Hindenburg Report: अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की ओर से 10 अगस्त 2024 को पेश की दूसरी रिपोर्ट के बाद देश में कोहराम मचा हुआ है. हिंडनबर्ग ने 24 जनवरी 2023 के करीब 564 दिन बाद अपनी दूसरी रिपोर्ट में सीधे बाजार विनियामक संस्था भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की प्रमुख माधवी बुच और उनके पति धवल बुच पर ही आरोप लगाया है. इससे पहले, अमेरिकी शॉर्ट सेलर ने देश के दिग्गज उद्योगपति गौतम अदाणी के अदाणी ग्रुप पर शेयरों में हेरोफेरी और धोखाधड़ी का आरोप लगाया था. उस समय भी देश में शेयर बाजार से लेकर संसद तक कोहराम मचा हुआ था. मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया. सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को जांच की जिम्मेदारी दी, सरकार को कानून में संशोधन करने की बात कही. अब सवाल यह उठाए जा रहे हैं कि हिंडनबर्ग की पहली रिपोर्ट के बाद भी जब अभी तक जांच जारी ही है, तो दूसरी रिपोर्ट आने के बाद क्या होगा? देश के तमाम राजनीतिक दल सरकार से सवाल पूछ रहे हैं.
हिंडनबर्ग के आरोपों पर सेबी ने दी सफाई
अमेरिकी शॉर्ट सेलर की दूसरी रिपोर्ट आने के बाद बाजार विनियामक सेबी ने अपनी पहली टिप्पणी में रविवार को अदाणी ग्रुप के खिलाफ सभी आरोपों की जांच कर ली गई है. सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच ने समय-समय पर संबंधित जानकारी दी और संभावित हितों के टकराव से जुड़े मामलों से खुद को अलग रखा. सेबी ने कहा कि अदाणी ग्रुप की की 26 पहलुओं में से सिर्फ एक पहलू की जांच बची है और वह भी पूरी होने वाली है. सेबी ने कहा कि बुच ने समय-समय पर संबंधित खुलासे किए हैं, और संभावित हितों के टकराव से जुड़े मामलों से खुद को अलग भी रखा है.
परामर्श संस्थाओं की जानकारी साझा करें माधवी बुच: हिंडनबर्ग
हिंडनबर्ग रिसर्च ने दावा किया कि बाजार नियामक सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने अब सार्वजनिक रूप से बरमूडा और मॉरीशस फंड संरचना में अपने निवेश की पुष्टि कर दी है. उन्हें अपने सभी परामर्श ग्राहकों के बारे में स्पष्ट जानकारी देनी चाहिए, जिनके साथ उनकी सिंगापुर और भारतीय परामर्श कंपनियों ने काम किया है. बुच और उनके पति द्वारा हिंडेनबर्ग के ताजा हमले को सेबी की विश्वसनीयता पर हमला और चरित्र हनन का प्रयास बताते वाले बयान के कुछ घंटों बाद हिंडनबर्ग ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कई पोस्ट किए और कहा कि दंपत्ति के बयान में कई महत्वपूर्ण बातों को स्वीकार किया गया और इससे कई महत्वपूर्ण सवाल भी खड़े होते हैं. हिंडनबर्ग ने कहा कि बुच के जवाब से अब सार्वजनिक रूप से बरमूडा और मॉरीशस के एक अस्पष्ट फंड में उनके निवेश की पुष्टि हो गई है. साथ ही, विनोद अदाणी की ओर से कथित रूप से गबन किया गया पैसा भी. उन्होंने यह भी पुष्टि की कि कोष उनके पति के बचपन के दोस्त द्वारा चलाया जाता था, जो उस समय अदाणी के निदेशक थे.
सहमा हुआ है शेयर बाजार
हिंडनबर्ग की दूसरी रिपोर्ट के बाद घरेलू शेयर बाजार भी सहमा हुआ है. 12 अगस्त 2024 को शुरुआती कारोबार में ही बंबई स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 226.32 अंक गिरकर 79,479.59 अंक और निफ्टी 79.55 अंक कमजोर होकर 24,287.95 अंक पर खुला. अदाणी ग्रुप की कंपनी अदाणी पोर्ट्स का शेयर 2.37% गिरकर 1497.00 रुपये प्रति शेयर के स्तर पर पहुंच गया है. बाकी कंपनियों के शेयरों में नुकसान हुआ. इससे पहले भी जब 24 जनवरी 2023 को हिंडनबर्ग ने अपनी पहली रिपोर्ट में अदाणी ग्रुप पर शेयरों में हेराफेरी करने का आरोप लगाया था, तब अदाणी ग्रुप की कंपनियों के शेयर 41 फीसदी तक टूट गए थे. इस बार भी बाजार के निवेशक सहमे हुए हैं.
सेबी प्रमुख पर हिंडनबर्ग का क्या है आरोप
अमेरिकी शॉट सेलर हिंडनबर्ग ने अपनी दूसरी रिपोर्ट में आरोप लगाया है कि बाजार विनियामक संस्था सेबी ने अदाणी ग्रुप के खिलाफ कार्रवाई करने में अपनी दिलचस्पी नहीं दिखाई. रिपोर्ट में उसने आशंका जाहिर की है कि सेबी की कार्रवाई में दिलचस्पी नहीं होने के पीछे अदाणी ग्रुप से जुड़े विदेशी फंडों में सेबी प्रमुख माधवी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की हिस्सेदारी हो सकती है. रिपोर्ट में कहा गया है कि माधवी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच के पास उस विदेशी फंड में हिस्सेदारी है, जिसका इस्तेमाल अदाणी ग्रुप में धन की कथित हेराफेरी के लिए किया गया था. हिंडनबर्ग के मुताबिक, माधवी बुच और उनके पति ने बरमूडा और मॉरीशस में अस्पष्ट विदेशी फंडों में अघोषित निवेश किया था. उसने कहा कि ये वही फंड हैं, जिनका कथित तौर पर विनोद अदाणी ने पैसों की हेराफेरी करने और समूक की कंपनियों के शेयरों की कीमतें बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया गया था. विनोद अदाणी अदाणी समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी के बड़े भाई हैं.
2022 में सेबी प्रमुख बनाई गईं माधवी पुरी बुच
माधवीपुरी बुच को 1 मार्च 2022 को तीन साल के लिए सेबी का प्रमुख बनाया गया था. उन्होंने अजय त्यागी का जगह लिया था. इससे पहले, अप्रैल 2017 में उन्हें सेबी में पूर्णकालिक निदेशक नियुक्त किया गया था और सामूहिक निवेश योजनाओं, निगरानी और निवेश प्रबंधन जैसे विभागों का प्रभार दिया गया था. जब उनका कार्यकाल समाप्त हुआ, तो उन्हें सेबी की इन-हाउस तकनीकी प्रणालियों को डिजाइन करने में मदद करने के लिए गठित सात-सदस्यीय प्रौद्योगिकी समिति में नियुक्त किया गया. इसके बाद सेबी प्रमुख बनाया गया. उन्होंने 1989 में आईसीआईसीआई बैंक से अपने कैरियर की शुरुआत की थी. 1993 से 1995 के बीच बुच ने इंग्लैंड के वेस्ट चेशायर कॉलेज में लेक्चरर के तौर पर काम किया. 12 साल तक कई कंपनियों में काम करने के बाद 2006 में वह आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज में शामिल हो गईं और बाद में फरवरी 2009 से मई 2011 तक उनकी सीईओ बनीं. इसके बाद बुच 2011 में ग्रेटर पैसिफिक कैपिटल में शामिल होने के लिए सिंगापुर चली गईं. 2011 से 2017 के बीच उन्होंने कई कंपनियों के कार्यकारी निदेशक के रूप में विभिन्न क्षमताओं में काम किया.
24 जनवरी 2023 को हिंडनबर्ग ने अदाणी पर लगाए थे आरोप
हिंडनबर्ग ने 24 जनवरी, 2023 में जारी अपनी पिछली रिपोर्ट में अदाणी ग्रुप पर वित्तीय लेनदेन में गड़बड़ी और शेयरों की कीमतें चढ़ाने के लिए विदेश फंड के दुरुपयोग के आरोप लगाए गए थे. हालांकि, अदाणी समूह ने इन सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि वह नियामकीय प्रावधानों का पालन करता है. हिंडनबर्ग की ओर से यह आरोप अदाणी एंटरप्राइजेज कंपनी की ओर से 20,000 करोड़ रुपये का एफपीओ लाने से कुछ दिन पहले ही लगाया गया था. हिंडनबर्ग की इस रिपोर्ट के बाद कंपनी को एफपीओ कैंसिल करना पड़ा था.
पहले भी कई कंपनियों की धोखाधड़ी उजगार कर चुकी है हिंडनबर्ग
24 जनवरी 2023 को अदाणी ग्रुप पर शेयरों में हेराफेरी और वित्तीय धोखाधड़ी का आरोप लगाने वाली अमेरिकी शॉर्ट सेलर कंपनी हिंडनबर्ग पहले भी कई कंपनियों की धोखाधड़ी को उजागर कर चुकी है. मीडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि अडाणी समूह की कंपनियों पर गंभीर अनियमितता का आरोप लगाने वाली हिंडनबर्ग रिसर्च की शुरुआत साल साल पहले दुनिया की बड़ी कंपनियों में गड़बड़ियों का पता लगाने और उनके शेयरों पर दांव लगाने के इरादे से की गई थी. हिंडनबर्ग को सबसे ज्यादा चर्चा निकोला के खिलाफ रिपोर्ट जारी करने पर मिली थी. इसने इलेक्ट्रिक ट्रक बनाने वाली कंपनी निकोला कॉर्प के खिलाफ सितंबर, 2020 में गंभीर आरोप लगाए थे. इलेक्ट्रिक ट्रक के प्रदर्शन संबंधी दावों के गलत पाए जाने के बाद आज निकोला कॉर्प का पूंजीकरण सिर्फ 1.34 अरब डॉलर रह गया है, जबकि एक समय यह 34 अरब डॉलर पर पहुंच गया था. कंपनी की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, इसने अब तक दर्जन से अधिक कंपनियों में गड़बड़ियों को उजागर किया है. इनमें विन्स फाइनेंस, एससी वर्क्स, ब्लूम एनर्जी भी शामिल हैं. लगभग सभी मामलों में रिपोर्ट जारी करने के बाद हिंडनबर्ग को कानूनी एवं नियामकीय कार्रवाइयों का सामना करना पड़ा है.
कैसे काम करती है हिंडनबर्ग रिसर्च
हिंडनबर्ग रिसर्च की वेबसाइट में लिखा गया है कि हम अपने निवेश निर्णय-निर्माण को अपने आधारभूत विश्लेषण से समर्थन देते हैं. वहीं, हमारा मत है कि सबसे असरदार शोध परिणाम असामान्य स्रोतों से जुटाई गई सूचनाओं से उजागर होने वाले तथ्यों से निकलते हैं. हिंडनबर्ग रिसर्च की पिछली शोध रिपोर्टों के नतीजे कंपनियों की चिंताएं बढ़ा सकते हैं. अडाणी समूह से पहले इसने अमेरिका की लॉर्ड्सटाउन मोटर्स कॉर्प, निकोला मोटर कंपनी एवं क्लोवर हेल्थ के अलावा चीन की कांडी और कोलंबिया की टेक्नोग्लास के खिलाफ भी शोध रिपोर्ट प्रकाशित की थीं.
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शॉर्ट सेलिंग क्या है?
शॉर्ट सेलिंग के तहत उधार लिए गए शेयरों को इस उम्मीद में बेचा जाता है कि बाद में निचले स्तर पर उसे खरीद लिया जाएगा. शेयरों की कीमतें उम्मीद के मुताबिक गिरने पर ‘शॉर्ट सेलिंग’ करने वाले कारोबारियों को तगड़ा मुनाफा होता है. हिंडनबर्ग ‘शॉर्ट सेलिंग’ के लिए चुनिंदा शेयरों में निवेश अपनी पूंजी से करती है. हालांकि, वह इसके लिए सही कंपनी का चुनाव पर्याप्त शोध के बाद करती है. इस शोध में उसका ध्यान लेखांकन गड़बड़ियों, कुप्रबंधन एवं अघोषित लेनदेन जैसे मानव-निर्मित त्रासदियों पर होता है. खास तौर पर कंपनियों में लेखांकन से जुड़ी गड़बड़ियों, प्रबंधन या प्रमुख सेवा प्रदाताओं की भूमिका में गलत लोगों की मौजूदगी, संबंधित पक्ष के अघोषित लेनदेन, गैरकानूनी या अनैतिक कारोबारी एवं वित्तीय तौर-तरीकों के अलावा नियामकीय, उत्पाद या वित्तीय मसलों के बारे में जानकारी न देना जैसे पहलू उसके निशाने पर होते हैं.
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24 जनवरी 2023 से अब तक क्या हुआ
- 24 जनवरी 2023 को हिंडनबर्ग रिसर्च ने अदाणी ग्रुप पर शेयरों में हेराफेरी और वित्तीय धोखाधड़ी का आरोप लगाया. हिंडनबर्ग रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया गया था कि सेबी ने अदानी ग्रुप द्वारा किए गए लेन-देन की जांच शुरू की थी, जो राजनीतिक दबाव के कारण डेढ़ साल बाद भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई. अदाणी ग्रुप ने आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि ये निराधार आरोप थे, जिनका उद्देश्य उनके शेयर की कीमत को कम करना था.
- 24 फरवरी 2023 को हिंडनबर्ग की रिपोर्ट जारी होने के बाद अदाणी एंटरप्राइजेज के शेयरों में 59 प्रतिशत की गिरावट आई. रिपोर्ट के कारण कंपनी को बड़ा नुकसान हुआ.
- फरवरी 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने इन दावों की जांच के लिए एक समिति गठित करने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई की.
- सुप्रीम कोर्ट ने 2 मार्च, 2023 को सेबी से रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों की जांच करने और यह निर्धारित करने के लिए कहा कि क्या शेयर की कीमत में हेरफेर और अन्य वित्तीय अनियमितताएं हुई थीं.
- सुप्रीम कोर्ट ने अदाणी ग्रुप द्वारा अपने बाजार मूल्यांकन से 100 मिलियन डॉलर से अधिक का नुकसान होने के बाद भारतीय निवेशकों की सुरक्षा के लिए एक पैनल भी गठित की.
- 17 मई 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को 14 अगस्त तक अपनी जांच रिपोर्ट पेश करने के लिए समय बढ़ा दिया.
- सुप्रीम कोर्ट ने 24 नवंबर, 2023 को अदाणी ग्रुप के खिलाफ हिंडनबर्ग के आरोपों पर कई याचिकाओं पर सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.
- 3 जनवरी, 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने अदाणी ग्रुप के खिलाफ आरोपों की सीबीआई की ओर से स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया और पुष्टि की कि बाजार विनियमन और शेयरों की कीमतों में हेरफेर के मामलों को देखना सेबी का अधिकार है.
- सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को 3 महीने में अपनी जांच पूरी करने करने का निर्देश दिया.
-3 जनवरी, 2024 को गौतम अदाणी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि माननीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पता चलता है कि सत्य की जीत हुई. सत्यमेव जयते. मैं उन लोगों का आभारी हूं, जो हमारे साथ खड़े रहे. - जून 2024 में सेबी ने कहा कि हिंडनबर्ग रिसर्च ने अदाणी ग्रुप पर अपने निष्कर्षों को न्यूयॉर्क स्थित हेज फंड मैनेजर के साथ साझा किया था और उसे इस जानकारी के साथ व्यापार करने की अनुमति दी थी.
- हिंडनबर्ग रिसर्च ने सेबी के दावों का खंडन किया और कहा कि यह भारत में राजनीतिक प्रभाव वाले लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए उन्हें चुप कराने का एक प्रयास था.
- 10 अगस्त 2024 को हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि भारत में जल्द ही कुछ बड़ा होने वाला है.
- 10 अगस्त 2024 की देर रात को हिंडनबर्ग ने रिपोर्ट जारी की, जिसमें दावा किया गया कि सेबी प्रमुख माधवी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने 2015 से गौतम अंबानी के भाई विनोद अंबानी के स्वामित्व वाली ऑफशोर फर्मों में निवेश किया था.