Health: पार्किंसन एक गंभीर बीमारी है. न्यूरॉन कोशिकाओं में लगातार कमी आने से शरीर में डोपामाइन (न्यूरोट्रांसमीटर) के स्तर में काफी कमी आ जाती है. एल-डोपा एक रसायन है जो शरीर में डोपामाइन में परिवर्तित हो जाता है, इसलिए यह एंटी-पार्किंसंस दवाओं के तौर पर काम करता है और यह डोपामाइन की कमी को पूरा करने में मदद करता है. पार्किंसन रोग में जब तक एल-डोपा की सही मात्रा दी जाती है, तब तक यह रोग नियंत्रण में रहता है. हालांकि जैसे-जैसे रोगी की उम्र बढ़ती है, न्यूरॉन्स में निरंतर कमी आने से अधिक एल-डोपा की जरूरत होती है. एल-डोपा की अधिक सेवन से डिस्किनेशिया, गैस्ट्राइटिस, साइकोसिस, पैरानोया ऑर्थोस्टेटिक हाइपोटेंशन जैसे गंभीर दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं. ऐसे में पार्किंसन रोग में दवा की उचित खुराक काफी मायने रखती है.
दवा की सटीक खुराक के लिए स्मार्ट सेंसर किया गया है विकसित
वैज्ञानिकों ने एक किफायती, प्रयोग में आसान, पोर्टेबल स्मार्टफोन आधारित फ्लोरेंस टर्न-ऑन सेंसर प्रणाली विकसित की है जो पार्किंसंस बीमारी की रोकथाम में मददगार साबित होगी. यह सेंसर शरीर में एल-डोपा का सटीक मात्रा का पता लगाने में मदद करेगा, जिससे इस रोग की प्रभावी रोकथाम के लिए सटीक खुराक के निर्धारण में मदद मिलेगी. हाल ही में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने पोर्टेबल स्मार्टफोन आधारित ऑप्टिकल सेंसर प्रणाली विकसित की है. यह एक इलेक्ट्रिक सर्किट 5 वी स्मार्टफोन चार्जर द्वारा संचालित 365 एनएम एलईडी से जुड़ा है. रोगी के जैविक नमूनों में यह पता चलने पर कि क्या एल-डोपा का स्तर कम है, यह सेंसर रोग के प्रभावी नियंत्रण के लिए आवश्यक खुराक तय करने में मदद करेगा.