वाराणसी : सनातन धर्म में नामकरण संस्कार एक धार्मिक प्रकिया है. जिसके तहत जन्म के बाद बच्चों का नाम रखा जाता है. नामकरण संस्कार के लिए ग्रह, नक्षत्र और मुहूर्त का भी विशेष ध्यान रखा जाता है. कई बार ऐसा होता है जब बचपन के नाम को छोड़ लोग अपना नाम बदल लेते हैं. कुछ लोग ऐसा कहते हैं कि इससे बच्चों का भाग्य बदल जाता है. नाम बदलने का क्या फायदा है? शास्त्रों में इसके क्या विधान हैं? आइये जानते हैं इसके बारे में विस्तार से काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय से.
पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि यदि किसी मनुष्य को जीवन में अच्छे फल नहीं प्राप्त हो रहे हैं तो उन्हें अपने नाम के कुछ अक्षर को बदलना चाहिए. इसके अलावा वो नाम के आगे या उसके पहले भी कुछ शब्दों को जोड़ सकते हैं. इतना ही नहीं एक बार जीवन में नाम बदलने का भी शास्त्रों में विधान है . हालांकि इसके पहले लोगों को विद्वानों से इसके लिए चर्चा जरूर करनी चाहिए.
द्वापर युग में बदला था भीष्म का नाम
पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि हमारे धार्मिक पुस्तक और पुराणों में भी इसके जुड़े कई तथ्य और उदाहरण मिलते हैं. द्वापर युग में राजा शांतनु और गंगा पुत्र भीष्म का नाम भी बदला था. बचपन से लेकर युवा अवस्था तक उनका नाम देवव्रत था लेकिन उनकी एक प्रतिज्ञा के बाद वो देवव्रत से भीष्म हो गए. जिसका असर उनके जीवन पर भी पड़ा.
हो सकता है भाग्योदय
पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि ऐसे में यदि मनुष्य किसी निश्चित समय पर विद्वानों से चर्चा के बाद अपना नाम बदलता है तो कई बार उसके जीवन पर इसका बेहद सकारात्मक असर पड़ता है. इतना ही नहीं नाम बदलने की यह प्रकिया कभी-कभी भाग्योदय का कारण भी बनाता है.
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FIRST PUBLISHED : September 17, 2024, 14:27 IST
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