Sexually Transmitted Diseases (STDs) : यौन संचारित रोग जो एक प्रकार का संक्रमण भी होते हैं यह रोगाणुओं के माध्यम से फैलते हैं और इन संक्रमण के फैलने का कारण होता है, यौन संबंध. इन सभी संक्रमण और रोगों में कुछ ऐसे हैं जो जल्दी ठीक हो जाते हैं और उनका इलाज भी संभव है, लेकिन कुछ यौन संचारित रोग काफी खतरनाक और गंभीर होते हैं जिनका इलाज आसानी से संभव नहीं होता है.
Sexually Transmitted Diseases (STDs) : कुछ सामान्य यौन संचारित रोग एवं संक्रमण
Chlamydia : क्लैमीडिया
क्लैमीडिया एक बैक्टीरिया द्वारा फैलने वाला रोग होता है जिसका इलाज संभव होता है. क्लैमीडिया यौन संबंध बनाने से होता है इसके लक्षण जल्दी नहीं दिखते हैं जिसकी वजह से संक्रमण अनजाने में फैला है इसके लिए सलाह दी जाती है कि अगर आप यौन संबंध बनाने में सक्रिय रहते हैं तो आपको समय-समय पर जांच करवाते रहना चाहिए.
Herps Simplex Virus : हर्प्स सिंपलेक्स वायरस या जेनिटल हर्प्स
हर्प्स सिंपलेक्स वायरस ओरल हर्प, जेनिटल हर्प, और इन्फेक्शन फैलाने का काम करता है. इसके लक्षण होते हैं शरीर पर पानी से भरे फोड़े लेकिन सामान्य रूप से यह जल्दी अपने लक्षण नहीं दिखता है रेगुलर ब्लड टेस्ट से इसके बारे में पता लगाया जा सकता है और कुछ एंटीवायरस दवाइयां से इसे ठीक किया जा सकता है.
Gonorrhea : गोनोरिया
गोनोरिया एक यौन संबंध बनाने से फैलने वाली बीमारी है गोनोरिया के लक्षण भी नहीं दिखते हैं. गोनोरिया को चिकित्सक द्वारा बताई गई एंटीबायोटिक से ठीक किया जा सकता है.
Hepatitis B : हेपेटाइटिस बी
हेपेटाइटिस बी उन पांच वायरसों में से एक होता है जो लिवर को नुकसान पहुंचता है और जलन का कारण होता है यह शरीर के द्रव्यों द्वारा फैलता है कुछ लोगों को यह सामान्य संक्रमण की तरह होता है लेकिन कुछ लोगों के लिए यह घातक भी हो सकता है इसका गंभीर संक्रमण लंबे समय तक आपके लवर को नुकसान पहुंचता है हेपेटाइटिस बी की वैक्सीन से इस खतरनाक बीमारी से बचा जा सकता है, अन्यथा इस बीमारी का कोई इलाज नहीं होता.
HIV / AIDS : एचआईवी या एड्स
एचआईवी वायरस की वजह से ऐड नाम की बीमारी होती है एचआईवी में मुख्य रूप से हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली पर असर पड़ता है दरअसल यह वायरस शरीर की टी सेल्स को खत्म करना शुरू कर देता है तब तक, जब तक कि आपका शरीर एक छोटी सी बीमारी से भी लड़ने के काबिल नहीं रहे. एचआईवी के लक्षण बहुत से स्थितियों में नहीं भी दिखाते हैं इसीलिए जांच करते रहना आवश्यक होता है.
Human Papilloma Virus (HPV) : एचपीवी
हुमन पपिल्लोमावायरस के 30 से भी ज्यादा स्ट्रेन हमारे गुप्त अंग को प्रभावित कर सकते हैं इसमें से कुछ ऐसे होते हैं जो अधिक नुकसानदायक नहीं होते हैं और जेनिटल वार्ट्स का कारण होते हैं एचपीवी के सिर्फ कुछ ही स्ट्रेन रिस्की माने जाते हैं क्योंकि यह आगे चलकर सर्वाइकल कैंसर में बदल जाते हैं एचपीवी की वैक्सीन इसका सबसे अच्छा बचाव होता है और नियमित रूप से जांच करने से भी आप इस खतरनाक बीमारी से बच सकते हैं.
Pubic Lice : प्यूबिक लाइस (क्रैब्स)
प्यूबिक लाइस छोटे-छोटे ज जैसे कीड़े होते हैं जो जो हमारे प्यूबिक एरिया के बालों में होते हैं, गुप्त अंग के पास यह बहुत ज्यादा खुजली पैदा करते हैं. यह भी एक यौन संचारित बीमारी होती है इनका इलाज संभव होता है और यह कोई गंभीर स्वास्थ्य समस्या का कारण नहीं होते हैं, इन्हें ठीक करने के लिए चिकित्सकों द्वारा बताए गए शैंपू और क्रीम का इस्तेमाल किया जाता है.
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Syphilis : सिफीलिस
सो प्लीज भी एक यौन संचारित बीमारी है जो दवा से ठीक हो सकती है लेकिन अगर इनका इलाज नहीं कराया गया तो यह गंभीर रूप भी ले सकती है या हमारे हृदय को दिमाग को मांसपेशियों को हड्डियों को और आंखों को नुकसान पहुंचा सकती है सिर्फ पुलिस के संक्रमण के रिस्क को कम करने के लिए यौन संबंध बनाते वक्त कंडोम का इस्तेमाल जरूर करें.
यूटीआई और वैजीनाइटिस में क्या समानता होती है ?
यूटीआई और वैजीनाइटिस दोनों ही महिलाओं के जेनिटल्स से जुड़ी समस्याएं हैं और दोनों ही समस्या में [प्यूबिक एरिया में जलन, खुजली, और संक्रमण जैसे लक्षण होते हैं. यूटीआई बैक्टिरीअल इन्फेक्शन से फैलता है जबकि वगिनीतिस एक यौन संचारित बीमारी है और इसके कई कारक होते हियाँ जैसे कि बैक्टिरीया, यीस्ट, और एस्ट्रोजन हॉर्मोन कि कमी से होता है.
Trichomoniasis : ट्रिकोमोनिएसीस
ट्रिकोमोनिएसिस एक सामान्य यौन संचारित संक्रमण है जो जीवाणु द्वारा फैलता है इसके भी कुछ खास लक्षण नहीं होते हैं और यह एंटीबायोटिक से ठीक किया जा सकता है.
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Vaginitis : वेजिनाइटिस
वेजिनाइटिस महिलाओं योनि में होने वाली जलन और संक्रमण को कहते हैं वेजाइनाइटिस के कई कारक होते हैं जैसे कि बैक्टीरिया, ईस्ट, लो एस्ट्रोजन हार्मोन और केमिकल युक्त स्प्रे या गर्भ निरोधक दवाइयां. वेजाइनाइटिस बहुत ही सामान्य यौन संचारित संक्रमण है जिसे आसानी से ठीक किया जा सकता है लेकिन इसका इलाज इसके कारक पर निर्भर करता है.