Credit Card: ऑनलाइन खरीदारी और लोन के लिए सिबिल स्कोर बढ़ाने में क्रेडिट कार्ड नौकरी-पेशा लोगों के साथ-साथ आम आदमी के लिए काफी फायदेमंद होता है, लेकिन इस क्रेडिट कार्ड के चक्कर में कई लोग बर्बाद भी हो रहे हैं. देश में क्रेडिट कार्ड से खरीदारी कर बिल का पेमेंट चुकाने में देर करने वाले डिफॉल्टरों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी हो रही है. स्थिति यह है कि जिन लोगों ने क्रेडिट कार्ड के जरिए धड़ाधड़ खरीदारी की, वे अब बिल का पेमेंट करने के लिए बैंकों से लोन ले रहे हैं. खबर तो यह भी है कि जो लोग बिल का पेमेंट करने में सक्षम नहीं है, उन्हें मुकदमों का भी सामना करना पड़ रहा है.
देश में 1.8% बढ़े क्रेडिट कार्ड डिफॉल्ट के मामले
नवभारत टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, जून 2024 में क्रेडिट कार्ड डिफॉल्ट के मामले करीब 1.8% तक बढ़ गए. जनवरी 2024 में यह 1.7% और मार्च 2023 में 1.6% था. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मिनिमम पेमेंट के लिए क्रेडिट कार्डधारक पर्सनल लोन तक ले रहे हैं. इससे उनका फाइनेंशियल कंडीशन पहले से और भी बदतर होता जा रहा है. क्रेडिट कार्ड डिफॉल्टर घोषित होने के बाद उनका सिबिल स्कोर कमजोर होने के साथ-साथ उनकी सेहत और प्रतिष्ठा पर भी गहरा असर पड़ रहा है.
कैसे बन जाते हैं क्रेडिट कार्ड डिफॉल्टर
रिपोर्ट में कहा गया है कि दरअसल, लोग क्रेडिट कार्ड के जरिए बड़ी रकम के सामानों की खरीदारी कर लेते हैं. वे ये सोचते हैं कि इस रकम को वे किश्तों में चुका देंगे. शुरुआत में वे बड़ी खरीदारी कर तो लेते हैं, लेकिन यह बकाया राशि सालाना तकरीबन 48% की दर से बढ़ जाती है. तब पेमेंट करने में परेशानी आने लगती है. इसके बाद क्रेडिट कार्ड से खरीदारी करने वाला ऐसी स्थिति में पहुंच जाता है कि वह केवल मिनिमम पेमेंट ही कर पाता है. उधार लेने वाला आदमी कई बार मिनिमम पेमेंट करने के लिए छोटा-छोटा पर्सनल लोन लेकर कर्ज की दलदल में फंसता चला जाता है. क्रेडिट कार्ड के बिल पर मिनिमम अमाउंट का पेमेंट भी कई महीनों तक नहीं किया जाता है, तब वह व्यक्ति क्रेडिट कार्ड डिफॉल्टर हो जाता है.
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क्रेडिट कार्ड के बिल का पेमेंट करने में फेल रहने पर अपराधी
अब अगर कोई क्रेडिट कार्डधारक बिल का पेमेंट 30 दिनों तक करने में फेल हो जाता है, उसका क्रेडिट कार्ड अकाउंट पहले डेलिक्वेंट कैटेगरी (अपराधी श्रेणी) में चला जाता है. इसके बाद बिना किसी मिनिमम पेमेंट के छह महीने तक अपराधी श्रेणी में रहने के बाद अकाउंट डिफॉल्ट हो जाता है. पेमेंट में देरी होने पर बैंक आपकी आर्थिक स्थिति को समझने के लिए आपसे संपर्क करता है और तब भी आप पेमेंट नहीं करते हैं, तब आपका अकाउंट क्लोज कर दिया जाता है. इसके बाद बैंक क्रेडिट ब्यूरो नॉन-पेमेंट रिपोर्ट भेज देता है, जिससे क्रेडिट स्कोर नेगेटिव हो जाता है. क्रेडिट स्कोर या सिबिल खराब होने के बाद भविष्य में लोन लेना या फिर नया क्रेडिट कार्ड पाने में कठिनाई होती है.
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क्रेडिट कार्ड पेमेंट नहीं करने पर हो सकता है मुकदमा
क्रेडिट कार्ड या किसी भी लोन की बकाया राशि की वसूली के लिए देश के सरकारी और प्राइवेट बैंकों ने एजेंसी हायर कर रखा है. अगर आपने क्रेडिट कार्ड के बिल का लंबे से समय से पेमेंट नहीं किया है, तो ये एजेंसियां रोजाना फोन करके आपको परेशान कर देती हैं. अगर आपने फोन रिसीव करना बंद कर दिया, तो आपके पास नोटिस भेजा जाएगा. यह नोटिस आपके कार्यस्थल या घर के पते पर भेजा जाएगा. इस नोटिस के बाद भी अगर पेमेंट नहीं किया, तो बैंक या फिर क्रेडिट कार्ड जारी करने वाली कंपनियां आपके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी कर सकती हैं. इसके लिए कोर्ट या पुलिस में मुकदमा भी दर्ज किया जाता है. बड़े मामलों में बैंक धोखाधड़ी के लिए आपके खिलाफ आपराधिक मामला भी दर्ज कर सकता है.
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