पंचक को वह समय माना जाता है, जिसमें किसी भी तरह के मांगलिक कार्य जैसे शादी, लग्न, ग्रह प्रवेश, नामकरण, सगाई आदि नहीं किए जाते हैं. हालांकि कुछ पंचक में शुभ कार्य किए जा सकते हैं जैसे राज पंचक को अच्छा माना जाता है. चन्द्र ग्रह का धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद तथा रेवती नक्षत्र में भ्रमण काल पंचक काल कहलाता है. नक्षत्रों के मेल से बनने वाले विशेष योग को ‘पंचक’ कहते हैं. हर महीने में 27 दिनों के अंतराल पर पंचक नक्षत्र का चक्र बनता रहता है. चंद्रमा 27 दिनों में सभी नक्षत्रों का भोग कर लेता है, एक राशि में चंद्रमा ढाई दिन और दो राशियों में चंद्रमा पांच दिन रहता है. इन पांच दिनों के दौरान चंद्रमा, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती नक्षत्र से गुजरता है. इस कारण ये पांचों दिन पंचक कहलाते हैं.
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5 प्रकार के होते हैं पंचक
शास्त्रों में वार के हिसाब से पंचक के नाम का निर्धारण किया जाता है. हर पंचक का अलग-अलग अर्थ और प्रभाव है.
रविवार – रोग पंचक
सोमवार – राज पंचक
मंगलवार – अग्नि पंचक
शुक्रवार – चोर पंचक
शनिवार – मृत्यु पंचक
इस साल में अब कब-कब लगेंगे पंचक
ऐसे तो हर हर माह में ही पंचक लगते हैं लेकिन हम आपको सितम्बर माह और इसके बाद दिसंबर तक कब कब लगेंगे पंचक, आप तारीख़ नोट कर लीजिये.
सितम्बर माह में 16 सितंबर, मंगलावर को शाम 05:44 मिनट पर पंचक लगा है और 20 सितंबर, शुक्रवार सुबह 05:15 मिनट पर खत्म होगा.
अक्टूबर माह में 13 अक्टूबर, रविवार दोपहर 3:44 मिनट पर पंचक शुरू होगा और 17 अक्टूबर, गुरुवार शाम 04:20 पर पंचक खत्म हो जाएगा.
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नवंबर माह में पंचक 9 नवंबर, शनिवार रात 11:27 मिनट पर लग जाएगा और 14 नवंबर, गुरुवार सुबह 03:11 मिनट पर खत्म होगा.
साल के अंत में 7 दिसंबर, शनिवार सुबह 05:07 पर पंचक लगेगा और इसका अंत 11 दिसंबर, बुधवार सुबह 11:48 पर हो जाएगा.
पंचक में क्या नहीं किया जाता
धर्म अनुसार पंचक नक्षत्रों में दाहसंस्कार, दक्षिण दिशा की यात्रा करना, लकड़ी तोडऩा, घास एकत्र करना, स्तंभ रोपण, तृण, ताम्बा, पीतल, लकड़ी आदि का संचय, दुकान, मकान की छत डालना, चारपाई, खाट, चटाई आदि बुनना ठीक नहीं होता है. यदि विशेष परिस्थितियों में ऐसा करना पड़े तो किसी योग्य आचार्य से इसकी शांति करवा लें.
Tags: Astrology, Dharma Aastha
FIRST PUBLISHED : September 17, 2024, 11:30 IST