Pitru Paksha 2024: भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू होने वाले पितृ पक्ष का समापन सर्वपितृ अमावस्या पर होता है. इन 16 दिनों की अवधि में लोग अपने पितरों का श्राद्ध और तर्पण करते हैं जिससे उनकी आत्मा तृप्त होती है. यदि किसी की कुंडली में पितृदोष है तो वह भी इन दिनों उसका निवारण सरल उपायों से कर सकता है. लेकिन, पितृपक्ष के समय को चूंकि शोक का समय कहा गया है ऐसे में इन दिनों में शुभ काम करने की मनाही होती है. साथ ही इन दिनों में आपको कुछ बातों का ख्याल भी रखना चाहिए. इनमें से एक है इन दिनों में सत्तू से दूरी. पितृपक्ष में क्यों नहीं खाना चाहिए सत्तू? यह आपको इस खबर में जानने को मिलेगा.
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पितृपक्ष में इसलिए नहीं खाना चाहिए सत्तू :
धार्मिक मान्यता है कि, पितृपक्ष में सत्तू खाना शुभ नहीं होता, क्योंकि इसका संबंध गुरु बृहस्पति से होता है, जो कि मांगलिक कार्यों के लिए शुभ फल देते हैं. लेकिन पितृपक्ष में मांगलिक कार्यों पर रोक लगी होती है. जबकि सत्तू को शुभ और पवित्र भी माना गया है. ऐसे में आपको इन दिनों सत्तू खाने से भी बचना चाहिए.
सूर्यदेव से संबंधित है सत्तू :
पितृपक्ष में पितरोंं को श्राद्ध या तर्पण हमेशा दिन के समय सूर्य की रोशनी में की करने का विधान है. वहीं सत्तू का संबध भी सूर्य देव से माना जाता है. इसलिए पितृपक्ष के दौरान सत्तू खाने की मना ही होती है. ऐसा माना जाता है कि इन दिनों में सत्तू खाने से आपको गुरुदोष लग सकता है.
पिंड के समान है सत्तू :
पितृपक्ष में पिंड दान किया जाता है, जिससे आपके पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. वहीं धार्मिक मान्यता है कि सत्तू भी पिंड के समान होता है. ऐसे में इन दिनों में सत्तू खाना वर्जित माना गया है. यदि आप ऐसा करते है तो आपको पितृदोष लग सकता है.
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मंगल ग्रह से संबंध रखता है सत्तू :
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सत्तू मंगल ग्रह से संबंध रखता है जो कि ऊर्जा, शक्ति और साहस का कारक माने गए हैं. ऐसे में जब आप सत्तू खाते हैं तो पितृ आपसे नाराज हो सकते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति भी नहीं होगी.
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FIRST PUBLISHED : September 22, 2024, 10:46 IST