Religious Significance: प्रकृति और धार्मिकता का गहरा संबंध हमारे शास्त्रों में सदियों से वर्णित है, और वृक्षों को विशेष महत्व दिया गया है. हिन्दू धर्म के शास्त्रों में ‘वृक्षारोपण’ न केवल पर्यावरण संरक्षण का एक साधन है, बल्कि इसका आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व भी बहुत गहरा है. भविष्यपुराण में वृक्षों के अलग-अलग प्रकारों का वर्णन किया गया है, और उनके लगाने से मिलने वाले अद्भुत फलों और सुखों का विस्तार से वर्णन मिलता है.
अशोक-वृक्ष और शोक का नाश
भविष्यपुराण में वर्णित है कि अशोक-वृक्ष का रोपण करने से जीवन में कभी शोक का सामना नहीं करना पड़ता. ‘अशोक’ नाम ही इस बात का प्रतीक है कि यह वृक्ष शोक का नाश करता है. धार्मिक दृष्टिकोण से अशोक-वृक्ष का रोपण जीवन में शांति और सुख की प्राप्ति कराता है और इसके प्रभाव से मानसिक पीड़ा और दुःख दूर होते हैं.
प्लक्ष (पाकड़) और उत्तम स्त्री सुख
प्लक्ष या पाकड़ के वृक्ष को उत्तम स्त्री सुख का प्रतीक माना गया है. भविष्यपुराण के अनुसार, प्लक्ष-वृक्ष का रोपण करने से व्यक्ति को श्रेष्ठ जीवन साथी की प्राप्ति होती है. यह वृक्ष ज्ञान रूपी फल भी प्रदान करता है, जो जीवन के विभिन्न पहलुओं में समृद्धि लाता है.
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बिल्ववृक्ष और दीर्घायु
बिल्ववृक्ष का धार्मिक महत्त्व शिवजी से जुड़ा हुआ है. इस वृक्ष को शिवलिंग पर चढ़ाने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है. भविष्यपुराण में कहा गया है कि बिल्ववृक्ष का रोपण करने से व्यक्ति को दीर्घ आयु और स्वस्थ जीवन का वरदान मिलता है.
जामुन और तेंदू वृक्ष के लाभ
जामुन का वृक्ष धन प्राप्ति का कारक है. इस वृक्ष को लगाने से आर्थिक समृद्धि की प्राप्ति होती है. वहीं, तेंदू वृक्ष कुलबुद्धि को शुद्ध करता है और सही दिशा में सोचने की शक्ति प्रदान करता है. इन दोनों वृक्षों के धार्मिक और जीवनशैली पर सकारात्मक प्रभाव को भविष्यपुराण में विशेष रूप से उल्लेखित किया गया है.
अनार (दाडिम) और स्त्री सुख
अनार, जिसे दाडिम भी कहा जाता है, का वृक्ष स्त्री सुख की प्राप्ति के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. यह वृक्ष न केवल स्वास्थ्यवर्धक है, बल्कि इसे लगाने से पारिवारिक जीवन में भी सुख और समृद्धि आती है.
धातकी (धव) और वटवृक्ष: स्वर्ग और मोक्ष की प्राप्ति
धातकी या धव वृक्ष का रोपण स्वर्ग प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है. यह माना जाता है कि जो व्यक्ति धातकी वृक्ष का रोपण करता है, उसे स्वर्ग के सुखों की प्राप्ति होती है. वहीं वटवृक्ष का धार्मिक महत्व मोक्ष से जुड़ा हुआ है. वटवृक्ष को भारतीय समाज में दीर्घकालीन स्थायित्व, मोक्ष और जीवन के पुनरुत्थान का प्रतीक माना जाता है.
अन्य महत्वपूर्ण वृक्ष और उनके लाभ
आम्रवृक्ष (आम): इच्छित कामनाओं की पूर्ति में सहायक होता है. यह वृक्ष जीवन में संतोष और अभिलाषाओं की पूर्ति का साधन माना गया है.
गुवाक (सुपारी): सिद्धियों की प्राप्ति का स्रोत है. सुपारी के वृक्ष को सफलता और उच्च सिद्धियों का प्रतीक माना जाता है.
कदम्ब वृक्ष: विपुल लक्ष्मी और धन प्राप्ति के लिए जाना जाता है. कदम्ब वृक्ष का धार्मिक और आर्थिक दृष्टिकोण से विशेष महत्त्व है.
तिन्तिडी (इमली): हालांकि इसे धर्मदूषक वृक्ष माना गया है, इसलिए इसे धार्मिक कार्यों में कम महत्व दिया गया है.
शमी-वृक्ष: शमी को रोग नाशक वृक्ष के रूप में जाना जाता है. इसे लगाने से व्यक्ति स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से मुक्त रहता है.
केशर-वृक्ष: शत्रुओं का विनाश करने वाला वृक्ष है. इसे धार्मिक रूप से सुरक्षा और विजय प्राप्ति का प्रतीक माना जाता है.
व्रक्षारोपण और स्वर्ग प्राप्ति का संबंध
भविष्यपुराण में यह भी वर्णित है कि विधिपूर्वक वृक्षों का रोपण करने से व्यक्ति को स्वर्ग-सुख की प्राप्ति होती है. इस रोपण से तीन जन्मों तक के पाप नष्ट हो जाते हैं. ऐसे वृक्षों के उदाहरणों में शीशम, अर्जुन, जयंती, करवीर, बेल और पलाश प्रमुख हैं. इन वृक्षों के रोपण से न केवल पर्यावरण में सुधार होता है, बल्कि व्यक्ति के जीवन में भी धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति होती है.
वृक्षारोपण की विधि और धार्मिक प्रभाव
वृक्षों का सही विधि से रोपण करने से व्यक्ति के जीवन पर गहरा धार्मिक प्रभाव पड़ता है. न केवल समाजिक और पर्यावरणीय संतुलन में वृक्षों का महत्त्व होता है, बल्कि यह व्यक्ति के स्वास्थ्य, समृद्धि, और मानसिक शांति के लिए भी अत्यंत आवश्यक माने गए हैं. भविष्यपुराण में कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति विधिपूर्वक वृक्षारोपण करता है, तो उसे जीवन में अनेक प्रकार के सुख और सफलता की प्राप्ति होती है.
भविष्यपुराण में वर्णित वृक्षों के लाभों और महत्व से यह स्पष्ट होता है कि हिन्दू धर्म में प्रकृति और वृक्षों का विशेष स्थान है. इन वृक्षों का रोपण करने से न केवल पर्यावरण का संरक्षण होता है, बल्कि व्यक्ति को स्वर्ग-सुख, दीर्घायु, धन-समृद्धि और पापों से मुक्ति का वरदान भी प्राप्त होता है.
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ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
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