1990 के दशक में सिनेमा का बदलता दौर
Gumrah: 1990 का दशक भारतीय सिनेमा के लिए काफी दिलचस्प रहा है. इस दौर की शुरुआत ‘दिल’ जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्म से हुई और अंत ‘हम दिल दे चुके सनम’ जैसी सुपरहिट लव स्टोरी से. इस समय में बॉक्स ऑफिस पर कई रोमांटिक फिल्में छाईं रहीं, जैसे ‘साजन’, ‘आशिकी’, ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’, ‘दिल तो पागल है’, और ‘कुछ कुछ होता है’.
1993 में आई थी एक अलग कहानी
1993 में ‘बाज़ीगर’ जैसी रिवेंज ड्रामा ने दर्शकों का ध्यान खींचा. लेकिन उसी साल एक और फिल्म आई जो उतनी चर्चा में नहीं रही, लेकिन उसे जितनी तारीफें मिलनी चाहिए थीं, वो नहीं मिलीं. यह फिल्म थी ‘गुमराह’, जिसमें श्रीदेवी मुख्य भूमिका में थीं.
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कहानी जो महिलाओं के मजबूत किरदार को दिखाती है
‘गुमराह’ की कहानी पूरी तरह से श्रीदेवी के किरदार के इर्द-गिर्द घूमती है. बचपन से ही वो सभी ऐशो-आराम में पली-बढ़ी, लेकिन उन्हें केवल अपने पिता के प्यार की कमी महसूस होती है. वो अपनी नानी और मां के साथ रहती हैं, लेकिन उनके पिता के बारे में कोई जानकारी नहीं दी जाती. मां की मौत के वक्त श्रीदेवी को एक बड़ा राज़ पता चलता है और कहानी में मोड़ आता है.
ट्विस्ट और सस्पेंस से भरी कहानी
यह कोई साधारण फिल्म नहीं है, जैसे महेश भट्ट की ‘डैडी’. यहां ट्विस्ट के साथ कहानी आगे बढ़ती है. एक सफल सिंगर बनने के बाद, श्रीदेवी एक ड्रग्स रैकेट में फंस जाती हैं और मौत की सज़ा का सामना कर रही होती हैं. हांगकांग में फंसी हुई, श्रीदेवी को संजय दत्त की मदद मिलती है, जो एक छोटा-मोटा चोर और स्ट्रीट फाइटर है.
श्रीदेवी और महेश भट्ट की बेहतरीन जुगलबंदी
‘गुमराह’ को देखने की सबसे बड़ी वजह श्रीदेवी का शानदार एक्टिंग और महेश भट्ट का बेहतरीन निर्देशन है. फिल्म में सोनी राजदान और अनुपम खेर की परफॉर्मेंस भी काबिल-ए-तारीफ है. यह फिल्म नेटफ्लिक्स पर उपलब्ध है और अगर आप इसे अब तक नहीं देख पाए हैं, तो इसे आज ही देख डालिए.
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