदूषण से भी होता है स्ट्रोक का खतरा

अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक शोध में पाया कि धूम्रपान की तरह बढ़ते वायु प्रदूषण और तापमान में बढ़ोतरी से मस्तिष्क आघात का खतरा हो सकता है. शोध में पहली बार वायु प्रदूषण और तापमान को ब्रेन हेमरेज के लिए जोखिम भरा पाया गया. ब्रेन हेमरेज की स्थिति तब बनती है जब दिमाग और इसे ढकने वाले टिशूज के बीच की नसों में खिंचाव पैदा होता है और वह उसे खिंचाव के कारण फट जातीं हैं. इस खिंचाव के होने के कई कारण होते हैं लेकिन इसका मुख्य कारण धूम्रपान और वायु प्रदूषण से होने वाला नुकसान होता है.

Brain Stroke : दुनिया में ब्रेन स्ट्रोक से मौतों के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं

यूनिवर्सिटी ऑफ़ वाशिंगटन में किए गए शोध में पता चला कि वायु प्रदूषण के साथ-साथ बढ़ते तापमान की वजह से भी ब्रेन हेमरेज हो सकता है. द लैंसेट न्यूरोलॉजी जनरल में छपे लेख के अनुसार दुनिया में ब्रेन स्ट्रोक से मौतों के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं और इसके कुछ मुख्य कारणों में से हैं वायु प्रदूषण, बढ़ता तापमान, शारीरिक निष्क्रियता, और उच्च रक्तचाप.

Brain Stroke : किन देशों को है सबसे ज्यादा खतरा?

एशिया अफ्रीका पूर्वी यूरोप में वायु प्रदूषण और तापमान के बढ़ने के कारण ब्रेन स्ट्रोक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और इन देशों में इस बीमारी का खतरा सबसे ज्यादा है. इस स्थिति में वहां की सरकार को वायु प्रदूषण की रोकथाम के साथ लोगों में प्रदूषण और आहार संबंधी जागरूकता के प्रयास करने की अत्यंत आवश्यकता है.

Brain Stroke : यूनिवर्सिटी ऑफ़ वाशिंगटन की रिपोर्ट

यूनिवर्सिटी ऑफ़ वाशिंगटन की रिपोर्ट मैं पहली बार ब्रेन स्ट्रोक की शिकार होने वाले लोगों की संख्या 2021 में बढ़कर 1.19 करोड़ हो गई थी. या 1990 में 70% थी. स्ट्रोक से मोटे 75 लाख हो गई जो 1990 से 44% ज्यादा है इसके अतिरिक्त स्टॉक से प्रभावित तीन चौथाई से ज्यादा लोग काम और मध्यम आय वाले देशों में रहते हैं.


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