Saturday, November 16, 2024
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Rishi Panchami 2024: इस दिन रखा जाएगा ऋषि पंचमी का व्रत

Rishi Panchami 2024 Date: ऋषि पंचमी का व्रत पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष के पंचमी तिथि को मनाया जाया जाता है. इस दिन ऋषि मुनियों के याद किया जाता है. क्योंकि जगत में सबसे महान कार्य होता है प्रत्येक जीव जंतु और मानव का रक्षा करना. सनातन धर्म में सभी का मान सम्मान करना सभी का सुरक्षा करना हमारा पहला कर्तव्य होता. है ऋषि पंचमी का त्योहार भारत के सभी राज्यों में अलग -अलग तरीके से सप्तऋषि को याद किया जाता है.यह त्योहार भाद्रपद गणेश चतुर्थी के अगले दिन किया जाता है.

महिलाएं इसलिए रखती हैं ऋषि पंचमी का व्रत

ऋषि पंचमी के दिन सप्तऋषि के सम्मान व्यक्त की जाती है.ऋषि पंचमी का व्रत विशेषकर महिलाये इस व्रत को करती है. इस व्रत के प्रभाव से महिलाएं अपने पति के प्रति विश्वास,प्रेम तथा दीर्घायु होने की कामना करती है. इस व्रत को महिलाये के मासिक धर्म के समय लगे पाप से छुटकारा पाने के लिए यह व्रत करती है. इस व्रत में ब्रह्मचर्य का पालन किया जाता है. इसके करने से सभी पाप से मुक्त होते है. तथा सौभाग्य का प्राप्ति होती है. ऋषि पंचमी व्रत के नियम बहुत कड़ें है व्रत करने वाले महिलाये को कठिन नियम पालन करना पड़ता है. विशेषकर महिलाये मासिक धर्म के बंद होने पर यह व्रत करने की परंपरा है यह व्रत आरम्भ करे तो पुरे सात वर्ष तक किया जाता है. ऐसे में कोई तकलीफ हो तब बीच में छोड़ सकते है.

कब है ऋषि पंचमी का व्रत ?

08 सितंबर 2024 को ऋषि पंचमी का व्रत रखा जायेगा.

ऋषि पंचमी पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है ?

सुबह 10:00 बजे से 1:00 दोपहर तक
पंचमी तिथि का प्रारंभ 07 सितंबर 2024 सांध्य 05: 37 से
पंचमी तिथि समाप्त 08 सितंबर 2024 सांध्य 07:58 तक

ऋषि पंचमी के दिन किनकी पूजन की जाती है ?

भाद्रपद शुक्ल पक्ष के पंचमी के दिन सप्तऋषि का पूजन किया जाता है.इनके नाम इस प्रकार है गौतम,भारद्वाज, विश्वामित्र,जमदग्नि ,वशिष्ठ, कश्यब ,अत्रि इन राशियों के आलावा देवी अरुंधती का पूजन किया जाता है.

क्या है ऋषि पंचमी व्रत का नियम ?

महिलाये व्रत के दिन महिलाये नित्य कर्म से निर्मित होकर आपमार्ग के 108 दातुआन से मुंह को साफ करे. नया वस्त्र धारण करे. कुश का सप्तऋषि बनाए उनको गंगाजल से स्नान कराएं चन्दन चढ़ाए वस्त्र चढ़ाये, धुप,अगरबती तथा दीपक जलाए ,ऋतुफल तथा मिठाई चढ़ाए.पूजन के बाद महिलाये बिना नमक का खाना खाती है.खाने में दही और साठी चावल खाने का विधान है. हल से जोते हुए खेत का अन्य खाना वर्जित है.दिन में केवल एक बार भोजन करना होता है जो भी सामान सप्तऋषि को पूजन में चढ़ाए वह वस्तु को ब्राह्मण को दान कर दे.

जन्मकुंडली, वास्तु, तथा व्रत त्यौहार से सम्बंधित किसी भी तरह से जानकारी प्राप्त करने हेतु दिए गए नंबर पर फोन करके जानकारी प्राप्त कर सकते है .

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847


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